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Lakhimpur Kheri News : प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 2025, आस्था और निवेश का संगम बनकर उभरा है। इस आयोजन में अब तक 53 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया है, जो इसकी विशालता और महत्व को दर्शाता है।अब तक 53 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया है, जो इस मेले की विशालता को प्रमाणित करता है।मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि जैसे विशेष स्नान पर्वों पर लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई।महाकुंभ मेला उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, जिससे राज्य की जीडीपी में वृद्धि हो रही है।इस आयोजन से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।पुलिस बल की तैनाती, सीसीटीवी निगरानी और बैरिकेडिंग जैसी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंभी में कहा- कि प्रयागराज में महाकुंभ के पवित्र स्नान के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु उमड़ रहे हैं, वहीं लखीमपुर खीरी में निवेश का महाकुंभ कुंभी में देखने को मिल रहा है।यहां बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड 2850 करोड़ की लागत से देश का पहला बायोपॉलिमर संयंत्र स्थापित होगा। सरकार ने देश के पहले बायोप्लास्टिक प्लांट का जो एमओयू किया था, उसे आज जमीनी धरातल पर उतारा गया है। यह अपनी तरह का देश का पहला निवेश है। यह बायोप्लास्टिक प्लांट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प को साकार करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कुंभी चीनी मिल परिसर में 2850 करोड़ की लागत से देश के प्रथम बायोपॉलिमर संयंत्र के शिलान्यास कार्यक्रम में ये बातें कहीं। सीएम ने कहा-कि 2850 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह संयंत्र भारत का पहला इंटीग्रेटेड संयंत्र होगा। इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी। यूपी सरकार यहां के युवाओं के स्किल डेवलपमेंट के लिए प्लांट के साथ एमओयू करेगी, जिससे पढ़ाई कर रहे छात्र सीधे रोजगार से जुड़ सकें।
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सीएम योगी ने कहा- कि संयंत्र पाली लैक्टिक एसिड आधारित बायोप्लास्टिक का उत्पादन करेगा, जिससे पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद जैसे डिस्पोजेबल बोतलें, खाद्य ट्रे, कटलरी, आइसक्रीम कप और कैरी बैग बनाए जाएंगे। इस प्लास्टिक की विशेषता यह होगी कि यह 3 से 6 महीनों में स्वयं ही मिट्टी में घुलकर नष्ट हो जाएगा, जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
उन्हाेंने कहा कि यह संयंत्र शून्य-तरल अपशिष्ट के सिद्धांत पर भी काम करेगा, जिससे कोई भी हानिकारक अपशिष्ट नदियों या नालों में नहीं बहेगा। परियोजना से हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और चीनी उद्योग में नई संभावनाएं खुलेंगी।
मुख्यमंत्री ने बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड से संयंत्र को आईटीआई, पॉलिटेक्निक और स्थानीय महाविद्यालयों से जोड़ने के लिए कहा। जिससे यहां के युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलें। उन्होंने विश्वास जताया कि यह संयंत्र पर्यावरण संरक्षण, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक मील का पत्थर साबित होगा। इस अवसर पर जिले के प्रभारी मंत्री/ आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल, राज्यमंत्री संजय सिंह गंगवार, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव चीनी उद्योग वीणा कुमारी मीना, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक सरावगी, कार्यकारी निदेशक अवंतिका सरावगी, कुंभी यूनिट के मुख्य महाप्रबंधक डॉ सुनील कुमार यादव आदि उपस्थित थे।
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