मणिपुर के जनता दल की ओर से भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने के ऐलान के बाद पार्टी डैमेज कंट्रोल में उतरी

मणिपुर के जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने के ऐलान के बाद पार्टी डैमेज कंट्रोल में उतरी है और पार्टी ने मणिपुर इकाई के अध्यक्ष क्षेत्रमयुम बीरेन सिंह को भी बर्खास्त कर दिया है. इसके साथ ही पार्टी ने मणिपुर में एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को समर्थन देना जारी रखने का ऐलान किया है.

पार्टी की ओर से जारी बयान समर्थन वापस लेने के दावों को “निराधार” बताया है. पार्टी ने मणिपुर इकाई के अध्यक्ष क्षेत्रमयुम बीरेन सिंह को भी बर्खास्त कर दिया है. बयान में कहा गया कि सिंह ने कथित तौर पर केंद्रीय नेतृत्व से परामर्श किए बिना समर्थन वापस लेने की बात दोहराते हुए पत्र लिखा था. जदयू ने अनुशासनहीनता को उनके निष्कासन का कारण बताया और राज्य तथा राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर भाजपा के साथ अपने गठबंधन की पुष्टि की.

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने पत्र को भ्रामक बताते हुए कहा कि राज्य इकाई ने केंद्रीय नेतृत्व से संवाद नहीं किया और स्वतंत्र रूप से काम किया.

भाजपा सरकार को जारी रहेगा समर्थन
प्रसाद ने कहा कि पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है और पार्टी की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है. हमने एनडीए का समर्थन किया है और मणिपुर में एनडीए सरकार को हमारा समर्थन भविष्य में भी जारी रहेगा.

उन्होंने कहा, “इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है और उन्हें पद से हटा दिया गया है…हम एनडीए के साथ हैं और राज्य इकाई मणिपुर के लोगों की सेवा करना जारी रखेगी, ताकि राज्य का विकास हो सके.”

यह विवाद तब पैदा हुआ जब क्षेत्रीमयुम बीरेन सिंह ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर दावा किया कि जेडी(यू) भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की बात दोहरा रही है और पार्टी के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर विपक्ष की बेंच पर बैठेंगे.

समर्थन वापसी के पत्र से मचा था हंगामा
पत्र में 2022 के मणिपुर विधानसभा चुनावों के बाद जेडी(यू) के छह विधायकों में से पांच के भाजपा में शामिल होने का जिक्र किया गया और इस फैसले को पार्टी के पहले के इंडिया ब्लॉक के साथ गठबंधन से जोड़ा गया.

हालांकि मणिपुर में जेडी(यू) का रुख अब स्पष्ट हो गया है, लेकिन पत्र ने शुरुआत में केंद्र और बिहार में भाजपा के प्रमुख सहयोगी के रूप में पार्टी की भूमिका के कारण लोगों को चौंका दिया.

हालांकि, 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में भाजपा के पास 37 विधायक हैं और उसे पांच नागा पीपुल्स फ्रंट विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का अतिरिक्त समर्थन प्राप्त है. यह घटनाक्रम पिछले साल भी इसी तरह के कदम के बाद हुआ है जब कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. हालांकि, जेडी(यू) के केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसी किसी भी तुलना से खुद को दूर रखा है और इस बात पर जोर दिया है कि मणिपुर, बिहार और केंद्र में भाजपा के साथ उसका गठबंधन मजबूत बना हुआ है.

Related Articles

Back to top button