नई दिल्ली। दुनिया के सबसे अरबपति ईलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक जल्द ही भारत में अपनी ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस शुरू कर सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी को जल्द ही दूरसंचार मंत्रालय से इसकी अनुमति मिल सकती है। सैटेलाइट कंपनी स्टारलिंक करीब एक महीने से भारत में अपनी सर्विस शुरू करने की कोशिश कर रही है लेकिन कुछ कारणों की वजह से इसे गृह मंत्रालय से परमिशन नहीं मिल पा रही है।
रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा गया है मंत्रालय सैटेलाइट द्वारा ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन सर्विस लाइसेंस के लिए स्टारलिंक के प्रपोजल पर विचार कर सकता है। सूत्र ने यह भी कहा कि इस लाइसेंस के पास होने की भी उम्मीद है। हालांकि, कुछ अड़चनों से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
जीएमपीसीएस के बाद स्टारलिंक को सरकार के कई विभागों और भारत के स्पेस मंत्रालय से मंजूरी लेनी पड़ेगी। इसके बाद, कंपनी अपने ऑपरेशन को देशभर में शुरू कर सकती है।
वर्तमान में, मुकेश अंबानी की जियो और सुनील मित्तल समर्थित वन वेब के पास भारत में जीएमपीसीएस लाइसेंस हैं। जियो की साझेदारी लक्जमबर्ग की कंपनी एसईएस के साथ है। जेफ बेजोस के पास भी ‘कुइपरÓ नाम का इसी तरह का एक प्रोजेक्ट है, लेकिन यह अभी तक भारत में नहीं आया है।
स्टारलिंक को 2021 में दूरसंचार मंत्रालय द्वारा फटकार लगाई गई थी जब उसने बिना लाइसेंस के भारत में अपने डिवाइस के लिए एडवांस ऑर्डर लेना शुरू कर दिया था। लगभग 5,000 ग्राहकों ने अपने प्री-ऑर्डर लगभग 99 डॉलर की कीमत पर दिए थे। कंपनी को भारतीयों से वसूले गए पैसे वापस करने के लिए भी कहा गया था।
इससे पहले जून में,सूत्रों ने बताया था कि स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी न करने और ग्लोबल ट्रेंड के अनुरूप लाइसेंस आवंटित करने की पैरवी कर रही है। इसमें कहा गया कि स्पेक्ट्रम एक नेचुरल रिसोर्स है जिसे कंपनियों द्वारा साझा किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि नीलामी में भौगोलिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं जिससे लागत बढ़ जाएगी।
दूसरी ओर, रिलायंस इस बात पर सहमत नहीं है और उसने केंद्र सरकार को एक पब्लिक सबमिशन में नीलामी का आह्वान करते हुए कहा है कि विदेशी सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर वॉइस और डेटा सर्विस प्रदान कर सकते हैं और पारंपरिक दूरसंचार कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, इसलिए बराबरी बनाए रखने के लिए नीलामी होनी चाहिए।
कंपनियों के बीच कड़ी टक्कर के बीच, एक इंडस्ट्री सूत्र के हवाले से कहा गया कि रिलायंस सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए सरकार पर दबाव डालना जारी रखेगी और विदेशी कंपनियों की मांगों पर सहमत नहीं होगी।