Unnao News : मनरेगा मजदूर का हक किसने छीना और क्यों जानें ?

Unnao News : मनरेगा मजदूरों की मजदूरी हड़पने के आरोप में ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की गई है। आरोप है कि प्रधान ने मजदूरों को काम के बावजूद उनकी मेहनताना नहीं दिया और उन्हें धोखा दिया। इसके बाद, संबंधित अधिकारी ने प्रधान के अधिकार को सीज कर दिया है और जांच शुरू कर दी है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रधान ने मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों से मेहनताना की रकम हड़प ली और उन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं किया। जब इस मुद्दे को लेकर मजदूरों ने शिकायत की, तो अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की।

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प्रशासन ने प्रधान के अधिकार को सीज कर दिया और अब इस मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। पुलिस ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है और दोषी प्रधान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं और आशा जताई है कि इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि मजदूरों का शोषण न हो सके।

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विकासखंड सफीपुर की ग्राम पंचायत पीखी के प्रधान ने मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का साढ़े सात लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए। जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद डीएम ने प्रधान के अधिकार सीज कर दिए हैं। साथ ही एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा जांच के दायरे में आए दो सचिवों के निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

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पीखी गांव के मेराज के दिए गए शिकायतीपत्र के आधार पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी व आरईडी फतेहपुर चौरासी के अवर अभियंता ने गांव में जाकर जांच की। जांच में पता चला कि पंचायत भवन निर्माण में मिट्टी भरान व मजदूरी का भुगतान 919082 रुपये बना था। अभिलेखीय जांच में ग्राम स्वराज्य पोर्टल से मिले आंकड़ों की जांच में जानकारी हुई कि इस धनराशि में मजदूरी का 760024 रुपये प्रधान हसीबुद्दीन ने अपने खाते में ले लिए।

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जांच रिपोर्ट मिलने के बाद डीएम गौरांग राठी ने प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 15 दिन में जवाब मांगा। प्रधान ने बचाव में जो जवाब दिया, उसे डीएम ने भ्रामक व मनगढ़ंत पाया। इसी आधार पर डीएम ने प्रधान हसीबुद्दीन के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिए। डीएम ने प्रधान पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश बीडीओ सफीपुर को दिए।
जांच में प्रधान के साथ दोषी पाए गए तत्कालीन सचिव गंगाबक्स भारती व एक अन्य ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जिला विकास अधिकारी को दिए हैं।

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अंतिम जांच रिपोर्ट मिलने के बाद होगी रिकवरी…

सीडीओ प्रेम प्रकाश मीणा ने बताया- कि पंचायतीराज अधिनियम के तहत वित्तीय, प्रशासनिक अधिकार सीज किए जाने के बाद भी अंतिम जांच करानी जरूरी होती है। इसलिए डीएम ने अंतिम जांच उपकृषि निदेशक को सौंपी है। 15 दिन में जांच रिपोर्ट मिलने के बाद रिकवरी की कार्रवाई शुरू की जाएगी। सरकारी धन की रिकवरी प्रधान के साथ पंचायत के सचिवों से भी की जाएगी।

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मामले में एक बड़ा खुलासा यह हुआ है कि जो पंचायत भवन बना है। वह खाद गड्ढे के नाम दर्ज जमीन पर है। जांच में इसकी पुष्टि हुई है। पता चला है कि लेखपाल ने भूमि का चिह्नांकन कराया था। इसके लिए भूमि प्रबंधन समिति की बैठक भी नहीं कराई गई थी। लेखपाल के भूमि चिह्नित कर देने के बाद पंचायत भवन का निर्माण करा दिया गया था। डीएम ने लेखपाल को निलंबित करने के आदेश एसडीएम सफीपुर को दिए हैं।

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पुरवा के बनिगांव में एडीपीआरओ के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम ने गांव जाकर जांच की थी। सत्यापन में 104 शौचालय धरातल पर नहीं मिले थे। जिम्मेदारों ने कागजों पर शौचालय बनवा दिए थे। उसकी जिओ टैगिंग भी विभागीय वेबसाइट पर करा दी थी। जबकि जिस लाभार्थी के घर में शौचालय बने होने की जिओ टैग की गई थी, असलियत में उसके यहां शौचालय बना ही नहीं था। जांच में 12.48 लाख रुपये के सरकारी धन के गबन की पुष्टि हुई थी। इसमें तत्कालीन (वर्तमान में हिलौली ब्लॉक में तैनात) पंचायत सचिव जय प्रकाश सोनकर को निलंबित कर दिया गया था। प्रधान सावित्री देवी को जारी की गई नोटिस के जवाब का इंतजार किया जा रहा है।

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बिछिया विकासखंड की ग्राम पंचायत तारगांव में विकास कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत की जांच डीएम के निर्देश पर जिला लेखा परीक्षा अधिकारी ने गांव में जाकर की थी। स्थलीय सत्यापन और अभिलेखों से मिलान करने पर पता चला था कि 2020-21 में ग्राम पंचायत के मजरा पकरा में ललतू के घर से आगे उत्तर में दुर्गा मंदिर तक मार्ग का निर्माण कराया गया था। इसी मार्ग की तीन टुकड़ों में बदले नाम से वर्ष 2021-22 में फर्जी फाइल तैयार करके इंटरलॉकिंग व नाली निर्माण दिखाकर 568642 रुपये निकाले जाने की पुष्टि हुई थी। डीएम गौरांग राठी ने प्रधान चंद्रपाल को नोटिस जारी करते हुए जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया था। हालांकि जमीन धोखाधड़ी के एक मामले में प्रधान के जेल में होने से जवाब नहीं मिल सका है। इसलिए आगे की कार्रवाई लंबित चल रही है।

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