दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी मैदान में उतर गई है. बीएसपी ने शुक्रवार को दिल्ली की 70 सीटों में से 69 पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. दिल्ली के त्रिकोणीय मुकाबले में अब बीएसपी की एंट्री से चुनाव और दिलचस्प हो गया है. इसके साथ-साथ यह भी साफ हो गया है कि बीएसपी किसी के साथ गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ेगी.
बीएसपी की ओर से जारी कुछ चर्चित उम्मीदवारों की बात करें तो नई दिल्ली सीट से वीरेंद्र को मैदान में उतारा है. ये वो सीट है जहां से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, चांदनी चौक सीट से पार्टी ने कालीचरण को टिकट दिया है. जंगपुरा से रविंद्र कुमार को मैदान में उतारा है. ये वो सीट है जहां से दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ रहे हैं.
कालकाजी सीट से पार्टी ने पीतम को दिया टिकट
चौथी सबसे चर्चित सीट की बात करें तो वो हैं कालकाजी की सीट. बीएसपी ने यहां से पीतम को मैदान में उतारा है. ये वो सीट हैं जहां से आम आदमी पार्टी की नेता और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी चुनाव लड़ रही हैं. इस तरह से देखें तो पार्टी ने दिल्ली की सभी हॉट सीट पर अपने उम्मीदवार उतार कर चुनावी लड़ाई और दिलचस्प बना दी है.
पार्टी ने बुराड़ी सीट से गंगाराम, तिमारपुर से सुरेंद्र पाल जाटव, आदर्श नगर से अब्दुल जब्बार, बादली से रविंद कुमार, रिठाला से नियाज खान, बवाना से हीरालाल, मुंडका से सुमनलता शेरावत, किराड़ी से जुगवीर सिंह, नांगलोई से मुकेश, मंगोलपुरी से मुकेश गौतम, रोहिणी से हरशद चड्ढा, शालीमार बाग से श्याम कुमार शर्मा, शकूर बस्ती से विजय कुमार, वजीरपुर से हीरालाल और मॉडल टाउन से चुन्नी लाल, सदर से शैल कुमार को उम्मीदवार बनाया है.
दिन पर दिन गिरता चला गया वोट प्रतिशत
दिल्ली में फिलहाल बीएसपी के एक भी विधायक नहीं है. पिछले कुछ चुनावों पर नजर डाले तो बीएसपी का वोट प्रतिशत इकाई के आंकड़े में पहुंच गया है. अब देखना है कि बीएसपी इस बार क्या कुछ कमाल कर पाती है या नहीं. 69 सीटों पर चुनाव लड़ तो रही, लेकिन कामयाबी कितनी सीटों पर मिलती है इसका पता तो 8 फरवरी को ही पता चलेगा.
5 फरवरी को चुनाव, 8 को नतीजे
दिल्ली में विधानसभा चुनाव एक ही चरण में कराया जा रहा है. राज्य की सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे जबकि 8 फरवरी को नतीजे सामने आएंगे. मौजूदा समय में राज्य की गद्दी पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है और आतिशी मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले इस केंद्र शासित प्रदेश की कमान अरविंद केजरीवाल के हाथों में थी, लेकिन शराब घोटाले में जेल से बाहर निकले के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया.