
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के खिलाफ अब जुबानी जंग छिड़ गई है। बरेलवी मौलाना ने हाल ही में एक बयान में कहा कि मोहम्मद शमी ने रोजा न रखकर गुनाह किया है और वह शरीयत की नजर में मुजरिम हैं। मौलाना के इस बयान ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने शमी के धार्मिक कर्तव्यों को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि एक मुसलमान होने के नाते शमी को रोजा रखना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, और विभिन्न लोग इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। मोहम्मद शमी, जो अपने क्रिकेट के करियर में कई उपलब्धियों के साथ भारतीय टीम के अहम सदस्य हैं, अभी तक इस बयान पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, इस बयान ने उनके फैंस और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के बीच गहरी चर्चा और बहस को जन्म दिया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने क्रिकेटर मोहम्मद शमी की आलोचना करते हुए कहा कि इस्लाम में रोजा रखना फर्ज है और अगर कोई जान-बूझकर रोजा नहीं रखता, तो वह गुनाहगार होता है। मौलाना के अनुसार, मोहम्मद शमी ने रोजा नहीं रखा और इस कारण उन्होंने बहुत बड़ा गुनाह किया है। शरीयत की नजर में वह मुजरिम हैं। यह विवाद तब शुरू हुआ जब चैंपियंस ट्रॉफी के एक मैच के दौरान मोहम्मद शमी को पानी पीते हुए देखा गया। उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसके बाद मौलानाओं ने उन्हें निशाने पर लिया। मौलाना रजवी ने शमी के इस व्यवहार को इस्लामिक नियमों के खिलाफ करार दिया और कहा कि एक मुसलमान खिलाड़ी को रोजा जरूर रखना चाहिए था। इस बयान के बाद, मोहम्मद शमी पर सोशल मीडिया और धार्मिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। हालांकि, शमी ने इस मामले पर अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, ‘इस्लाम के अनिवार्य फर्जों में से एक है रोजा। अगर कोई स्वस्थ पुरुष या महिला रोजा नहीं रखता है, तो वह बड़ा अपराधी है। क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद शमी ने मैच के दौरान पानी या कोई अन्य पेय पदार्थ पी लिया। लोग उन्हें देख रहे थे। अगर वह खेल रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वह स्वस्थ हैं। ऐसी हालत में उन्होंने रोजा नहीं रखा और पानी भी पी लिया। इससे लोगों में गलत संदेश जाता है। रोजा न रखकर शमी ने गुनाह किया है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। शरीयत की नजर में वह अपराधी हैं। उन्हें खुदा को जवाब देना होगा।