मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में भिखारी को भीख देने पर अब सख्त कार्रवाई की जा रही है. प्रशासन ने भीख लेने और देने पर रोक लगा दी है और इसे गैर-कानूनी करार दिया है. इंदौर को देश का पहला ‘भीख मुक्त शहर’ बनाने का लक्ष्य रखा गया है. सोमवार को लसूड़िया थाना क्षेत्र में मंदिर के बाहर एक व्यक्ति ने भिखारी को 10 रुपए दिए. इसके बाद प्रशासन की भिक्षावृत्ति उन्मूलन टीम ने इसकी शिकायत दर्ज की और आरोपी वाहन चालक के खिलाफ FIR दर्ज की. 15 दिनों में यह दूसरी घटना है, जब किसी को भिखारी को पैसे देने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.
इंदौर पुलिस ने बताया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 223 के तहत FIR दर्ज की गई है, जो लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवहेलना के लिए है. इससे पहले 23 जनवरी को खंडवा रोड पर एक मंदिर के पास एक व्यक्ति पर भिखारी को भीख देने पर FIR दर्ज की गई थी.
इंदौर जिला प्रशासन का कहना है कि पिछले छह महीनों में शहर में 600 से ज्यादा भिखारियों को पुनर्वास के लिए आश्रय गृहों में भेजा गया है. इनमें लगभग 100 बच्चों को बाल देखभाल संस्थानों में भेजा गया है. इन भिखारियों में से कई लोग ट्रैफिक सिग्नल पर गुब्बारे और अन्य सामान बेचने के बहाने भीख मांगते पाए गए थे.
नियम तोड़ने पर 5 हजार तक जुर्माना
इंदौर प्रशासन ने भीख मांगने, देने और भिखारियों से सामान खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध लगा दिया है. यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर एक साल तक की सजा, पांच हजार रुपए तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. इस कदम के तहत प्रशासन ने भिखारियों को पुनर्वासित करने का भी काम किया है.
सूचना देने पर 1000 रुपए का इनाम
भोपाल में भी भिखारियों को पैसे देने पर सख्त कार्रवाई की जा रही है. इस अभियान के तहत प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे भिखारियों को पैसे देने के बजाय प्रशासन को इसकी सूचना दें. भिक्षावृत्ति उन्मूलन टीम ने जानकारी देने वालों को 1000 रुपए का इनाम देने की भी घोषणा की है.
इंदौर प्रशासन का लक्ष्य है कि वह भिक्षावृत्ति को पूरी तरह से समाप्त करे और इसे भिखारी मुक्त शहर बनाए. इस दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं और अभियान को और तेज किया जा रहा है.