बगावती सुर लेकिन पार्टी में रहने की जिद?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कांग्रेस को एक अलग तरह की असहमति का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी में रहकर भी नेता खुलकर अपनी राय रखते हैं लेकिन पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं दिखाते. ऐसे बयान कांग्रेस को असहज कर देते हैं और पार्टी को डिफेंसिव मोड में ला देते हैं. दिलचस्प यह है कि जो नेता ऐसी बयानबाजी करते हैं वे ज्यादातर ऐसे चेहरे हैं जो अपनी पहचान के लिए कांग्रेस पर निर्भर नहीं हैं. यह भी एक कारण है कि कांग्रेस चाहकर भी इनसे पूरी तरह दूरी नहीं बना पाती.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कांग्रेस को एक अलग तरह की असहमति का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी में रहकर भी नेता खुलकर अपनी राय रखते हैं लेकिन पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं दिखाते. ऐसे बयान कांग्रेस को असहज कर देते हैं और पार्टी को डिफेंसिव मोड में ला देते हैं. दिलचस्प यह है कि जो नेता ऐसी बयानबाजी करते हैं वे ज्यादातर ऐसे चेहरे हैं जो अपनी पहचान के लिए कांग्रेस पर निर्भर नहीं हैं. यह भी एक कारण है कि कांग्रेस चाहकर भी इनसे पूरी तरह दूरी नहीं बना पाती.

शमा, थरूर और कार्ति; तीनों बड़े नेता.. तीनों बढ़ा चुके हैं मुश्किल
बात कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद की करते हैं. क्रिकेटर रोहित शर्मा को लेकर उनके ट्वीट ने बवाल मचा दिया. बाद में डिलीट भी किया लेकिन अपनी राय पर कायम रहीं. थरूर भी कई बार ऐसा कर चुके हैं. लेकिन उनकी लोकप्रियता और प्रोफाइल इतनी बड़ी है कि पार्टी के लिए उन पर कार्रवाई करना संभव नहीं.

कार्ति चिदंबरम का मामला भी ऐसा ही रहा है जब कुछ साल पहले स्टेट लीडरशिप पर जोरदार टिप्पणी उन्होंने की थी. उनको करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था लेकिन उनकी चुनावी जीत की संभावना के कारण पार्टी उन्हें टिकट देने से इनकार नहीं कर पाई. उन्हें टिकट दिया गया था.

हाल ही में दिल्ली में रायसीना डायलॉग में सत्र के दौरान शशि थरूर ने कहा कि मैं अभी भी अपने चेहरे से अंडे हटा रहा हूं क्योंकि संसदीय बहस में मैं एकमात्र व्यक्ति हूं जिसने वास्तव में फरवरी 2022 में भारतीय रुख की आलोचना की थी. इसका साफ मतलब था कि वे एक तरह से सरकार से अपने बयान पर माफी मांग रहे थे.

उधर बीजेपी के हमले.. इधर कांग्रेस की मुश्किलें
कांग्रेस लगातार खुद को बीजेपी से अलग दिखाना चाहती है लेकिन पार्टी में हो रही बगावत और बयानों के कारण उसे हर बार सफाई देनी पड़ती है. खासतौर पर तब जब इन बयानों से बीजेपी को हमला करने का मौका मिलता है. बीजेपी अक्सर आरोप लगाती है कि गांधी परिवार के खिलाफ कोई भी नेता खड़ा नहीं हो सकता और अगर ऐसा होता है तो उसे बाहर कर दिया जाता है. बीजेपी के ऐसे हमले कांग्रेस के बागी नेताओं के लिए कवच बन जाते हैं.

कांग्रेस के लिए चुनौती.. अनुशासन बनाम अभिव्यक्ति
शायद यही वजह है कि कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती है. एक तरफ उसे अनुशासन बनाए रखना है और दूसरी तरफ यह भी दिखाना है कि पार्टी में बोलने की आजादी है. लेकिन जब उसके ही नेता ऐसे बयान देते हैं जो पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ाते हैं तो कांग्रेस को बैकफुट पर जाना पड़ता है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस इन बागी नेताओं पर कोई सख्त कदम उठाएगी या फिर सिर्फ खामोशी से हालात संभालने की कोशिश करेगी. इसका जवाब सिर्फ राहुल गांधी के पास ही है.

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