भारत और अमेरिका के बीच साइन हुई अहम डील जिसमें दोनों देश मिलकर सोनार बुआय को पर करेंगे काम

भारतीय महासागर में सुरक्षा को नई मजबूती देने के लिए भारत और अमेरिका ने एक ऐतिहासिक समझौता किया है. दोनों देश अब मिलकर सोनार बुआय के सह-निर्माण की योजना बना रहे हैं. सोनार बुआय समंदर की गहराइयों में पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाला एक एडवांस इक्विपमेंट/ तकनीक है, जो भारतीय नौसेना की ताकत को और बढ़ाएगा.

इस समझौते का ऐलान 6 जनवरी 2025 को किया गया, जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन भारत दौरे पर आए. उनके इस दौरे का मकसद भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और तकनीकी सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाना था.

भारत और अमेरिका के बीच पहली बार ऐसा
इस साझेदारी में अमेरिका की Ultra Maritime और भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड शामिल हैं. पहली बार ऐसा हो रहा है कि दोनों देश मिलकर अमेरिकी डिज़ाइन वाले सोनार बुआय का निर्माण करेंगे.

सोनार बुआय पानी के अंदर ध्वनि सुनने और पनडुब्बियों की गतिविधियों का पता लगाने में सक्षम है. इसे विमान, जहाज या पनडुब्बियों से तैनात किया जाता है. यह उपकरण वास्तविक समय में डेटा उपलब्ध कराता है, जो नौसेना की ऑपरेशन क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है.

चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों पर नजर
यह समझौता ऐसे वक्त में हुआ है जब भारतीय महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना अपनी गतिविधियां बढ़ा रही है. भारतीय और अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि यह सहयोग न केवल भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि दोनों देशों के रक्षा संबंधों को भी और गहरा करेगा. यह कदम भारतीय महासागर क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में बेहद अहम साबित हो सकता है.

सोनार बुआय क्या है?
सोनार बुआय नौसेना की दुनिया में एक खास तकनीक है. इसकी मदद से पानी के नीचे मौजूद होने वाली वस्तुओं का पता लगाया जाता है. सोनार बुआयी में एक उपकरण का इस्तेमाल किया है. ये उपकरण पानी में ध्वनि तरंगें भेजता है और उनके प्रतिबिंब को रिकॉर्ड करता है. इसी के जरिए पानी में मौजूद वस्तुओं का पता चल पाता है.

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