कैश से लेकर मुफ्त दिल्ली की सैर… लेकिन विधानसभा से रखा दूर, दिल्ली में आधी आबादी को नहीं मिली पूरी हिस्सेदारी

दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे मुकाबला काफी रोचक होता जा रहा है. दिल्ली की सत्ता की दशा और दिशा महिला वोटर तय करने वाली हैं. मुफ्त बिजली-पानी के दांव से अरविंद केजरीवाल दो बार सत्ता अपने नाम कर चुके हैं और तीसरी बार महिला वोटों के सहारे अपनी सियासी नैया पार लगाना चाहते हैं. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी ने सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए महिला वोटों पर ही फोकस कर रखा है और उन्हें साधने के लिए हर दांव चल रहे हैं, लेकिन राजनीतिक भागीदारी देने में बड़ा दिल नहीं दिखा सके.

दिल्ली चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस, बीजेपी सहित तमाम पार्टियों ने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं. चुनाव नामांकन की प्रक्रिया भी खत्म हो गई, जिसके बाद सियासी तस्वीर काफी साफ हो गई है. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 981 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया, लेकिन 477 नामांकन रद्द किए जाने के बाद 719 प्रत्याशी मैदान में बचे हैं. इस बार महिलाओं के विधानसभा पहुंचने का रिकॉर्ड टूटने नहीं जा रहा है क्योंकि आधी आबादी को पूरी हिस्सेदारी नहीं मिली है.

किस पार्टी से कितनी महिला उम्मीदवार?
कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी तीनों ही दलों ने महिलाओं को लेकर बड़े-बड़े वादे किए हैं, लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने में बड़ा दिल नहीं दिखा सके. दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से 9 सीट पर ही आम आदमी पार्टी ने महिला प्रत्याशी उतारे हैं. कांग्रेस ने भी 8 ही महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है तो बीजेपी ने 9 महिला प्रत्याशी उतारे हैं. आम आदमी पार्टी से महिला कैंडिडेट के तौर पर कालकाजी सीट से आतिशी, मादीपुर से राखी बिड़लान, त्रिलोकपुरी से अंजना परचा, रोहतास नगर से सरिता सिंह, शालीमार बाग से बंदना कुमारी, त्रिनगर से प्रीति तोमर, राजौरी गार्डेन से धनवती चंदेला, उत्तम नगर से पूजा नरेश बाल्यान, आरके पुरम से प्रमिला टोकस हैं.

वहीं, बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही महिला प्रत्याशियों की लिस्ट देखें तो नजफगढ़ सीट से नीलम पहलवान, मादीपुर से उर्मिला कैलाश गंगवाल, सीमापुरी से कुमारी रिंकू, शालीमार बाग से रेखा गुप्ता, वजीरपुर से पूनम शर्मा, मटिया महल से दीप्ति इंदौरा, तिलक नगर से श्वेता सैनी, ग्रेटर कैलाश से शिखा राय और कोंडली से प्रियंका गौतम किस्मत आजमा रही हैं. इसी तरह से कांग्रेस के टिकट पर महिला कैंडिडेट के तौर पर नजफगढ़ सीट पर सुषमा देवी, नरेला से अरुणा कुमारी, पटेल नगर से कृष्णा तीरथ, जनकपुरी से हरबनी कौर, वजीरपुर से रागिनी नायक, महरौली से पुष्पा सिंह, कालकाजी से अलका लांबा और ओखला से अरीबा खान मैदान में है.

दिल्ली में महिला बनाम महिला की लड़ाई
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार पांच सीट पर दो प्रमुख पार्टियों से महिला बनाम महिला की लड़ाई होती दिख रही है. इसमें शालीमार बाग, कालकाजी, वजीरपुर, नजफगढ़, रोहतास नगर सीट तीन प्रमुख पार्टियों में दो की महिला उम्मीदवार आमने-सामने हैं. दिल्ली की हाई प्रोफाइल माने जाने वाली कालकाजी सीट पर आप से आतिशी और कांग्रेस से अलका लांबा हैं. शालीमार बाग में लगातार तीसरी बार बीजेपी की बंदना कुमारी और AAP की रेखा गुप्ता आमने सामने हैं. नजफगढ़ सीट पर कांग्रेस और बीजेपी की महिला प्रत्याशी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं.

महिलाओं विधायक का रिकॉर्ड क्या टूटेगा?
दिल्ली के तीन दशक के सियासी इतिहास में महिला विधायकों की संख्या कभी भी दहाई का अंक पार नहीं कर सकी है. 1998 में सबसे ज्यादा 9 महिला विधायक चुनाव जीतकर आई थीं, जो अब तक का सबसे ज्यादा महिलाओं के जीतने का रिकॉर्ड है. वहीं, सबसे कम 3 महिलाएं विधायक हैं. 1993 में तीन, 1998 में नौ, 2003 में सात, 2008 में तीन, 2013 में तीन, 2015 में तीन और 2020 में 6 महिला विधायक जीती थीं.

दिल्ली में महिला आबादी के लिहाज से देखें तो विधानसभा में उनका अधिकतम प्रतिनिधित्व करीब 13 फीसदी रहा है, जबकि सबसे कम साढ़े चार फीसदी रहा है. इस बार जिस तरह से राजनीतिक दलों ने महिलाओं को टिकट दिया है, उसे देखते हुए साफ है कि 1998 का रिकॉर्ड इस बार भी नहीं टूटता नजर आ रहा और दहाई के अंक में महिला विधायकों की संख्या नहीं पहुंच पाएगी. 2020 में आम आदमी पार्टी ने 8, बीजेपी ने चार और कांग्रेस ने 10 महिलाओं को टिकट दिया था. आम आदमी पार्टी के 8 में से 6 महिला ही जीत सकी थीं और कांग्रेस और बीजेपी का खाता नहीं खुला था.

दिल्ली में महिला वोट बैंक पर सभी की नजर
दिल्ली में 71.73 लाख महिला मतदाता हैं, जो कुल वोट का 46 फीसदी के करीब बनता. 2020 चुनाव में महिलाओं का वोटिंग पैटर्न देखें तो प्रतिशत 62.5 फीसदी रहा था जबकि पुरुषों का मत प्रतिशत 62.6 फीसदी था. इस तरह महिलाएं सिर्फ पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर ही नहीं चल रही हैं बल्कि वोटिंग में भी हिस्सेदारी ले रही हैं. इसलिए सभी दलों ने महिलाओं के लिए कई घोषणाएं की हैं.

आम आदमी पार्टी ने महिला सम्मान योजना के तहत हर महिला को 2100 रुपए प्रतिमाह देने और दिल्ली की बसों में मुफ्त यात्रा योजना का वादा किया है. बीजेपी ने दिल्ली में महिला समृद्धि योजना के तहत महिलाओं को प्रतिमाह 2,500 रुपए, गरीब बहनों को सिलेंडर पर 500 रुपए की सब्सिडी, होली-दीवाली पर एक-एक सिलेंडर फ्री और हर गर्भवती महिला को 21,000 रुपए देने का वादा किया है.

कांग्रेस ने महिलाओं को 2500 रुपए प्रतिमाह देने का ऐलान कर रखा है, जिसे प्यारी दीदी योजना का नाम दिया है. ऐसे ही महिलाओं को लुभाने के लिए योजनाएं और घोषणाएं की हैं. दिल्ली में आधी आबादी को भले ही हिस्सेदारी नहीं मिली, लेकिन उनके वोटों के साधने की कवायद की है. ऐसे में देखना है कि दिल्ली की महिला मतदाता किस दल पर भरोसा करती है और क्या दहाई का आंकड़ा छू पाएंगी?

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