Lakhimpur Kheri News: लखनऊ में आतंक फैलाने वाले बाघ का नया ठिकाना दुधवा

लखनऊ में आतंक फैलाने वाले बाघ का नया ठिकाना दुधवा बन गया है। यह बाघ पहले लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में काफी सक्रिय था, जहां उसने कई हमले किए थे, जिससे स्थानीय लोगों के बीच डर और चिंता का माहौल था। अब यह बाघ उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में अपनी नई आवासीय जगह बना चुका है।लखनऊ में आतंक फैलाने वाला यह बाघ पहले घरेलू जानवरों पर हमला कर रहा था, जिससे उसकी वजह से लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया था।बाघ के आक्रमणों की खबरें लगातार आ रही थीं, जिससे स्थानीय प्रशासन को उसके बारे में सुरक्षा उपाय करने की जरूरत महसूस हुई।दुधवा टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख वन क्षेत्र है और यह बाघों के लिए एक सुरक्षित स्थान माना जाता है।अब इस बाघ का नई जगह पर निवास होना यह संकेत देता है कि वह पारिस्थितिकी तंत्र में फिट होने की कोशिश कर रहा है, और यहां उसके लिए अधिक प्राकृतिक भोजन और आवास की उपलब्धता हो सकती है।

Lakhimpur Kheri News : लखनऊ में आतंक फैलाने वाले बाघ का नया ठिकाना दुधवा बन गया है। यह बाघ पहले लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में काफी सक्रिय था, जहां उसने कई हमले किए थे, जिससे स्थानीय लोगों के बीच डर और चिंता का माहौल था। अब यह बाघ उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में अपनी नई आवासीय जगह बना चुका है।लखनऊ में आतंक फैलाने वाला यह बाघ पहले घरेलू जानवरों पर हमला कर रहा था, जिससे उसकी वजह से लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया था।बाघ के आक्रमणों की खबरें लगातार आ रही थीं, जिससे स्थानीय प्रशासन को उसके बारे में सुरक्षा उपाय करने की जरूरत महसूस हुई।दुधवा टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख वन क्षेत्र है और यह बाघों के लिए एक सुरक्षित स्थान माना जाता है।अब इस बाघ का नई जगह पर निवास होना यह संकेत देता है कि वह पारिस्थितिकी तंत्र में फिट होने की कोशिश कर रहा है, और यहां उसके लिए अधिक प्राकृतिक भोजन और आवास की उपलब्धता हो सकती है।

सुरक्षा और निगरानी:

वन विभाग और सुरक्षा एजेंसियां अब इस बाघ पर लगातार निगरानी रखे हुए हैं। दुधवा में उसकी सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा उचित कदम उठाए जा रहे हैं।बाघ के शिकार करने के तरीकों और उसकी गतिविधियों की निगरानी की जा रही है ताकि किसी प्रकार के मानवीय नुकसान से बचा जा सके।वन विभाग ने बाघ के आवास और शिकार क्षेत्रों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करने की योजना बनाई है कि वह वनों और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करे, और उसके आतंक की समस्या न उत्पन्न हो।यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि स्थानीय निवासी बाघ के नजदीक न जाएं और सुरक्षा नियमों का पालन करें, ताकि किसी तरह की अनहोनी से बचा जा सके। यह घटना जंगलों में बाघों की बढ़ती गतिविधियों और उनके मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर चेतावनी देती है, जिसके समाधान के लिए सरकार और वन्यजीव विभाग को मिलकर सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

लखनऊ के रहमानखेड़ा में करीब 90 दिनों बाद पकड़े गए बाघ का नया ठिकाना दुधवा नेशनल पार्क है। इस बाघ को लखनऊ से लाकर यहां दुधवा की सोनारीपुर रेंज में छोड़ा गया है। इसकी उम्र तीन-चार साल आंकी गई हैं। बता दें कि जंगल से भटक कर एक बाघ सीतापुर होते हुए लखनऊ के रहमानखेड़ा इलाके में पहुंच गया था। वहां पर इसे देखे जाने के बाद उसको पकड़ने का अभियान शुरू किया गया था। करीब तीन महीने से यह अभियान चल रहा था। तीन माह के अथक प्रयास के बाद दो दिन पहले बाघ को वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया था। इसके बाद उसकी जांच की गई तो बाघ पूरी तौर पर सेहतमंद पाया गया था। जिसके बाद उसे दुधवा नेशनल पार्क के जंगल में छोड़ने की सहमति बनी थी।

बृहस्पतिवार को वन विभाग लखनऊ की टीम उसे लेकर दुधवा पहुंची और साउथ सोनारीपुर रेंज के जंगल में बाघ को छोड़ दिया गया। जंगल में जैसे ही पिजड़े का गेट खोला गया वैसे ही बाघ छलांग मारकर भाग निकला। देखते ही देखते जंगल में गुम हो गया। इस बारे में एफडी डॉ. एच राजामोहन ने बताया कि नर बाघ है, जिसकी उम्र भी तीन से चार साल की है।

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