राज्यसभा में संविधान के 75 साल पर चर्चा आज सुबह 11 बजे से शुरू होगी. दो दिनों तक चलने वाली इस चर्चा की शुरुआत बीजेपी की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी. पहले इसकी शुरुआत बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा करने वाले थे, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर होने की वजह से क्रम में बदलाव करना पड़ा है
अब बीजेपी अध्यक्ष और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा मंगलवार को बहस में इंटरवेंशन करेंगे और संविधान पर राज्यसभा में समापन भाषण केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव देंगे. बीजेपी के तरफ से राज्यसभा में संविधान पर बोलने वाले नेताओं में हरदीप पुरी, सुधांशु त्रिवेदी, सुरेंद्र नागर, घनश्याम तिवारी और बृजलाल का नाम भी शामिल है.
बीजेपी ने अपने राज्यसभा सांसदों को दोनों दिन सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है. वहीं, कांग्रेस की ओर से संविधान पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, मुकुल वासनिक और अभिषेक मनु सिंघवी बोलेंगे. माना जा रहा है कि आज और कल राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होने वाली है, जहां विपक्ष सभापति के खिलाफ आक्रामक है.
लोकसभा में क्यों नहीं लाया गया एक देश एक चुनाव बिल?
राज्यसभा में चर्चा से ध्यान न भटकाने के लिए एक देश एक चुनाव आज लोकसभा की कार्यसूची से हटाया गया है. संभावना है कि इसे मंगलवार या बुधवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है. संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त होगा. इससे पहले शुक्रवार को जारी की गई कार्यसूची में कहा गया था कि सोमवार को एक देश, एक चुनाव बिल लोक सभा में रखा जाएगा. सरकार की ओर से ये नहीं बताया गया है कि आज बिल न लाने का फैसला क्यों किया और अब किस दिन लाया जाएगा?
लोकसभा में संविधान यात्रा पर हुई थी जबरदस्त बहस
पिछले सप्ताह लोकसभा में संविधान की 75 साल की यात्रा पर जबरदस्त चर्चा हुई, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए, लेकिन कोई बड़ा व्यवधान या स्थगन नहीं हुआ. पिछले सप्ताह कांग्रेस और बीजेपी में अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से कथित संबंधों और अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर तीखी नोक-झोंक देखने को मिली. विपक्षी नेताओं का कहना है कि राज्यसभा में चर्चा अलग स्तर पर हो सकती है. विपक्ष के एक नेता ने कहा कि जिस तरह जॉर्ज सोरोस, अडानी और उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने के विपक्ष के नोटिस जैसे मुद्दों पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बहस हुई, उससे यह संभव है कि ये मुद्दे संविधान पर चर्चा के दौरान भी शामिल हो सकते हैं.