कोरबा । कोरबा के संवेदनशील विधायक व प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में कोरबा में वेदान्ता प्रबंधन द्वारा संचालित भारत एल्यूमिनियम कम्पनी लिमिटेड द्वारा अपनाई गई नियम विरूद्ध व निरंकुश कार्यशैली से अंचल में उभर रहे जनाक्रोश से अवगत कराते हुए भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में राजस्व मंत्री ने कंपनी के संबंध में लिखा है कि भारत एल्यूमिनियम कम्पनी लिमिटेड की स्थापना भारत सरकार के उपक्रम के तौर पर वर्ष 1965 में अविभाजित मध्यप्रदेश राज्य के आदिवासी क्षेत्र कोरबा में की गई थी। भारत सरकार की विनिवेशीकरण नीति के तहत इस कंपनी की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी स्टरलाइट कम्पनी को वर्ष 2001 में भारत सरकार द्वारा सौंपी गई थी जो अब वेदांता रिसोर्सेज के नाम से जानी जाती है।
पत्र में आगे लिखा गया है कि कम्पनी का आधिपत्य ग्रहण करने के बाद वेदान्ता प्रबंधन ने एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता में वृद्धि के साथ ही विद्युत संयंत्रों की स्थापना भी किया है।राजस्व मंत्री ने पत्र में लिखा है कि संयंत्र विस्तार के लिए आयोजित की गई जनसुनवाई के दौरान कम्पनी ने स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का वायदा किया था। संयंत्र विस्तार कार्यक्रम संचालित करने के साथ ही कम्पनी अपने वायदे से मुकर गई और स्थानीय बेरोजगार युवाओं की घोर उपेक्षा की जाने लगी।
राजस्व मंत्री ने अंचल में पनप रहे जन आक्रोश के संबंध में प्रधान मंत्री को अवगत कराते हुए लिखा है कि स्थानीय युवाओं की उपेक्षा कर अन्य प्रांतों से कामगारों की भर्ती करके संयंत्र विस्तार कार्य व प्रचालन का कार्य करवाया जा रहा है। जबकि स्थानीय स्तर पर ही हर विधा में दक्ष और योग्य युवाओं की कोई कमी नहीं है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि कम्पनी के संयंत्र विस्तार योजना के सुचारू संचालन के लिए निरंतर भारी वाहनों से परियोजना संबंधी भारी मशीनरी आदि को मंगाया जाता है ।जिसकी वजह से अंचल की केवल सड़कों की दशा ही दयनीय नहीं हुई है अपितु हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है । जिसकी वजह से आम नागरिकों के आवागमन की बहुत बड़ी समस्या निरंतर बनी रहती है।
प्रदूषण की समस्या पर पत्र में आगे लिखा गया है कि बालको के विद्युत संयंत्र से निस्तारित फ्लाई ऐश (राखड़) के प्रबंधन के लिए कम्पनी के पास कोई ठोस योजना नहीं है और भारी ट्रकों में भरकर खुले तौर पर सड़क मार्ग से राखड़ का परिवहन किया जा रहा है । इनको जहां पर भी सुविधाजनक जगह दिखाई पड़ती है फिर वह स्थान चाहे सड़क के किनारे हो अथवा जंगल का सुनसान क्षेत्र, राखड़ को डंप करवा दिया जाता है। जिसकी वजह से समूचे कोरबा अंचल में आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। राखड़ के प्रदूषण से स्वांस जनित और फेफड़े की बीमारियों से आम नागरिक व निकटस्थ गांवों के लोग पीड़ित हो रहे हैं। आंधी तृफान चलने के समय राखड़ का गुबार उठने पर आम नागरिकों का सड़कों पर चलना दूभर हो जाता है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व पर्यावरण विभाग द्वारा संयंत्र से निस्तारित राखड़ प्रबंधन के लिए जारी किए गए दिशा निर्देशों की कम्पनी द्वारा कोई परवाह न करते हुए नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पत्र में आगे इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि वेदान्ता रिसोर्सेज द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले में संचालित बालको संयंत्र में भारत सरकार की आज की तारीख में भी 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार के दिशा निर्देशों की कम्पनी कोई परवाह नहीं करती है या फिर कम्पनी को पूर्णतः स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए भारत सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्रदान कर दिया गया है। बालको द्वारा आज तक नियम विरूद्ध किए जा रहे किसी भी कार्य के मामले में भारत सरकार द्वारा किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाना इस बात की पुष्टि करता है।