Holi 2025: गोवा में शिमगो, बंगाल में डोल पूर्णिमा, जानें देश में कितनी तरह से मनाई जाती है होली…

देश में होली को मनाने का तरीका भी रंगों की तरह है. हर राज्य में अलग नाम और अलग परंपरा. पंजाब में इसे होला-मोहल्ला कहते हैं और महाराष्ट्र में रंगपंचमी. जानिए, देश में होली के कितने नाम और कितना अलग है इसे मनाने का अंदाज..होली यानी खुशियों का त्योहार चंद्र कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन की पूर्णिमा के आखिरी दिन मनाया जाता है. आखिरी दिन सबको रंग-बिरंगा करके फाल्गुन विदा हो जाता है. देश भर में यह त्योहार मनाया जाता है पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रीति-रिवाज का पालन होता है. यही नहीं, अलग-अलग क्षेत्रों में इसका नाम भी अलग-अलग है. कहीं लट्ठमार होली खेली जाती है तो कहीं पर होला मोहल्ला मनाया जाता है.

How festival of colours is celebrated in india: देश में होली को मनाने का तरीका भी रंगों की तरह है. हर राज्य में अलग नाम और अलग परंपरा. पंजाब में इसे होला-मोहल्ला कहते हैं और महाराष्ट्र में रंगपंचमी. जानिए, देश में होली के कितने नाम और कितना अलग है इसे मनाने का अंदाज..होली यानी खुशियों का त्योहार चंद्र कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन की पूर्णिमा के आखिरी दिन मनाया जाता है. आखिरी दिन सबको रंग-बिरंगा करके फाल्गुन विदा हो जाता है. देश भर में यह त्योहार मनाया जाता है पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रीति-रिवाज का पालन होता है. यही नहीं, अलग-अलग क्षेत्रों में इसका नाम भी अलग-अलग है. कहीं लट्ठमार होली खेली जाती है तो कहीं पर होला मोहल्ला मनाया जाता है.

पंजाब में होला मोहल्ला
पंजाब में सिख समुदाय के लोगों द्वारा खेली जाने वाली होली को होला मोहल्ला के नाम से मनाया जाता है. यह वास्तव में एक तरह से वीरता का त्योहार है. इस दौरान घुड़सवारी, तलवारबाजी और मार्शल आर्ट जैसी कलाओं का प्रदर्शन होता है. आनंदपुर साहिब में होला मोहल्ला का सबसे बड़ा आयोजन होता है. बताया जाता है कि इसकी शुरुआत गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने सिख योद्धाओं के लिए की थी.

उत्तराखंड में होली के इतने रंग
उत्तराखंड में होली के कई रूप देखने को मिलते हैं. इनको विशेष रूप से खड़ी होली और बैठकी होली के नाम से जाना जाता है. यह होली संगीत प्रधान होती है. इस दौरान भजन और संगीत के साथ होली मनाई जाती है. वहीं, उत्तराखंड के ही चंपावत जिले में स्थित देवीधुरा मंदिर में बैगवाल होली का आयोजन किया जाता है. इसे पत्थर मार होली के रूप में भी जाना जाता है. इस होली में लोग अलग-अलग दो समूहों में बंटकर हल्के पत्थरों के साथ होली खेलते हैं.

हरियाणा में धुलंडी
हरियाणा के कई गांवों में होली को धुलंडी कहा जाता है. इसे देवर-भाभी की होली भी कहते हैं. इसमें शादीशुदा महिलाएं देवरों के साथ मजाक करती हैं. उन्हें छेड़कर परेशान करती हैं. हंसी-मजाक और प्यार के त्योहार में देवर-भाभी एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालते हैं.

बरसाना की लट्ठमार होली
उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में होली को फाग या फगुआ कहा जाता है. रात में होलिका दहन होता है और अगले दिन एक-दूसरे को रंग लगाने के बाद गुझिया और दूसरे पकवान खिलाकर होली की शुभकामनाएं दी जाती हैं. यूपी के बरसाना और ब्रज में लट्ठमार होली होती है. इसमें वृंदावन, नंदगांव और मथुरा आदि शामिल हैं.लट्ठमार होली देखने और खेलने देश-विदेश के लोग आते हैं. भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की प्रेम कहानी से जुड़ी होली की इस परंपरा में पुरुषों को महिलाएं लाठियों से मारती हैं. पुरुष एक ढाल से खुद को लाठियों से बचाते हैं.

मथुरा-वृंदावन में फूलों की होली
यूपी में ही श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा और वृंदावन में फूलों की होली होती है. श्रीकृष्ण और राधा के भक्त बांके बिहारी मंदिर में खास आयोजन करते हैं. इस दौरान रंगों के स्थान पर फूल बरसाए जाते हैं. भक्त अपने आराध्य श्रीकृष्ण पर भी फूल बरसाते हैं और लंग-गुलाल उड़ाकर खुशी जताते हैं.

राजस्थान में गेर नृत्य का आयोजन
राजस्थान के जयपुर, उदयपुर और बीकानेर आदि क्षेत्रों में होली पर खास आयोजन होता है. जयपुर और उदयपुर में तो लोग पारंपरिक परिधान पहनकर ढोल और नगाड़ों की धुन पर खास नृत्य करते हैं, जिसे गेर नृत्य कहा जाता है. इसलिए इस होली को गेर की होली भी कहते हैं. वहीं, बीकानेर में बाल्टी लेकर होली खेलते हैं. बाल्टी में भरा पानी लोग एक-दूसरे पर डालते हैं.

गुजरात की अट्टी और डांडिया होली
गुजरात में अट्टी और डांडिया होली खेली जाती है. इसके लिए लोग अपने घरों की खास सफाई करके रंगों से दीवार पर शुभ प्रतीक बनाते हैं. फिर डांडिया और गरबा करते हैं. विशेष रूप से कच्छ क्षेत्र में रबारी समुदाय के लोग इस पारंपरिक होली का आयोजन करते हैं.

महाराष्ट्र में रंगपंचमी
महाराष्ट्र में होली को रंगपंचमी के रूप में जाना जाता है. यहां होली पर होलिका दहन होता है. लकड़ियों और गोबर के उपले रखकर दहन किया जाता है. इसके पांच दिन बाद होली खेली जाती है, जिसे रंगपंचमी के रूप में जाना जाता है. इस दौरान लोग रंगों से खेलते हैं. ढोल नगाड़ों की धुन पर नाचते-गाते हैं. विशेष रूप से मुंबई, पुणे और नासिक में गोविंदा होली यानी दही-हांडी का आयोजन होता है. इस दौरान ऊंचाई पर हांडी बांधकर उसे फोड़ा जाता है. इस हांडी में दही भरा होता है. इसीलिए इसको दही-हांडी कहा जाता है.

बसंत उत्सव का आयोजन
पश्चिम बंगाल और ओडिशा में होली बसंत उत्सव और डोल पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है. इस दौरान राधा-कृष्ण की मूर्तियों को तरह-तरह के रंगों से सराबोर कर झूले पर बैठाकर झुलाया जाता है. बंगाल में तो गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन की होली काफी मशहूर है. यहां बसंत उत्सव की शुरुआत रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी. इस दौरान छात्र-छात्राएं पारंपरिक पीले परिधान धारण कर रंग खेलने के साथ ही नृत्य और संगीत से बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं.

यहां भी हैं होली के अलग-अलग नाम
गोवा में होली को शिमगो या शिमगा नाम से जाना जाता है. वहां होली पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के बीच मनाई जाती है. मणिपुर में इसको योशांग या याओशांग कहा जाता है. मणिपुर में लगातार पांच दिनों तक यह त्योहार चलता है. इस दौरान थबल चोंगबा नाम का पारंपरिक नृत्य भी किया जाता है. वहीं, असम में होली को फगवाह अथवा देओल कहा जाता है.

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