भारत में कोविड-19 महामारी ने न केवल जीवन को ठप किया बल्कि शिक्षा व्यवस्था को भी बड़ा झटका दिया था. स्कूलों की लंबी बंदी ने खासतौर पर वंचित तबके के बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया. डिजिटल लर्निंग का विकल्प आया, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई पारंपरिक कक्षाओं की भरपाई नहीं कर सकी. नतीजा यह हुआ कि सीखने के स्तर और कक्षा मानकों के बीच की खाई और चौड़ी हो गई. विशेषज्ञों ने तभी चेतावनी दी थी कि यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए तो यह शिक्षा पर दीर्घकालिक असर डाल सकता है.
अब ताजा ASER रिपोर्ट आई है, जो एक नई तस्वीर पेश करती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूलों में सिर्फ पढ़ाई पटरी पर नहीं लौटी है, बल्कि कई राज्यों में शिक्षा के स्तर में ऐतिहासिक सुधार देखने को मिला है. खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों ने उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है. तो आइए जानते हैं कि इस बदलाव की कहानी क्या कहती है और किन राज्यों ने सबसे ज्यादा प्रगति की है?
यूपी बना रोल मॉडल
देशभर में शिक्षा के स्तर में सुधार देखा गया है, खासकर 2022 की तुलना में. चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे कमज़ोर प्रदर्शन करने वाले राज्यों ने जबरदस्त वापसी की है. अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो 2014 में सरकारी स्कूलों के सिर्फ 6% कक्षा 3 के बच्चे कक्षा 2 के स्तर की किताबें पढ़ सकते थे. इसके बाद सुधार की रफ्तार तेज़ हुई—2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 12.3% हो गया.
कोविड के दौर में जब बाकी राज्यों में शिक्षा स्तर गिरा, तब भी यूपी में सीखने की गति बरकरार रही और 2022 में यह आंकड़ा 16.4% तक पहुंच गया. लेकिन असली बदलाव 2024 में दिखा, जब यह आंकड़ा 27.9% तक उछल गया. गणित और कक्षा 5 के सीखने के स्तर में भी यूपी ने ऐतिहासिक सुधार दर्ज किया है.
अन्य राज्यों में भी सुधार
हालांकि, यूपी अकेला ऐसा राज्य नहीं है जिसने शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव देखा है. हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे उच्च प्रदर्शन करने वाले राज्यों में, जहां 2018 में लगभग 50% कक्षा 3 के सरकारी स्कूल के बच्चे कक्षा 2 के स्तर की किताबें पढ़ सकते थे, कोविड के बाद यह आंकड़ा 2022 में आधा रह गया. लेकिन अब ये राज्य फिर से मज़बूत वापसी कर रहे हैं और शिक्षा में बड़ा सुधार दिखा रहे हैं.
बिहार ने दिखाई बढ़त
बिहार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया है. 2018 में, सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 के केवल 12.1% बच्चे कक्षा 2 के स्तर की किताबें पढ़ने में सक्षम थे. लेकिन बीते वर्षों में राज्य ने बुनियादी साक्षरता को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए, जिनका असर अब साफ दिख रहा है. 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 20.1% हो गया, यानी 8 प्रतिशत अंकों की बढ़त दर्ज की गई. ASER की रिपोर्ट में यह सुधार दर्शाता है कि बिहार में प्राथमिक शिक्षा को लेकर जागरूकता और नीतिगत बदलावों का सकारात्मक असर हो रहा है, जिससे लाखों बच्चों का भविष्य संवर रहा है.