
गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी ही पार्टी को एक्सपोज कर दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में नेताओं की कमी नहीं हैं. कांग्रेस में बब्बर शेर हैं लेकिन शेरों के पीछे चेन लगी है, बंधे हुए हैं. आधे भाजपा के लिए काम कर रहे हैं. कांग्रेस नेताओं की पोल खोलते हुए राहुल ने कहा कि कांग्रेस रेस के घोड़े को बारात में डाल देती है. कुछ लोगों को निकालना पड़े तो निकाल देना चाहिए. कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सीधे जनता से जुड़ना ही पड़ेगा तभी जनता आप में यकीन करेगी.
राहुल गांधी ने आगे कहा- कि दिल में कांग्रेस होनी चाहिए. हाथ कटे तो खून कांग्रेस का निकलना चाहिए. मुझे गुजरात के चुनाव के बारे में बात नहीं करनी है. कांग्रेस पार्टी की विचारधारा गुजरात की विचार धारा हैं, जो गांधी ने सिखाया पटेल ने सिखाया है. नेताओं को जनता से जुड़ने की जरूरत है. हमने भारत जोड़ो यात्रा में ये कर दिखाया है. हमारे नेताओं को जनता के पास जाने की जरूरत है.
विपक्ष के पास गुजरात में 40 फीसदी वोट
राहुल ने कहा कि हम सुनने आए हैं, भाषण देने नहीं आए हैं. विपक्ष के पास गुजरात में 40 फीसदी वोट है. गुजरात में कहीं भी दो लोग को खड़ा कर दीजिए. उनमें एक कांग्रेस का है तो एक बीजेपी का है लेकिन हमारे दिमाग में हैं कांग्रेस पार्टी में दम नहीं है. हमारा 5 फीसदी वोट बढ़ जाए तो सब हो जाएगा. तेलंगाना में हमने 22 फीसदी वोट बढ़ाया है.
कुछ लोगों को निकालना पड़े तो निकाल देना चाहिए
राहुल ने कहा कि गुजरात की जनता, व्यापारी, किसान, मजदूर, छात्र प्रदेश में विपक्ष चाहते हैं. ये लोग गुजरात में ‘B-टीम’ नहीं चाहते हैं. मेरी जिम्मेदारी इन दो ग्रुप को अलग करने की है. हमारा पहला काम- इन दो ग्रुप को अलग करना है. अगर हमें सख्त कार्रवाई करनी पड़े, 30-40 लोगों को निकालना पड़े तो निकाल देना चाहिए. बीजेपी के लिए लोग अंदर से काम कर रहे हैं, तो उन लोगों को निकालो और बाहर से बीजेपी के लिए काम करने दो. फिर देखते हैं, कैसे इनकी वहां जगह बनती है, क्योंकि वो उठाकर बाहर फेंक देंगे.
गुजरात अटक गया है, उसे रास्ता नहीं दिख रहा
राहुल ने कहा कि गुजरात अटक गया है, उसे रास्ता नहीं दिख रहा है. गुजरात आगे बढ़ना चाहता है. मैं कांग्रेस पार्टी का सदस्य हूं और मैं कह रहा हूं कि गुजरात की कांग्रेस पार्टी उसे रास्ता दिखाने में असमर्थ है और मैं शर्म से नहीं बोल रहा हूं. मैं डर से नहीं बोल रहा हूं. मैं आपके सामने यह रखना चाहता हूं कि चाहे हमारे कार्यकर्ता हों, चाहे राहुल गांधी हों, चाहे हमारे महासचिव हों, चाहे हमारे पीसीसी अध्यक्ष हों, हम गुजरात को रास्ता दिखाने में असमर्थ हैं. पिछले 30 सालों में गुजरात ने हमसे, मुझसे, हमारे पीसीसी अध्यक्ष से, हमारे प्रभारी से जो अपेक्षाएं की थीं, आज तक हम उन्हें पूरा नहीं कर पाए हैं.