जब भारत और चीन संबंध सुधारने की बात कर रहे हैं, दोनों देशों के एनएसए की बैठक में सीमा पर हुए सैन्य सहमतियों पर संतुष्टि जतायी गई हो, तब अमेरिकी रक्षा विभाग – पेंटागन 2024 की रिपोर्ट चीन की सैन्य गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े करती नजर आ रही है. इस रिपोर्ट के बाद चीन की हकीकत सामने आ रही है. जिसमें वो एक तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, वहीं दूसरी तरफ खुद को बॉर्डर पर मजबूत करने में जुटा है. अमेरिकी रिपोर्ट में चीन को लेकर कई खुलासे किए गए हैं.
चीन की सैन्य तैयारियां
- एलएसी पर चीन का बुनियादी ढांचा तेजी से मजबूत हो रहा है.
- पश्चिमी थिएटर कमांड के तहत नई सैन्य इकाइयों की तैनाती.
- अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम का विकास.
- सटीकता से लक्ष्य भेदने वाली आर्टिलरी यूनिट्स की स्थापना.
- तिब्बत और शिनजियांग में ड्रोन बेस का विस्तार.
- एलएसी पर निगरानी के लिए उपग्रहों का अधिक उपयोग.
- सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की संख्या में वृद्धि.
- साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का परीक्षण.
- प्रमुख चोकपॉइंट्स पर चीनी नौसेना की बढ़ती गतिविधियां.
- भारत-चीन सीमा के पास बुलेट ट्रेन परियोजनाओं का निर्माण.
भारत की सुरक्षा चिंताएं
- अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में चीन की घुसपैठ.
- सीमा विवाद सुलझाने में चीन का टालमटोल रवैया.
- डोकलाम और गलवान जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका.
- भारत के लिए तिब्बती क्षेत्र में बढ़ती चीनी गतिविधियों का प्रभाव.
- पड़ोसी देशों को चीन द्वारा सैन्य और आर्थिक सहायता.
क्या है अमेरिका की रणनीति?
पेंटागन का यह दृष्टिकोण भारत को चीन के खिलाफ़ खड़ा करने की कोशिश हो सकता है. अमेरिका भारत को क्वाड और अन्य गठबंधनों में शामिल कर, चीन के खिलाफ एक बड़ा सहयोगी बनाना चाहता है. इस रिपोर्ट से अमेरिका को लाभ मिलता है, क्योंकि यह भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाकर उसे पश्चिमी गुट की ओर झुकने के लिए प्रेरित कर सकता है.
पेंटागन की यह रिपोर्ट भारत के लिए एक चेतावनी भी हो सकती है कि चीन के साथ संबंध सुधारने के दावे ज़मीनी हकीकत से मेल नहीं खाते, अमेरिका इस स्थिति का फायदा उठाकर भारत को अपनी रणनीतिक धुरी बनाना चाहता है.