पहाड़ों की रानी मसूरी में बूढ़ी दीवाली (बग्वाल) का पर्व इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया गया

देहरादून। पहाड़ों की रानी मसूरी में बूढ़ी दीवाली (बग्वाल) का पर्व इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर जौनपुर जौनसार और रवाईं क्षेत्र के निवासियों की संस्था अगलाड़ यमुनाघाटी विकास मंच मसूरी के तत्वावधान में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। यह आयोजन मसूरी के कैम्पटी रोड पर स्थित पुराने चकराता टोल चौकी के समीप हुआ, जहां स्थानीय लोग परंपरागत वेशभूषा में सजे-धजे नजर आए और पारंपरिक नृत्यों ने समारोह को जीवंत बना दिया।

समारोह की शुरुआत डिबसा पूजन और होलियात से

कार्यक्रम की शुरुआत डिबसा पूजन और होलियात के साथ हुई। इस अवसर पर महिलाएं और पुरुष पारंपरिक वस्त्रों में सजे हुए थे, जो उत्सव की रंगत को और बढ़ा रहे थे। इसके बाद, रासो तांदी और धुमसू जैसे पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए गए, जिन्हें देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। साथ ही, भिरूड़ी फेंकी गई और चिउड़ा बांटा गया, जो इस अवसर की एक महत्वपूर्ण परंपरा थी।

महिलाओं ने भांड मुकाबले में मारी बाजी

समारोह के अंतिम चरण में महिलाओं और पुरुषों के बीच भांड (रस्साकशी) का मुकाबला हुआ, जिसमें महिलाओं ने बाजी मारी। यह प्रतियोगिता न केवल उत्सव का हिस्सा थी, बल्कि समुदाय की एकता और पारंपरिक खेलों के महत्व को भी दर्शाती है। इस मुकाबले में भाग लेने वाले सभी प्रतियोगियों ने अपने उत्साह और जोश से माहौल को गर्माया।

लोक संस्कृति को संरक्षित रखने का संकल्प

समारोह में उपस्थित अगलाड़ यमुनाघाटी विकास मंच मसूरी के सरंक्षक मनमोहन सिंह मल्ल और स्थानीय निवासी मीरा सकलानी ने कहा कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति को बचाने में जौनपुर जौनसार और रवाईं क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने बताया कि यहां के लोग हर पर्व को विशुद्ध लोक संस्कृति के साथ मनाते हैं और यह संस्कृति किसी बाहरी प्रभाव से अप्रभावित रही है।

वहीं, मंच के अध्यक्ष शूरवीर सिंह रावत ने कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़े रखने के लिए मंच की ओर से हर साल इस प्रकार के आयोजन किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि रवाईं-जौनपुर और जौनसार की संस्कृति को जीवित रखना आवश्यक है, और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया।

समारोह में कई लोग हुए शामिल

इस भव्य समारोह में मंच के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे, जिनमें महामंत्री प्रकाश राणा, कोषाध्यक्ष सूरत सिंह रावत, विरेंद्र राणा, राजेंद्र रावत, गोकुल नौटियाल, आशुतोष कोठारी, बलदेव सिंह रावत, रणवीर कंडारी, दिनेश पंवार, सुनील पंवार, बिरेंद्र काकू, रमेश रावत, राकेश राणा, बिक्रम नेगी, रमेश खंडूरी, रणवीर कंडारी, दिनेश पंवार, आशुतोष कोठारी, आशीष जोशी, वीरेन्द्र राणा, मनोज गौड़, अमित गुप्ता, दर्शन रावत, राजीव अग्रवाल, गोविंद नौटियाल और वीरेंद्र थापली सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।

लोक संस्कृति की रक्षा की जरूरत

समारोह के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि जौनपुर, रवाईं, और जौनसार के लोग अपनी संस्कृति को बचाए हुए है और यह आयोजन इसका एक प्रमुख उदाहरण है। इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से न केवल एकता और सामूहिक भावना का प्रसार होता है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को अपनी लोक संस्कृति से जोड़ने का भी एक प्रयास होता है।

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