“बसपा में आया बड़ा बदलाव, आकाश आनंद की जगह लेने वाले रामजी गौतम कौन हैं?”

बसपा प्रमुख मायावती ने एक के बाद एक सख्त कदम उठाकर पार्टी का सारा गेम ही बदल दिया. मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से पहले सारे पद छीने और फिर बसपा से बाहर कर दिया. आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पहले ही पार्टी से निकल चुकी है. मायावती के सियासी उत्तराधिकारी रहे आकाश आनंद की जगह बसपा में अब रामजी गौतम ने ले ली है, तो अशोक सिद्धार्थ के सारे काम राजा राम को सौंप दिया है. सवाल यह उठता है कि आकाश आनंद को रिप्लेस करने वाले रामजी गौतम और अशोक सिद्धार्थ की जगह लेने वाले राजा राम कौन हैं और कैसे उन्होंने मायावती का दिल जीतने में कामयाब रहे?

मायावती ने लखनऊ में रविवार को बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बड़ी बैठक बुलाई थी. रामजी गौतम पहुंचे और अपने बैठने के लिए कुर्सी तलाशने लगे. इस दौरान एक कर्मचारी ने गौतम से बोला कि मायावती ने निर्देश दिया है कि आपको मंच के दाईं को रखी कुर्सी पर बैठना है. इसके बाद रामजी गौतम ने दाईं ओर रखी दूसरे नंबर की कुर्सी पर जाकर बैठ गए, जिसके बाद साफ हो गया था कि आकाश आनंद को बसपा मं रामजी गौतम ने रिप्लेस कर दिया.

मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार के साथ रामजी गौतम को पहले बसपा का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया, लेकिन बुधवार को उन्होंने आनंद कुमार से नेशनल कोऑर्डिनेटर का पद वापस ले लिया और अब वो सिर्फ उपाध्यक्ष के पद पर रहेंगे. रामजी के साथ रणधीर बेनीवाल को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बना दिया है. मायावती ने ट्वीट कर कहा कि रामजी गौतम और रणधीर बेनीवाल हमारे दिशा-निर्देश पर काम करेंगे और पार्टी को मजबूत बनाने के लिए देश भर में काम देखेंगे.

बसपा सूत्रों की मानें तो आनंद कुमार दिल्ली में रहेंगे और पार्टी के कागजी काम देखेंगे. रामजी गौतम और रणधीर बेनी पार्टी समर्थकों से जुड़ने, जमीनी रिपोर्ट एकत्र करने और मायावती के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए देश भर की यात्रा करेंगे. इसके अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और प्रदेश संगठनों के साथ समन्वय बनाए रखने का काम करेंगे. बसपा में अभी तक ये काम मायावती ने आकाश आनंद को दे रखा था, लेकिन अब रामजी गौतम और रणधीर बेनीवाल के बीच बांट दिया है.

रामजी गौतम का सियासी सफर
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से रामजी गौतम आते हैं और जाटव समाज से हैं. बसपा में दूसरी बार नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए गए हैं. उनका जन्म 1 जून 1976 को हुआ है. केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई की और उसके बाद मार्केटिंग-प्रोडक्शन में एमबीए किया. पॉलिटेक्निक संस्थान में गेस्ट शिक्षक के रूप में काम किया और उसके बाद रिलायंस समूह के टेलीकॉम में मैनेजर की नौकरी करने लगे. नौकरी करने पंजाब गए तो बीएसपी के लिए काम शुरू कर दिया.

बसपा के साथ कैसे जुड़े रामजी
हालांकि, रामजी गौतम ने बचपन से ही दलितों के सियासी मसीहा डा. आंबेडकर और बसपा के संस्थापक कांशीराम की विचारधारा से प्रभावित होकर राजनीति में आने के फैसला कर लिया था. बारह साल की उम्र में ही बसपा के कार्यक्रमों में शामिल होने लगे थे. उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हुए कई बार रामजी गौतम ने स्कूल से छुट्टी कर मायावती और कांशीराम को सुनने के लिए लखनऊ की रैलियां जाया करते थे. इस तरह उन्होंने सियासत में आने और बसपा के साथ जुड़ने का फैसला किया.

रामजी गौतम ने 1990 में बसपा में शामिल हुए और तीन साल के भीतर पार्टी के बूथ अध्यक्ष बन गए. इसके बाद उन्हें लखीमपुर खीरी में सेक्टर अध्यक्ष बसपा बना दिया गया और विधानसभा महासचिव के रूप में काम किया. अशोक सिद्धार्थ के संपर्क में आने के बाद 2011 में वह नौकरी छोड़कर पूरी तरह से बसपा से जुड़ गए और पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया. अशोक सिद्धार्थ ने रामजी गौतम को 2014 में मायावती से मुलाकात कराने का काम किया, जिसके बाद बसपा में उन्होंने अपनी जड़ें जमानी शुरू कर दीं.

अशोक सिद्धार्थ-रामजी गौतम की जोड़ी
बुंदेलखंड क्षेत्र के कोऑर्डिनेटर के तौर पर अशोक सिद्धार्थ काम कर रहे थे तो उन्होंने मायावती से कहकर रामजी गौतम को अपने साथ बुंदेलखंड क्षेत्र का का प्रभारी नियुक्त करवा दिया. इसके बाद मायावती ने उन्हें शाहजहांपुर जिले की पुवायां विधानसभा सीट के प्रभारी बनाया. अशोक सिद्धार्थ जब बसपा के दक्षिण भारत के कोऑर्डिनेटर बनाए गए तो उन्होंने रामजी गौतम को भी मायावती से कहकर अपने साथ ले लिया. अशोक ने मायावती से कहा था कि रामजी गौतम अच्छी अंग्रेजी जानते हैं और दक्षिण भारत में बेहतर काम कर सकते हैं.

मायावती ने 2016 में रामजी गौतम को तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल का प्रभारी नियुक्त कर दिया. इसके बाद अशोक सिद्धार्थ ने बसपा में वीर सिंह और जय प्रकाश के बढ़ते सियासी प्रभाव को तोड़ने का लिए रामजी गौतम को अपने साथ मिला रखा था. मायावती ने दो साल बाद रामजी गौतम को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का जिम्मा भी सौंप दिया. इस दौरान मायावती ने जयप्रकाश पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटा दिया, क्योंकि उन्होंने राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी के बारे में गलत टिप्पणी कर दी थी.

जय प्रकाश के बसपा से बाहर किए जाने के बाद मायावती ने रामजी गौतम को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया. एक साल बाद मायावती ने रामजी गौतम को हटाकर अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया और आनंद कुमार को नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर दिया. साथ ही मायावती ने रामजी गौतम को पार्टी के लिए अलग-अलग राज्यों में लगाए रखा. अशोक सिद्धार्थ का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो गया था. रामजी गौतम के बिहार प्रभारी रहते हुए बसपा एक सीट जीतने में सफल रही.

रामजी ने मायावती का विश्वास हासिल करने में पूरी तरह सफल रहे. मायावती ने 2020 में रामजी गौतम को राज्यसभा भेज दिया. 2022 में मायावती ने रामजी गौतम को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाने के साथ दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड का प्रभारी बनाया. इसके बाद मायावती ने आकाश आनंद को रामजी गौतम के साथ बसपा के सियासी तौर-तरीके सीखने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश में लगाया.

साल 2023 में अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ से ही आकाश आनंद से हुई. अशोक सिद्धार्थ को बसपा में मायावती के बाद सेकेंड लाइन के अहम नेता माने जाते थे. रामजी गौतम को बसपा में आगे बढ़ाने का काम एक समय अशोक सिद्धार्थ ने किया. रामजी गौतम और अशोक ने मिलकर वीर सिंह और जय प्रकाश को निपटाया. इसके बाद अशोक सिद्धार्थ ने रामजी गौतम से सहारे आकाश आनंद को स्थापित करने का दांव चला, लेकिन रामजी की सियासी महत्वाकांक्षा कम नहीं थी.

दक्षिण भारत में काम करते रामजी गौतम ने अशोक सिद्धार्थ की तरह से अपना अच्छा खासा गुट तैयार कर लिया था और मायावती का भरोसा जीतने में काफी हद तक सफल हो गए. रामजी गौतम के साथ काम करते हुए आकाश आनंद ने भोपाल में भी पैदल मार्च का नेतृत्व किया और राजभवन का घेराव करने निकले. राजस्थान के अलवर में 14 किमी लंबी पदयात्रा निकाली. इस यात्रा ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया.

अशोक की चालाकी से बना गौतम का काम
आकाश की मेहनत और बढ़ते कद को देखते हुए मायावती ने उन्हें इनाम भी दिया. मायावती ने आकाश आनंद को अपना सियासी उत्तराधिकारी बनाया, तभी रामजी गौतम ने खामोशी के साथ अपना ताना बाना बुनना शुरू कर दिया. 2024 के महाराष्ट्र चुनाव में मायावती प्रचार करने गई तो वहां की जिम्मेदारी अशोक सिद्धार्थ के पास थी. मायावती का स्टाफ जिस होटल में ठहरा था, उसका अशोक सिद्धार्थ ने भुगतान नहीं किया गया. इस संबंध में एक नोटिस मायावती का आ गया, जिसके बाद ही मायावती के नजर से अशोक सिद्धार्थ की छवि धूमिल हो गए.

अशोक सिद्धार्थ यहीं नहीं रुके और उन्होंने आकाश आनंद के लिए सियासी लॉबिंग शुरू कर दी. अशोक सिद्धार्थ के इस कदम से बसपा दो गुटों में बंटने लगी. रामजी गौतम को इसी का लाभ मिला और उन्होंने मायावती के विश्वास को बनाए रखा. मायावती को बसपा में दो गुटों की खबर लगी तो उन्होंने एक भी मिनट अशोक सिद्धार्थ को निकालने में देर नहीं की और उसके बाद आकाश आनंद को भी बाहर कर दिया. आकाश आनंद से लेकर मायावती ने रामजी गौतम को जिम्मा दे दिया.

अशोक सिद्धार्थ से लेकर राजा राम को सौंपा
मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को बाहर कर दिया है और उनके पास रहे जिम्मेदारी को राजाराम को सौंप दी है. तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र का प्रभारी राजा राम को बनाया है. ये राज्य पहले आकाश आनंद के के ससुर पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ के जिम्मे थे. इन राज्यों के अलावा राजाराम पार्टी के लिए गुजरात की जिम्मेदारी भी संभालेंगे. आजमगढ़ जिले के लालगंज कस्बे के रहने वाले राजाराम भी जाटव समुदाय से हैं. वे 26 साल की उम्र में बसपा में शामिल हुए और 1993 में कांशीराम और मायावती के साथ काम करना शुरू किया.

वाराणसी में काशी विद्यापीठ से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने शुरुआत में दिल्ली में पार्टी समन्वयक के रूप में काम किया, जहां वे कांशीराम के साथ डोर-टू-डोर आउटरीच कार्यक्रम के दौरान साथ रहे और बाद में उनके साथ विभिन्न राज्यों में काम किया. मायावती ने रामजी गौतम के साथ रणधीर बेनीवाल को नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया है.

 

 

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