बिहार में 2025 के चुनाव से पहले पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा ने एनडीए से अलग होकर विधानसभा की सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है पारस के इस ऐलान को 2020 के चिराग की घोषणा से जोड़कर देखा जा रहा है 2020 के चुनाव में चिराग ने 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था
इस चुनाव में चिराग को बड़ी सफलता तो नहीं मिली थी, लेकिन वे नीतीश कुमार का खेल जरूर खराब करने में सफल रहे थे चिराग की वजह से नीतीश कुमार की पार्टी बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई अब सवाल उठ रहा है कि इस बार पशुपति पारस किसका खेल खराब करेंगे?
चिराग ने किया था नीतीश का नुकसान
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चिराग पासवान ने 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था चिराग सीट शेयरिंग पर नीतीश से नाराज चल रहे थे पूरे चुनाव में चिराग ने बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट का नारा दिया
चिराग खुद तो इस चुनाव में सफल नहीं हो पाए, लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार का खेल जरूर बिगाड़ दिया बिहार विधानसभा की करीब 40 सीटों पर जेडीयू लोजपा (आर)की वजह से हार गई
नीतीश कुमार की पार्टी ने इसे चिराग मॉडल करार दिया. चिराग इसके बाद करीब 4 साल तक एनडीए से अलग रहे 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हस्तक्षेप के बाद चिराग को वापस लाया गया
सवाल- पारस किसका नुकसान करेंगे?
अब सवाल पशुपति पारस को लेकर है पशुपति पारस 2025 के विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने जा रहे हैं कहा जा रहा है कि पारस किसका नुकसान करेंगे, यह तीन बातों पर तय होगा
- पारस अगर एनडीए के बागी उम्मीदवार को टिकट देते हैं तो इसका सीधा नुकसान संबंधित सीट पर लड़ने वाले उम्मीदवार को हो सकता है. 2020 में चिराग ने भी कई सीटों पर बागियों को ही टिकट दिया था, जिससे जेडीयू का खेल बिगड़ गया था
- पारस के निशाने पर चिराग पासवान हैं चाचा-भतीजे के इस जंग में 2025 का चुनाव टर्निंग प्वॉइंट्स माना जाता है बिहार में दोनों की नजर पासवान वोटरों पर है पशुपति इन वोटों को अपने पाले में खिंचना चाहेंगे अगर यह हो पाता है तो चिराग को नुकसान होगा
- पारस मुख्य तौर पर समस्तीपुर, हाजीपुर और मुंगेर पर फोकस कर रहे हैं मुंगेर की कमान सूरजभान के पास है. प्रिंस समस्तीपुर में फोकस कर रहे हैं खुद पारस हाजीपुर की कमान देख रहे हैं. इन इलाकों में जेडीयू और आरजेडी का दबदबा है पारस अगर सफल होते हैं तो जेडीयू और आरजेडी को नुकसान हो सकता है
राजनीतिक ठिकाना तलाश रहे हैं पारस
2021 में पशुपति पारस ने लोजपा में सेंध लगाते हुए चिराग पासवान के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया पारस ने रामविलास पासवान के असली उत्तराधिकारी पद पर भी दावा ठोक दिया इस बगावत की वजह से लोजपा दो धड़ों में बंट गई
पशुपति पारस एनडीए में आ गए और मोदी कैबिनेट में मंत्री बन गए. लोजपा के शीर्ष पद से सड़क पर आ चुके चिराग लोगों के बीच निकल गए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने दोनों गुटों को जोड़ने की कवायद की, लेकिन पारस ने समझौते से इनकार कर दिया
आखिर में बीजेपी ने पारस को छोड़ चिराग को अपने साथ ले लिया. चिराग को लोकसभा में समझौते के तहत कुल 5 सीटें मिली. चिराग इन पांचों ही सीटों पर जीतने में कामयाब रहे पशुपति पारस न तो लोकसभा लड़े और न ही कहीं गए
लोकसभा चुनाव के बाद से ही पारस अपना राजनीतिक ठिकाना तलाश रहे हैं
बिहार में 2025 में विधानसभा के चुनाव
बिहार में विधानसभा की 243 सीटों पर अक्टूबर 2025 में चुनाव प्रस्तावित है इस बार बिहार के दंगल को त्रिकोणीय होने की बात कही जा रही है. एक तरफ बीजेपी, जेडीयू के साथ एनडीए गठबंधन है तो दूसरी तरफ कांग्रेस और आरजेडी के साथ इंडिया गठबंधन
प्रशांत किशोर की पार्टी भी मैदान में है पारस की एंट्री ने चतुष्कोणीय मुकाबले की चर्चा छेड़ दी है