
इतिहास: भारत में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा देने के लिए 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 पारित किया गया, जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ। इस संशोधन के माध्यम से ग्राम पंचायत, पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर) और जिला परिषद के त्रिस्तरीय संरचना को संवैधानिक मान्यता मिली। इस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी।
महत्व
विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया: यह दिवस स्थानीय शासन की शक्ति को जमीनी स्तर तक पहुंचाने की प्रक्रिया का प्रतीक है।महिला सशक्तिकरण: पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं, जिससे उनकी भागीदारी बढ़ी है।वित्तीय स्वायत्तता: पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिससे वे अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को स्वतंत्रता से कर सकें।
नियमित चुनाव: हर 5 वर्ष में पंचायत चुनाव अनिवार्य किए गए हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत हुई है।
उद्देश्य
पंचायती राज व्यवस्था की मजबूती: इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पंचायती राज व्यवस्था की मजबूती को प्रोत्साहित करना है।
ग्रामीण विकास में पंचायतों की भूमिका को सराहना: पंचायतों के कार्यों की समीक्षा करना और उन्हें और अधिक प्रभावी बनाने के उपायों पर चर्चा करना।
स्थानीय स्वशासन के महत्व के प्रति जागरूकता: लोगों को स्थानीय स्वशासन के महत्व के प्रति जागरूक करना।
पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित करना: उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित करना और मार्गदर्शन देना।
पुरस्कार और सम्मान
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर विभिन्न पुरस्कारों की घोषणा की जाती है, जैसे:दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (डीडीयूपीएसपी): पंचायतों की सशक्तिकरण में उत्कृष्ट कार्य के लिए।नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार (एनडीआरजीजीएसपी): ग्राम सभाओं के उत्कृष्ट कार्यों के लिए।ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) सम्मान: ग्राम पंचायतों द्वारा विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए।ई-पंचायत पुरस्कार: डिजिटल माध्यम से पंचायतों की सेवाओं के उत्कृष्ट उपयोग के लिए।
इन पुरस्कारों के माध्यम से पंचायतों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया जाता है, जिससे अन्य पंचायतों को प्रेरणा मिलती है।
आयोजन स्थल और कार्यक्रम
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का मुख्य आयोजन नई दिल्ली में स्थित विज्ञान भवन में होता है, जहां प्रधानमंत्री और पंचायती राज मंत्रालय के अधिकारी पंचायत प्रतिनिधियों से संवाद करते हैं और उनके कार्यों की सराहना करते हैं।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।