
पाकिस्तान अपने बड़बोलेपन के कारण हमेशा खुद का नुकसान कराता रहता है. इसके बाद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है. श्रीलंका ने भारत से दोस्ती निभाते हुए पाकिस्तान के साथ होने वाले सैन्य अभ्यास को रद्द कर दिया है. भारत ने इस अभ्यास को लेकर श्रीलंकाई सरकार से बात की थी. बातचीत का नतीजा ये हुआ कि श्रीलंका ने अभ्यास करने से मना कर दिया है.
श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच होने वाला ये सैन्य अभ्यास श्रीलंका के त्रिंकोमाली तट पर होने वाला था, जो रणनीतिक तौर पर एक बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र है.
भारत की बात मान गया श्रीलंका
श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच इस युद्ध अभ्यास की सहमति पीएम मोदी के दौरे के कुछ समय पहले ही बनी थी. दौरे के दौरान पीएम मोदी ने भारत की चिंता जाहिर की थी. इसके साथ ही युद्ध अभ्यास न करने की बात कही थी. पीएम की बात पर श्रीलंकाई सरकार भी सहमत थी, जिसके कारण यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी. श्रीलंका ने जब इस अभ्यास को कैंसिल किया तो पाकिस्तानी अधिकारियों ने विरोध जताया. हालांकि इस विरोध का कोई असर नहीं हुआ. अधिकारियों ने अपना फैसला ले लिया था.
वहीं, इस साल फरवरी और मार्च की शुरुआत में पाकिस्तान नौसेना के एक फ्रिगेट, पीएनएस असलात ने कोलंबो बंदरगाह का दौरा किया था. मार्च की यात्रा में इसने श्रीलंकाई जल से प्रस्थान करने से पहले राजधानी के पास के जलक्षेत्र में श्रीलंकाई नौसेना के एक युद्धपोत के साथ “पासेक्स” या पासिंग अभ्यास किया गया. श्रीलंकाई नौसेना के एक बयान के अनुसार, इस पासेक्स में संचार और सामरिक युद्धाभ्यास पर ध्यान केंद्रित किया गया था.
क्यों भारत ने जताई आपत्ति?
पाकिस्तान की हरकतें पूरी दुनिया जानता है. वो किस तरह भारत के प्रोजेक्ट और उसके खिलाफ बयानबाजी करता है. इस सैन्य अभ्यास के कैंसिल कराने की वजह त्रिंकोमाली है क्योंकि यहीं ये अभ्यास होने वाला था. यहां कुछ समय पहले ही त्रिंकोमाली ऊर्जा केंद्र के तौर पर विकसित करने का समझौता हुआ था. इस क्षेत्र में एक विश्व युद्धकालीन तेल भंडारण सुविधा को पुनर्जनन करने के लिए 2022 में श्रीलंका सरकार, लंका IOC और सेलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने समझौते किए थे.
नए त्रिपक्षीय समझौते में त्रिंकोमाली में एक मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन और ऊर्जा केंद्र का विकास शामिल है, जिसमें UAE भी भागीदार है. भारत नहीं चाहता कि ऐसे किसी प्रोजेक्ट में पाकिस्तान की नजर पड़े या किसी तरह का कोई हस्तक्षेप करे. यही कारण है कि ये फैसला लिया गया है.
पीएम मोदी और दिसानायके साथ हुई थी वार्ता
5 अप्रैल को राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ वार्ता के समय पीएम मोदी की मौजूदगी में भारत और कोलंबो ने रक्षा सहयोग पर हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया था. इस एमओयू ने भारत और श्रीलंका के बीच संबंध और गहरे कर दिए. सितंबर 2024 में राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने सबसे पहले पीएम मोदी को न्योता भेजा. इस यात्रा ने ‘साझा भविष्य के लिए साझेदारी को बढ़ावा देने’ के संयुक्त दृष्टिकोण की प्रतिबद्धता को दर्शाया. साथ ही भारत और श्रीलंका के बीच घनिष्ठ संबंध दिखाई दिए.
कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय में प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय स्थिरता, ऊर्जा सहयोग और विकासात्मक साझेदारी सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर राष्ट्रपति दिसानायके के साथ व्यापक चर्चा की थी. राष्ट्रपति दिसानायके ने उन्हें श्रीलंका के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक श्रीलंका मित्र विभूषण से सम्मानित किया था, जो दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता का प्रतीक है.