‘पत्नी की तबीयत ठीक नहीं’… भगवान से नाराज हो गया पति, तोड़े 2 मंदिरों के शिवलिंग

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक शख्स की पत्नी की तबीयत नहीं ठीक हुई तो वो भगवान से नाराज हो गया. नाराज शख्स ने कुल्हाड़ी से शिवलिंग को खंडित कर दिया. युवक ने एक नहीं दो अलग-अलग मंदिरों में स्थापित शिवलिंग को तोड़ने का काम किया है. मंदिर में शिवलिंग तोड़े जाने की घटना से लोगों में आक्रोश फैल गया. वहीं दूसरी तरफ पुलिस मामले में संज्ञान लेते हुए आरोपी को हिरासत में ले लिया है.

जानकारी के मुताबिक, उन्नाव जिले के पुरवा थान क्षेत्र बिल्लेश्वर महादेव मंदिर और बिहार थाना क्षेत्र के वनखण्डेश्वर महादेव मंदिर में लोग रोज की तरह जल चढ़ाने गए तो दोनों प्राचीन मंदिर में शिवलिंग खंडित मिली. लोगों को जानकारी हुई तो लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा और हिन्दू संगठनों से जुड़े लोग घटनास्थल पर पहुंच कर विरोध दर्ज किया.

सूचना मिलने पर दोनों थानों की पुलिस पहुंची, देखा कि अलग-अलग जगहों पर शिवलिंग खंडित पाया गया. लोगों का आक्रोश बढ़ता देख पुलिस ने पुरवा थाना क्षेत्र के रहने वाले अवधेश कुमार कुर्मी को हिरासत में लिया. पुलिस के अनुसार आरोपी ने पूछताछ के दौरान दोनों जगहों पर शिवलिंग तोड़ने की बात स्वीकार की है.

पुलिस ने आरोपी को किया अरेस्ट
पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसकी बीमार पत्नी के ठीक न होने पर वो देवी-देवताओं से नाराज था. इसलिए उसने कुल्हाड़ी से शिवलिंग को नुकसान पहुंचाया है. आरोपी ने बताया कि वह पहले बिल्लेश्वर महादेव मंदिर गया और शिवलिंग को क्षतिग्रस्त किया फिर बाइक से बिहार थाना क्षेत्र में सजनी वनखंडेश्वर मंदिर में भी इसी तरह की घटना को अंजाम दिया.

एएसपी अखिलेश सिंह ने कहा कि आरोपी व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर है. उसको हिरासत में ले लिया गया है, उससे पूछताछ की जा रही है, अखिलेश सिंह ने बताया कि आरोपी ने घटना को स्वीकार किया है.

मंदिर के पुजारी ने क्या कहा?
मंदिर के पुजारी राकेश कुमार गोस्वामी ने बताया कि ये मंदिर द्वापर युग का है. जिसका निर्माण भगवान श्रीकृष्ण ने कराया था. जिस समय मकरध्वज की परीक्षा लेने के लिए जा रहे थे, उस समय भगवान कृष्ण ने यहां पूजा की थी और इस शिवलिंग की स्थापना की थी. सावन और शिवरात्रि में महान मेला होता है और बाकी हर सोमवार को सैकड़ों की संख्या में शिवभक्त आते है. लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर पर पहला जलाभिषेक आज भी अश्वत्थामा ही करते है.

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