Maha Kumbh Aakhri Snan: महाकुंभ के अंतिम दिन महाशिवरात्रि के अवसर पर त्रिवेणी संगम या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन को लेकर श्रद्धालुओं में गहरी आस्था देखने को मिली, जहां लाखों भक्तों ने संगम के तट पर स्नान कर पुण्यलाभ प्राप्त किया। पवित्र स्नान को मोक्षदायी माना जाता है, जो व्यक्ति के पापों का नाश करता है और पुण्य प्रदान करता है। महाकुंभ में यह दिन विशेष महत्व रखता है, और इसे आस्था एवं विश्वास के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर महाकुंभ में संपूर्ण विधिपूर्वक पूजा-अर्चना भी की और भगवान शिव की आराधना की। इस दिन की महिमा को लेकर विशेष पूजा एवं आयोजन भी किए गए।
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महाकुंभ का पवित्र पर्व 13 जनवरी से प्रारंभ हुआ था, जिसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर आखिरी स्नान के साथ होगा।
इस दौरान देशभर से आए संतों, साधुओं और श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पहला अमृत स्नान संपन्न हुआ। इसके पश्चात दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या पर और तीसरा बसंत पंचमी के दिन हुआ। तीसरे स्नान के उपरांत कई संत-महात्माओं ने अपने अखाड़ों की ओर प्रस्थान किया। वहीं महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान संपन्न किया जाएगा। महाशिवरात्रि के अवसर पर त्रिवेणी संगम या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह स्नान मोक्षदायी होता है और व्यक्ति के पापों का नाश कर पुण्य प्रदान करता है। आइए जानते हैं इस पावन अवसर पर स्नान और दान के लिए शुभ मुहूर्त और विधि क्या है।
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महाकुंभ समापन तिथि..
माघ पूर्णिमा के बाद महाकुंभ का अंतिम स्नान महाशिवरात्रि के दिन होगा। इस वर्ष महाशिवरात्रि की तिथि का आरंभ 26 फरवरी को प्रातः 11:08 बजे होगा और इसका समापन 27 फरवरी को प्रातः 8:54 बजे होगा। चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में की जाती है, अतः व्रत भी 26 फरवरी को रखा जाएगा और इसी दिन महाकुंभ मेले का समापन होगा।
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महाकुंभ स्नान के शुभ मुहूर्त..
हिंदू पंचांग के अनुसार, अंतिम महा स्नान के लिए विशेष शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 5:09 बजे से 5:59 बजे तक
प्रातः संध्या- प्रातः 5:34 बजे से 6:49 बजे तक
अमृत काल- प्रातः 7:28 बजे से 9:00 बजे तक
विजय मुहूर्त- दिन के 2:29 बजे से 3:15 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 6:17 बजे से 6:42 बजे तक
महाकुंभ समापन के दिन स्नान की विधि..
स्नान करने से पहले गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का स्मरण करें। जल अर्पण करते हुए संकल्प लें कि यह स्नान आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जा रहा है। स्नान के दौरान “ॐ नमः शिवाय” और “हर हर गंगे” मंत्र का जाप करें और तीन या सात बार डुबकी लगाएं। सूर्य को जल अर्पित करते हुए “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र बोलें। स्नान के पश्चात जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करें। शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्वपत्र और धतूरा चढ़ाएं। साथ ही आप रुद्राभिषेक कर सकते हैं या “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करें।