टोरेस निवेश घोटाले में जांच की धीमी रफ्तार पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को फटकार लगाई. याचिकाकर्ता की सुरक्षा की मांग पर कोर्ट ने पुलिस से कहा कि किसी को नहीं ढूंढ सकते तो किसी और को बलि का बकरा न बनाएं. पुलिस को जल्द और उचित जांच करनी चाहिए. कोर्ट ने व्हिसलब्लोअर होने का दावा करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट को सुरक्षा देने का आदेश भी दिया.
हाई कोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की खंडपीठ ने मुंबई के पुलिस आयुक्त से कहा कि वो चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिषेक गुप्ता को सुरक्षा दें, जिनका दावा है कि उन्होंने घोटाले का पर्दाफाश किया है. इस मामले में अभी तक तीन आरोपी पकड़े गए हैं और 11 फरार हैं, जिनके खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर जारी किए गए हैं.
सैकड़ों निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी का आरोप
पुलिस ने कोर्ट को बताया कि फरार आरोपियों का वो पता लगा रही है. याचिकाकर्ता को किसी तरह का खतरा नहीं है. बता दें कि टोरेस ज्वैलरी ब्रांड के मालिकाना हक वाली कंपनी पर पोंजी और एमएलएम योजनाओं में सैकड़ों निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप है. पोंजी और एमएलएम योजनाओं में बड़े रिटर्न का वादा किया गया था. हालांकि, भुगतान नहीं किया गया.
इस मामले में पुलिस का कहना है कि अब तक 2 विदेशी नागरिकों समेत 3 लोगों को अरेस्ट किया गया है. फरार आरोपियों से जान का खतरा बताते हुए सीए ने याचिका दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर निराशा जताई कि ईओडब्ल्यू ने किस तरह अपने कदम पीछे खींच लिए, जिससे विदेशी आरोपी भारत से भागने में कामयाब रहे.
कहीं न कहीं पुलिस जिम्मेदार है
कोर्ट ने कहा कि हम इस बात से हैरान हैं कि किस तरह से जांच आगे बढ़ रही है. कहीं न कहीं पुलिस जिम्मेदार है. पुलिस के पास बहुत जानकारी थी.कोर्ट ने कहा कि ये एक विशेष एजेंसी है. कंपनी के ऑफिस और उन होटलों से सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करें, जहां आरोपी रुके थे. कोर्ट ने ईओडब्ल्यू के सहायक पुलिस आयुक्त को अगली सुनवाई (22 जनवरी) में वीडियो कॉन्फ्रेंस से उपस्थित रहने के लिए भी कहा.ं