कर्नाटक के बेंगलुरु में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केंद्र और राज्य लोक सेवा आयोग का महत्व समझाया. उन्होंने कहा कि मैं बहुत ही गंभीर और संयम के साथ हर एक पहलू पर विचार कर रहा हूं. देश के सभी लोक सेवा आयोग में होने वाली नियुक्तियां और संरक्षण से जुड़ा कोई भी मामला पक्षपात से प्रेरित नहीं हो सकता है.
सभी राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के 25वें राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन में भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ प्रवृत्तियां ऐसी दिखाई दे रही हैं जिनपर मैं विचार नहीं करना चाहता, लेकिन उनमें से कुछ बहुत ही परेशान करने वाली हैं. हमें अपनी अंतरात्मा के सामने खुद को जवाबदेह ठहराना चाहिए. हम ऐसा कोई लोक सेवा आयोग अध्यक्ष या सदस्य नहीं रख सकते जो किसी खास विचारधारा या व्यक्ति से बंधा हो. ऐसा करना संविधान के ढांचे के सार और भावना को नष्ट करना होगा.
पेपर लीक से जुड़े मामले पर चिंता जाहिर करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि ये एक खतरे के जैसा है. सभी को इसे रोकना होगा. अगर पेपर लीक की घटनाएं ऐसे ही होती रहेंगी तो प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्य के चयन की निष्पक्षता का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पेपर लीक होना एक कारोबार और बिजनेस बन गया है. पहले लोग, छात्र और छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं से डरते थे कि सवाल कितना मुश्किल होगा. पेपर को सही तरीके से कैसे करेंगे? अब उन्हें दो डर सता रहे हैं. एक तो परीक्षा का, दूसरा उसके लीक होने का डर. इसलिए जब वे परीक्षा की तैयारी के लिए कई महीनों और हफ्तों तक अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं और उन्हें लीक होने की सूचना मिलती है तो जाहिर तौर पर ये उनपर बड़ा झटका लगाता है.
सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्तियों की चर्चा करते हुए धनखड़ ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद की भर्ती एक समस्या है. कुछ राज्यों में इसे संरछित किया गया है. कर्मचारी कभी सेवानिवृत्त नहीं होते, खासकर प्रीमियम सेवाओं में. उन्हें कई तदर्थ नाम मिलते हैं. यह अच्छा नहीं है. देश में हर किसी को उसके अधिकार से जुड़ा हक मिलना चाहिए. सभी नागरिकों के अधिकार को कानून द्वारा परिभाषित किया गया है. इस तरह की कोई भी उदारता संविधान निर्माताओं द्वारा कल्पना की गई बातों के विपरीत है.