
हाल ही में किए गए एक शोध में यह खुलासा हुआ है कि धमनियों का दिमाग के निचले हिस्से से जुड़ाव और ब्लड प्रेशर (BP) में उतार-चढ़ाव के बीच एक गहरा संबंध हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, जब धमनियां दिमाग के निचले हिस्से को प्रभावित करती हैं, तो इससे ब्लड प्रेशर बेकाबू हो सकता है, जिसे इसेंशियल हाईपरटेंशन कहा जाता है। इसेंशियल ब्लड प्रेशर वह स्थिति है, जिसमें ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है लेकिन इसका स्पष्ट कारण नहीं मिल पाता। इस शोध में यह पाया गया कि दिमाग के निचले हिस्से से जुड़ी धमनियां रक्तसंचार में असंतुलन पैदा कर सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप BP में असामान्य वृद्धि हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नया अध्ययन इसेंशियल हाइपरटेंशन को समझने में मदद कर सकता है और इससे उपचार के नए तरीके सामने आ सकते हैं। इस खुलासे से ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए नई दिशाएं और उपचार के विकल्प मिल सकते हैं, जो उनकी समस्या को हल करने में मददगार साबित हो सकते हैं। शोध के अगुवा न्यूरो साइंसेस विभाग प्रमुख डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि मस्तिष्क स्तंभ के पास से पाइका और बेसिल एंड वर्टिब्रल धमनी गुजरती है। 30 फीसदी रोगियों में पाइका से स्तंभ प्रभावित होता रहा। 25 फीसदी रोगियों में बेसिल एंड वर्टिब्रल और 12 फीसदी रोगियों में दोनों धमनियां स्तंभ पर असर डालती रहीं।
कोलेस्ट्राल के जमाव की वजह से फूलीं धमनियां जब मस्तिष्क स्तंभ (दिमाग का निचला हिस्सा) को छेड़ती हैं तो ब्लड प्रेशर बेकाबू हो जाता है। इस तरह के ब्लड प्रेशर का कारण पैथोलॉजिकल जांचें कराने पर पता नहीं चलता। विशेषज्ञ इसे इसेंशियल ब्लड प्रेशर और न्यूरो वैस्कुलर कॉन्फिलिक्ट भी कहते हैं, लेकिन अब इसका कारण पता चल गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंसेस विभाग के शोध में रोग की वजह पता करके इसका निदान भी कर दिया गया। मस्तिष्क स्तंभ और धमनियों के बीच में एक पतली गद्दी लगा दी गई। इससे धमनियों के फड़कने का असर मस्तिष्क स्तंभ पर नहीं आया और ब्लड प्रेशर नियंत्रित हो गया। न्यूरो साइंसेस विभाग में डेढ़ साल में 98 रोगी ऐसे आए जिन्हें न्यूरो संबंधी रोग होने के पहले से हाई ब्लड प्रेशर रहा है।
इनमें 67 फीसदी रोगियों में हाइपरटेंशन का कोई पैथोलॉजिकल कारण नहीं मिला। इसका मतलब है कि उन्हें गुर्दे की खराबी समेत ऐसी कोई दिक्कत नहीं रही जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। इन रोगियों को शोध में शामिल किया गया। इनकी हिस्ट्री ली गई और जांचें शुरू कर दी गई हैं। मस्तिष्क की एंजियोग्राफी कराई गई तो कारण पता चला। इनके मस्तिष्क स्तंभ के पास गुजरने वाली दो धमनियां ब्लड प्रेशर का कारण रही हैं।
ब्लड प्रवाह के कारण धमनियों के फड़कने से मस्तिष्क स्तंभ प्रभावित होता रहा। शोध के अगुवा न्यूरो साइंसेस विभाग प्रमुख डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि मस्तिष्क स्तंभ के पास से पाइका और बेसिल एंड वर्टिब्रल धमनी गुजरती है। 30 फीसदी रोगियों में पाइका से स्तंभ प्रभावित होता रहा। 25 फीसदी रोगियों में बेसिल एंड वर्टिब्रल और 12 फीसदी रोगियों में दोनों धमनियां स्तंभ पर असर डालती रहीं। उन्होंने बताया कि सर्जरी करके मस्तिष्क स्तंभ और धमनियों के बीच में टेफलॉन लगा दिया गया। कुछ में मांसपेशी का कुशन बना दिया गया। इसके बाद ब्लड प्रेशर ठीक हो गया। इस तरह के और भी रोगियों का आंकड़ा तैयार किया जा रहा है।
मस्तिष्क स्तंभ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने का काम करता है। जब धमनियों के फड़कने का असर इस पर आता है तो शरीर का सिम्प्थैटिक सिस्टम सक्रिय हो जाता है। इसके सक्रिय होने से धमनियां और नसें सिकुड़ जाती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। धमनियों के प्रभाव डालने के दो कारण हैं। कुछ में जेनेटिक कारण होता है जिससे धमनी स्तंभ से सटकर गुजरती है। जब फड़कती है तो स्तंभ पर असर आता है। दूसरा कारण धमनियों का फूलना है। कोलेस्ट्राल के जमाव के कारण धमनियों में सूजन आ जाती है। इस वजह से ये स्तंभ को प्रभावित करने लगती हैं।