शिंदे ने पहले सीएम की कुर्सी गंवाई और अब गृह मंत्री बनने की मुराद भी पूरी होती नहीं दिख रही

महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों ने सत्ता का खेल ही पूरी तरह से पलट दिया है. ढाई साल तक सीएम रहे एकनाथ शिंदे भले ही अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने और उद्धव ठाकरे से शिवसेना की विरासत जीतने में कामयाब रहे हों, लेकिन महायुति में बीजेपी के बड़े भाई की भूमिका में आने के बाद उन्हें पावर गेम में एक के बाद एक झटका लग रहा है. शिंदे ने पहले सीएम की कुर्सी गंवाई और अब गृह मंत्री बनने की मुराद भी पूरी होती नहीं दिख रही है जबकि अजित पवार के खाते में वित्त विभाग जाना लगभग तय माना जा रहा

मुख्यमंत्री बनने के बाद से देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में बीजेपी फ्रंटफुट पर खेल रही है. सत्ता की बागडोर ही नहीं बल्कि सियासी पावर को भी बीजेपी अपने हाथ में रखना चाहती है. शिवसेना की गृह मंत्रालय की मांग के आगे बीजेपी झुकने को तैयार नहीं है. ऐसे में बीजेपी ने शिंदे खेमा को गृह के बजाय राजस्व, शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग में से चुनने का विकल्प दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने शिवसेना को स्पष्ट कर दिया है कि वह गृह मंत्रालय नहीं दे सकती है. इसके बदले में उन्हें दूसरे अन्य विभाग देने को तैयार है

शिवसेना कर रही शिंदे के पक्ष में वकालत
शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे को गृह मंत्रालय देने का दबाव बनाया जा रहा है. गुलाबराव पाटिल, संजय शिरसाट, भरत गुगवले समेत कई शिवेसना नेता शिंदे को गृह मंत्री बनाए जाने की वकालत कर रहे हैं, लेकिन इस पर बीजेपी तैयार नहीं है. देवेंद्र फडणवीस ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि केंद्र में बीजेपी की अगुवाई में सरकार है, केंद्रीय गृह मंत्रालय बीजेपी (अमित शाह) के पास है. ऐसे में गृह मंत्रालय का पद सत्ता की बागडोर संभालने वाली पार्टी के पास होने से समन्वय आसान हो जाता है.

फडणवीस के पास लंबे समय तक रहा गृह विभाग
देवेंद्र फडणवीस ने 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहते हुए गृह मंत्रालय अपने पास रखा था. इस दौरान उन्होंने कई अहम और सुधार भरे कदम उठाए थे. फडणवीस सरकार द्वारा की गई पहल से पुलिस बल को एकजुट करने में मदद मिली थी. शिंदे के ढाई साल के दौरान भी गृह मंत्रालय फडणवीस के पास था. यही वजह है कि फडणवीस हर हाल में इस विभाग को अपने पास रखना चाहते हैं. इसके लिए अन्य महत्वपूर्ण विभाग का विकल्प शिवसेना को दिया है, लेकिन शिंदे खेमा गृह मंत्रालय की मांग पर अड़ा है. ऐसे में बीजेपी शिंदे को राजस्व, शहरी विकास और लोक निर्माण जैसे विभाग का ऑफर दे रही.

गृह विभाग सौंपने का क्या रहा इतिहास
महाराष्ट्र में 1995 से पहले ज्यादातर समय गृह विभाग मुख्यमंत्री ने अपने पास रखा. 1995 में जब राज्य में बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनी तो पहले मनोहर जोशी फिर नारायण राणे सीएम बने थे. ऐसी स्थिति में गृह विभाग का जिम्मा बीजेपी को मिला था. गोपीनाथ मुंडे गृह मंत्री थे. इसके बाद जब राज्य के सीएम विलासराव देशमुख बने तो कांग्रेस ने गृह विभाग एनसीपी को दिया और छगन भुजबल ने गृह विभाग संभाला. कांग्रेस से सुशील कुमार शिंदे और विलासराव सीएम रहे तो एनसीपी नेता आर आर पाटिल गृह मंत्री बने थे.

अशोक चव्हाण के सीएम रहते हुए एनसीपी नेता जयंत पाटिल और फिर पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यकाल में फिर आरआर पाटिल गृह मंत्री रहे. 2014 से 2019 तक फडणवीस ने सीएम रहते गृह विभाग अपने पास रखा. उद्धव ठाकरे के सीएम बनने से पहले यह विभाग एनसीपी के पास गया और पहले अनिल देशमुख और बाद में दिलीप वलसे पाटिल ने गृह विभाग संभाला था. महाराष्ट्र में जब शिंदे मुख्यमंत्री बने तो बीजेपी को यह विभाग मिला और फडणवीस ने बतौर डिप्टी सीएम इसे संभाला. महायुति में अजित पवार की एंट्री के बाद उन्होंने वित्त विभाग उन्हें दिया, अब जब पावर रोल रिवर्स हुआ है तो एकनाथ शिंदे बदले में गृह विभाग चाहते हैं.

महाराष्ट्र में विभाग को लेकर पावर गेम
फडणवीस कैबिनेट में मंत्री पद का बंटवारा सीटों की ताकत के हिसाब से ही होगा. एकनाथ शिंदे की शिवसेना लगातार होम मिनिस्ट्री की डिमांड कर रही है. ऐसे में बीजेपी गृह मंत्रालय के बदले ज्यादा मंत्री पद और अन्य मलाईदार विभाग सौंप सकती है. बीजेपी गृह विभाग के अलावा ऊर्जा, जल संसाधन, आदिवासी कल्याण, आवास, ग्रामीण विकास, ओबीसी कल्याण और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभागों को अपने पास रखना चाहती है.

शिंदे सरकार के दौरान बीजेपी के पास राजस्व और लोक निर्माण विभाग भी था. शिवसेना शहरी विकास को अपने पास रखती है, तो राजस्व/लोक निर्माण विभाग बीजेपी के पास वापस आ जाएगा. हालांकि, शिवसेना को उद्योग, स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति और स्वच्छता, लोक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम), अल्पसंख्यक विकास और वक्फ बोर्ड विकास, अपने पास रखती है तो उसको मराठी भाषा पर प्राथमिकता मिलेगी, जो पिछली सरकार में उसके पास थी.

अजित पवार की क्या है डिमांड ?
अजित पवार की एनसीपी ने संकेत दिया है कि वह यथास्थिति बनाए रखने में सहज है. वह आवास विभाग की मांग कर रही है, एनसीपी जिन प्रमुख मंत्रालयों को अपने पास रखना चाहती है, उनमें वित्त, सहकारिता, कृषि, स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा, साथ ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन और महिला एवं बाल कल्याण शामिल हैं. शिंदे के करीबी संजय शिरसाट ने कहा कि शिंदे अमित शाह से इस बारे में बात करेंगे. ऐसे में देखना है कि शिंदे का क्या सीएम की कुर्सी गंवाने के बाद गृह मंत्रालय संभालने का सपना भी पूरा नहीं हो पाएगा?

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