
बसपा की दरकती हुए सियासी जमीन को बचाए रखने के लिए मायावती आठ साल पहले अपने भतीजे आकाश आनंद को राजनीति में लाई थीं. मायावती ने आकाश आनंद को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर से लेकर अपना उत्तराधिकारी तक बनाया था, लेकिन रविवार को दोनों को पद से मुक्त कर दिया है. आकाश पर कार्रवाई के लिए बसपा प्रमुख ने पूरी तरह से उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदार ठहराया है. एक साल में ये दूसरी बार है जब मायावती को अपने ही भतीजे आकाश आनंद के खिलाफ सख्त एक्शन लेना पड़ा है.
आकाश आनंद पर कार्रवाई करते हुए मायावती की नाराजगी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को खरी-खरी सुनाने के साथ-साथ आकाश की पत्नी को भी नहीं बख्शा. मायावती ने कहा कि अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी को सियासी नुकसान पहुंचाने के साथ आकाश का पॉलिटिकल करिअर भी खराब कर दिया है. इसी वजह से आनंद कुमार ने बदले हालात में पार्टी और मूवमेंट के हित में अब अपने बच्चों का रिश्ता गैर-राजनीतिक परिवार के साथ ही जोड़ने का फैसला किया है.
आकाश आनंद पर गिरी मायावती की गाज
आकाश आनंद 2016 से सियासत में कदम रखा, लेकिन राजनीतिक चर्चा में 2017 में आए थे. पहली बार वह मायावती के साथ तब नजर आए जब वो सहारनपुर दंगों के दौरान वहां गई थीं, उसी साल आकाश का पार्टी की बैठक में परिचय करवाया. इसके बाद मायावती धीरे-धीरे उनको पार्टी में अहम जिम्मेदारियां देती गईं और देखते ही देखते राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और फिर कोऑर्डिनेटर बनाया. इसके बाद 2024 से पहले मायावती ने उन्हें अपना सियासी उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.
मायावती के सियासी उत्तराधिकारी बनने के साथ ही आकाश आनंद ने आक्रामक चुनाव प्रचार करना शुरू कर दिया, लेकिन उसी दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद एफआईआर हो गई. इसके बाद मायावती को आकाश आनंद को 7 मई 2024 को लोकसभा चुनाव के बीच में उनको उत्तराधिकारी और राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया, लेकिन अगले ही महीने उन्हें फिर से बहाल कर दिया. मायावती ने आकाश को दूसरे राज्यों में बसपा संगठन और चुनाव का जिम्मा सौंपा, लेकिन आठ महीने के बाद दोबारा से उन्हें हटा दिया.
आकाश की कुर्सी पर रामजी विराजमान
बसपा के सूत्रों की मानें तो मायावती ने 17 फरवरी को ही दिल्ली में पार्टी की बैठक में आकाश आनंद को अपने फैसले से अवगत करा दिया था. रविवार को लखनऊ की राष्ट्रीय कार्रकारिणी की बैठक में औपचारिक रूप से आकाश आनंद को हटाए जाने की मुहर लगी है. लखनऊ की बैठक में आकाश की अनुपस्थिति स्पष्ट थी और आमतौर पर उन्हें आवंटित की जाने वाली कुर्सी पर पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर रामजी गौतम बैठे नजर आए. बसपा में अब आकाश आनंद की जगह रामजी गौतम ने ले ली है.
हालांकि, रामजी गौतम के साथ मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को भी बसपा का राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाया है, जो आकाश के पिता हैं. रामजी गौतम और आनंद कुमार मिलकर बसपा को देशभर में मजबूत बनाने का काम करेंगे. मायावती के एक्शन के बाद आकाश आनंद के लिए सियासी टेंशन पैदा हो गई है. बसपा सूत्रों की मानें तो आनंद कुमार दिल्ली में रहेंगे और पार्टी के कागजी काम देखेंगे, पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और राज्य इकाइयों के साथ समन्वय करेंगे. साथ ही रामजी गौतम पार्टी समर्थकों से जुड़ने,जमीनी रिपोर्ट एकत्र करने और मायावती के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए देश भर की यात्रा करेंगे.
आकाश आनंद का क्या खत्म हो गई सियासत?
बसपा में आकाश आनंद के लिए फिलहाल सियासी स्पेश नहीं बचा है, क्योंकि बसपा प्रमुख ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि अशोक सिद्धार्थ ने आकाश आनंद का पॉलिटिकल करिअर खराब कर दिया है. बसपा से निष्कासन के बाद सिद्धार्थ अपनी बेटी पर कितना प्रभाव डालेंगे और वो आकाश पर कितना प्रभाव डालेंगे, यह अभी तक सकारात्मक नहीं दिख रहा है. ऐसी स्थिति में पार्टी और आंदोलन के हित में आकाश को पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से हटा दिया गया है.
मायावती ने अशोक सिद्धार्थ के साथ-साथ बीएसपी के पूर्व केंद्रीय-राज्य समन्वयक नितिन सिंह को 12 फरवरी को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. उन पर गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. इस कार्रवाई के 18 दिन के बाद मायावती ने आकाश को सारे पदों से मुक्त कर दिया है. मायावती ने कहा कि अशोक ने यूपी सहित पूरे देश में पार्टी को दो गुटों में बांटकर कमजोर करने का घिनौना कार्य किया, जो कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं है.
बसपा प्रमुख ने कहा कि यह सब उनके (अशोक सिद्धार्थ) लड़के की शादी में भी देखने को मिला था, अशोक को पार्टी से निकालने के बाद उनकी बेटी पर उनके पिता का कितना प्रभाव पड़ता है और आकाश पर अपनी पत्नी का कितना प्रभाव पड़ता है, यह सब अब हमें देखना होगा, जो फिलहाल अभी तक पॉजिटिव नहीं रहा है. इस तरह मायावती मानती हैं कि आकाश पर उनके ससुर और पत्नी का प्रभाव है, जिस लिहाज से उन्हें बसपा के पदों पर रखा नहीं जा सकता है. एक साल में दो बार लिए गए एक्शन से आकाश आनंद के लिए बसपा में बहुत ज्यादा सियासी स्पेश नहीं बचा है, मायावती का भरोसा उन पर नहीं रहा.
आकाश आनंद किसी दलित आंदोलन और बसपा के सियासी कैडर से निकलकर राजनीति में नहीं आए हैं, बल्कि मायावती की विरासत में उन्हें सियासत मिली है. आकाश आनंद बसपा प्रमुख के भतीजे हैं और उन्हीं के छत्रछाया में राजनीति में आए थे, लेकिन 2024 के चुनाव प्रचार के दौरान अपने सियासी तेवर से एक मजबूत चेहरे के तौर पर स्थापित हुए थे, लेकिन उसके बाद से ही मायावती के निशाने पर आए गए हैं. इस तरह एक साल में दो बार लिए गए एक्शन से आकाश आनंद का सियासी करियर पर संकट गहरा गया है.
आकाश आनंद के पास अब क्या विकल्प
मायावती ने दूसरी बार भतीजे आकाश आनंद के सियासी पर कतरने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर पद और सियासी उत्तराधिकारी पद से हटाए जाने के बाद सभी के मन में एक ही सवाल है कि अब उनका आगे का भविष्य क्या होगा? आकाश आनंद बसपा में बने रहेंगे या फिर अलग कोई नई राजनीतिक राह तलाशेंगे?
वेट एंड वॉच: आकाश आनंद के पास पहला विकल्प बसपा में बने रहने का है. मायावती ने भले ही उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर व सियासी उत्तराधिकारी से हटाया हो, लेकिन पार्टी के सदस्य अभी हैं. मायावती ने आकाश आनंद को बसपा ने बाहर नहीं निकाला है. इस तरह पार्टी में एक आम कार्यकर्ता की तरह काम करते रहे और सही वक्त का इंतजार करें. इसकी वजह यह भी है कि आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार अभी भी मायावती के बाद दूसरे नंबर का कद रखते हैं.
मायावती का जीते भरोसा: मायावती का भरोसा आकाश आनंद खो चुके हैं. ऐसे में अब उनकी कोशिश फिर से बसपा प्रमुख के भरोसा जीतने की दिशा में होनी चाहिए. मायावती को इस बात के यकीन आकाश आनंद दिलाएं कि वह अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में नहीं है. इस दिशा में वो सफल हो जाते हैं तो बसपा में खोए हुए सभी पद दोबारा से पा सकते हैं. मायावती के बारे में कहा जाता है कि जितनी तेजी से गुस्सा होती हैं, उतनी तेजी से पिघल भी जाती हैं. मायावती अगर उनके काम से संतुष्ट होती हैं तो क्या पता भविष्य में फिर उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंप दी जाए.
बसपा से अलग होंगे: मायावती के एक्शन के बाद आकाश आनंद के सामने यह भी विकल्प भी है कि बसपा से बाहर अपना सियासी भविष्य तलाशें. इस बात की बहुत कम ही गुंजाइश है, क्योंकि बसपा से बाहर जाने की दिशा में कदम उठाना आसान नहीं है. बसपा छोड़ने वाले नेताओं का सियासी करियर बहुत ज्यादा सफल नहीं रहा. इसकी वजह यह है कि दलित समाज पर जो भी पकड़ है, वो मायावती की ही है. आकाश आनंद परिवार से अलग जाने के लिए सोच भी नहीं सकते हैं.
कारोबार पर फोकस: आकाश आनंद राजनीति में जरूर हैं, लेकिन कारोबार से भी जुड़े हुए हैं. लंदन से बिजनेस की पढ़ाई करने के बाद से बिजनेस में लगे हुए हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि मायावती के एक्शन के बाद खामोशी के साथ अपने करोबार पर खास फोकस कर सकते हैं. इस दिशा में उनके कदम बढ़ाए जाने की सबसे ज्यादा उम्मीद है. हालांकि, देखना होगा कि आकाश आनंद किस दिशा में अपना कदम आगे बढ़ाते हैं?