
Women’s Day 2025 : भारतीय रेलवे में महिला यात्रियों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए कुछ प्रमुख कानून और प्रावधान हैं, जिनका हर महिला यात्री को जानना आवश्यक है। ये कानून उन्हें यात्रा के दौरान अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने, किसी भी असुविधा से बचने और जरूरत पड़ने पर सही कदम उठाने में मदद कर सकते हैं।
भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 (धारा 139) आपके यात्रा को सुरक्षित और तनावमुक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण नियम और प्रावधानों का पालन करता है। यदि आप बिना टिकट के यात्रा करते हैं और पकड़े जाते हैं, तो आपके खिलाफ रेलवे अधिनियम के तहत कुछ दंडात्मक प्रावधान हो सकते हैं। यहां इस अधिनियम और अन्य संबंधित नियमों के बारे में जानकारी दी जा रही है, ताकि आप सुरक्षित यात्रा कर सकें और बिना टिकट यात्रा के दंड से बच सकें।
आज भी कई महिलाएं बस या ट्रेन से अकेले यात्रा करने को लेकर चिंतित रहती हैं। अगर उन्हें अकेले सफर करना ही है तो उनका परिवार पहले ये सुनिश्चित करता है कि ट्रेन दिन की हो। इसके अलावा वह जिस कोच में हैं, वहां उनके साथ वाली बर्थ पर परिवार वाले लोग ही बैठे हों ताकि महिला यात्री को सहज और सुरक्षित महसूस हो सके। समय-समय पर परिवार के सदस्य उन्हें फोन करते रहते हैं जब तक महिला अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच जाती। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत से लोगों को रेलवे के उन कानूनों के बारे में पता ही नहीं जो महिला यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए बनाए गए हैं।
प्रिय बहनों, माताओं और आंटियों, अगर आप अकेले रेल यात्रा कर रही हैं तो फिक्र न करें। भारतीय रेलवे आपके साथ है। भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 (धारा 139) आपकी यात्रा को सुरक्षित और तनाव मुक्त बनाने के लिए है। अगर आप बिना टिकट के भी पकड़ी जाती हैं तो सुरक्षित यात्रा के लिए यहां आपको नियम बताए जा रहे हैं, जो रेलवे द्वारा आपको दिए जाते हैं।
ट्रेन से नहीं निकाल सकता कोई
अगर आप कभी ऐसी स्थिति में हैं, जहां आपके पास ट्रेन का टिकट नहीं है, तो TTE (ट्रेन टिकट परीक्षक) आपको बॉलीवुड के खलनायक की तरह ट्रेन से नहीं उतार सकता। आप जुर्माना भरकर अपनी यात्रा जारी रख सकती हैं और अगर आप भुगतान नहीं कर सकती हैं, तब भी आपको ट्रेन से जबरन नहीं उतारा जा सकता जब तक कि वहां कोई महिला कांस्टेबल मौजूद न हो।
महिला कोच में कोई पुरुष नहीं
महिला कोच में पुरुषों का प्रवेश सख्त वर्जित है। अगर कोई अनजान व्यक्ति डेयरडेविल खेलने का फैसला करता है और महिला कोच में प्रवेश करता है, तो उस पर कानूनी रूप से मुकदमा चलाया जा सकता है। इसलिए अगर आपको कोई अवांछित मेहमान दिखाई देता है, तो उसकी रिपोर्ट करने में संकोच न करें।
सेना की भी नो एंट्री
कोई सैन्यकर्मी भी महिला कोच में घुस नहीं सकता। धारा 311 यह स्पष्ट करती है कि महिला कोच केवल महिलाओं के लिए हैं। चाहे वह कोई हाई रैंक या वर्दी वाले सैन्य अधिकारी क्यों न हों। हां, सही सुना। धारा 162 के अनुसार, 12 वर्ष से कम उम्र के लड़के अपनी मां, बहन या अभिभावकों के साथ महिला कोच में यात्रा कर सकते हैं। इसलिए अगर आपको अपने कोच में कोई छोटा लड़का दिखाई देता है, तो वह शायद अपनी मां के साथ यात्रा कर रहा होगा।
महिलाओं के लिए आरक्षित बर्थ
लंबी दूरी की ट्रेन में अकेले यात्रा करना है? भारतीय रेलवे ने गरीब रथ, राजधानी, दुरंतो और पुरी तरह से वातानुकूलित एक्सप्रेस ट्रेनों के स्लीपर क्लास (मेल/एक्सप्रेस ट्रेन) थर्ड टियर एसी (3AC) में महिलाओं के लिए छह बर्थ आरक्षित की हैं। महिला रिजर्व कोटे का टिकट लेने के लिए आपको अकेले यात्रा करने की जरूरत नहीं है, महिलाओं का समूह भी इसका लाभ उठा सकता है।
यात्रा के दौरान सुरक्षा
भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के अंदर और स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरों, 24/7 स्टेशन निगरानी कक्षों और मेरी सहेली (2020 में शुरू) के साथ अपनी सुरक्षा को और बेहतर बनाया है ताकि महिला यात्रियों को बोर्डिंग से लेकर गंतव्य तक पहुंचने में सहायता मिल सके। अगर आपको कभी भी असुरक्षित महसूस होता है, तो बस रेलवे सुरक्षा बल (RPF) से संपर्क करें। यात्रा के दौरान रेलवे आपात स्थिति, सुरक्षा समस्या या किसी मदद के लिए 139 पर संपर्क करें।