इस्कॉन मंदिर से जुड़े रहे और हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश ही नहीं बल्कि भारत समेत कई देशों में चर्चा का विषय बन गए हैं और उनकी रिहाई की मांग भी की जा रही है. भारत ने इस गिरफ्तारी को लेकर अपनी गहरी चिंता जताई, जबकि बांग्लादेश की ओर से इसे निराशाजनक बताया गया है.
चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से जाना जाता है, वह अभी सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (Iskcon) से जुड़े रहे हैं. चिन्मय दास जो चटगांव में पुंडरीक धाम नामक इस्कॉन धार्मिक स्थल का प्रबंधन करते हैं, को सोमवार दोपहर हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) ने हिरासत में लिया.
प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को पिछले दिनों देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया. फिर उन्हें एक कोर्ट ने जमानत देने से मना कर दिया, जिसके बाद राजधानी ढाका और चटगांव समेत कई जगहों पर भारी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. चिन्मय इस्कॉन के सदस्य थे लेकिन हाल में उन्हें निष्कासित कर दिया गया था.
चिन्मय दास पर किस तरह के आरोप
अगले दिन मंगलवार को चटगांव की एक कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश सुनाया, जिसकी वजह से कोर्ट के बाहर जमकर प्रदर्शन भी हुए. मोहम्मद फिरोज खान की ओर से चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में दर्ज कराए गए मामले में चिन्मय कृष्ण दास और 18 अन्य लोगों पर 25 अक्टूबर को एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप लगाया गया है.
इस रैली का आयोजन चटगांव के न्यू मार्केट चौराहे पर “सनातन जागरण मंच” के बैनर तले हिंदू समुदाय द्वारा किया गया था. इस मामले में यह भी आरोप लगाया गया कि यह कृत्य “अपवित्रता” और “देश की संप्रभुता के लिए अवमानना” की तरह था, इसे “अराजक वातावरण को बढ़ावा देकर देश को अस्थिर करने के उद्देश्य से की गई देशद्रोही गतिविधि” करार दिया गया.
इन झंडों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसको लेकर बांग्लादेश में लगातार चर्चा हो रही है. बड़ी संख्या में बांग्लादेशी लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं.
क्या कहता है वहां का कानून
आइए, जानते हैं कि चिन्मय कृष्ण को जिस मामले में गिरफ्तार किया गया है और उन्हें जमानत भी नहीं जी गई है, उस मामले में बांग्लादेश का कानून क्या कहता है. बांग्लादेश ध्वज नियम, 1972 के अनुसार, देश में राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर कोई अन्य झंडा नहीं फहराया जा सकता.
इस कानून का पालन नहीं करने पर 2010 में किए गए संशोधनों के अनुसार एक साल तक की कैद, 5,000 टका (बांग्लादेशी टका) तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. इसी मामले में दंड संहिता की धारा 124 (ए) का भी हवाला दिया गया है, जो राजद्रोह के किसी भी ऐसे काम के रूप में परिभाषित करती है जो कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ अवमानना या घृणा का माहौल पैदा करता हो.
उम्रकैद की सजा का भी प्रावधान
इस धारा के अनुसार, “जो कोई भी मौखिक या लिखित शब्दों, या संकेतों द्वारा, या दृश्य चित्रण द्वारा, या फिर कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमानना करता है या फिर लाने की कोशिश करता है, या असंतोष भड़काता है या भड़काने की कोशिश करता है, उसे आजीवन कारावास या किसी छोटी अवधि के लिए, जिसमें जुर्माना भी शामिल किया जा सकता है, या 3 साल तक की कैद, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकता है, या जुर्माने से दंडित किया जाएगा.”