कोरोना महामारी के बाद तेजी से बढ़े अचानक दिल के दौरा के कारणों का पता चल गया है. आने वाले दिनों में इसकी रोकथाम के लिए दवाइयों के परीक्षण पर काम किया जाएगा. यह दावा विशेषज्ञों ने ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (AIIMS) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फार्माकोलॉजी सम्मेलन में किया विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे मामलों के बढ़ने के पीछे मस्तिष्क से निकलने वाले कैटेकोलामाइन हार्मोन के साथ ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस है
दरअसल, शरीर में एन प्रोटीन रक्षात्मक कार्य करता है इन्हें ACE 2 रेगुलेट करता है. जब शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है तो दिल के धड़कन की गति तेज हो जाती हैं इसे नियंत्रित करने के लिए मस्तिष्क से कैटेकोलामाइन हार्मोन रिलीज होते हैं इसका काम दिल को नियंत्रित करना होता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा रिलीज होने के कारण यह दिल की पंपिंग को बंद कर देता है जिससे मरीज की मौत तक हो जाती है
फाइब्रोसिस में ACE का लेवल चेक करते रहना जरूरी है
दिल्ली फार्मास्यूटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉक्टर रमेश गोयल कहते हैं कि वो ये बात शुरू से बताते आ रहे हैं कोविड एंजियोटेंसिन-परिवर्तक एंजाइम 2 (ACE2) पर असर कर रहा है, जो कि एक रेगुलेटरी स्विच है ये उसे ही बदल देता है अचानक से साइटोकीनेशिया या इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स बढ़ जाते हैं, उसी की वजह से ब्लड का थिकनिंग होता है या फिर कार्डियक अरेस्ट होता है
डॉक्टर गोयल ने कहा कि ACE 2 के बाद बहुत कुछ बदलेगा. ACE 2 और रेनिन एंजियोटेंसिन एल्डोस्टेरोन के बारे में पता चलने के बाद कुछ बदलेगा तब लोगों को पता चला कि फाइब्रोसिस में काम करना चाहिए कोविड की वजह से जो फाइब्रोसिस होता है, उसी के चलते बॉडी में ये सर सिस्टम बिगड़ता है कुछ लोग इसे लॉन्ग कोविड भी कह रहे हैं इसके लिए जीनोम एनालिसिस भी जरूरी है यह भी जरूरी है कि फाइब्रोसिस में ACE का लेवल चेक करते करना बहुत जरूरी है
दवाइयों पर काम करने की जरूरत- डॉ. हरलोकेश यादव
वहीं, अमेरिका के देवेन्द्र कुमार अग्रवाल कहते हैं कि लॉन्ग कोविड की वजह से एट्रियल फाइब्रिलेशन हार्ट की मसल्स जो है, वो ठीक से काम नहीं कर पाती हैं, तभी अचानक मौतें हो रही हैं इसके बहुत से कारण हो सकते हैं प्रदूषण भी इसका बड़ा कारण है पर्यावरण इसमें बड़ी भूमिका निभाता है
AIIMS के आयोजन सचिव और फार्माकोलॉजी विभाग के डॉक्टर हरलोकेश यादव ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में एक्सपर्ट्स ने इस बात कर चर्चा की कि अचानक हार्ट अटैक क्यों हो आ रहे हैं, क्यों मौतें हो रही हैं और इसकी दवाइयों पर काम करने की जरूरत है हालांकि दवाइयों के परीक्षण के बाद लोगों के पास तक आने में लंबा समय लग जाता है
55% मरीज हार्ट अटैक की गंभीरता को नहीं समझते
AAIMS की कम्युनिटी मेडिसिन में प्रोफेसर डॉक्टर आनंद कृष्णन ने बताया कि 55 फीसदी मरीज हार्ट अटैक की गंभीरता को समझ नहीं पाए और मौत हो गई इसलिए जरूरी है कि घर से जल्दी निकलना और जल्दी से अस्पताल पहुंचना अगर ये कर लिया तो मरीज को बचाने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं उसके लिए जरूरी है कि जब भी चेस्ट में पेन हो तुरंत अलर्ट हो जाएं जिन्हें पहले से ही समस्या है वो लोग और ज्यादा सतर्क रहें