रूस में आयोजित ब्रिक्स बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार हुआ है. इस मुलाकात के बाद दोनों देशों ने गलवान झड़प के बाद पैदा हुए तनाव को खत्म करने के लिए एक सहमति बनाई. जिसके बाद दोनों देशों की सेनाएं अब एसएसी पर 2020 की स्थिति को बहाल कर चुकी हैं. हालांकि इन सब के बावजूद भारत चीन को लेकर सतर्क है.
इटली में आयोजित जी7 की बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की इंडो-पैसिफिक नीति को मजबूत करने पर चर्चा की. विदेश मंत्री ने बैठक में अपनी बात रखते हुए भारत की विदेश नीति के बारे में खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने मौजूद देशों के साथ भारत का सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया. जयशंकर ने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आज बदलाव की लहर है. नई साझेदारियां उभर रही हैं और चुनौतियों के बीच सहयोग के अवसर बन रहे हैं. इस समय क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग पहले से कहीं ज्यादा जरूरी है.
इंडो-पैसिफिक को लेकर जयशंकर ने भारत की नीति बताते हुए छह अहम बिंदुओं पर बात की, जिनमें
समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित: क्षेत्र में समुद्री मार्गों को सुरक्षित बनाने और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत.
आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना: क्षेत्रीय और वैश्विक व्यापार की निर्बाध आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए साझेदार देशों के बीच बेहतर समन्वय.
सेमीकंडक्टर्स और तकनीकी सहयोग: उभरती तकनीकों जैसे सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा पर संयुक्त अनुसंधान.
अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान: क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और समान हितों को सुरक्षित रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानदंडों का पालन.
अधिक विकल्प उपलब्ध कराना: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों को अपनी नीतियों और रणनीतियों के लिए विविध सहयोग और भागीदारी के अवसर प्रदान करना.
सामूहिक प्रयासों को प्राथमिकता: क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए साझा दृष्टिकोण और कूटनीतिक सहयोग.
क्वाड को लेकर भारत का रुख साफ
चीन के साथ संबंध सुधारने की कोशिशों के बावजूद, भारत ने इंडो-पैसिफिक में अपनी सक्रियता को बरकरार रखा है. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की विदेश नीति न केवल रणनीतिक हितों पर केंद्रित है, बल्कि वैश्विक स्थिरता और शांति को भी प्राथमिकता देती है.
इस बैठक के दौरान जयशंकर ने जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और अन्य इंडो-पैसिफिक देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की. उन्होंने क्वाड प्लस के तहत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नई साझेदारियों और सहयोग पर चर्चा की.
एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात
जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी मुलाकात की. दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता पर मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई. ब्लिंकन ने भारत को अमेरिका का एक मजबूत और भरोसेमंद साझेदार बताते हुए कहा कि दोनों देश मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करेंगे.
क्यों महत्वपूर्ण है यह पहल?
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र आज न केवल व्यापारिक और रणनीतिक दृष्टि से बल्कि भू-राजनीतिक स्थिरता के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है. भारत की यह पहल न केवल क्षेत्रीय साझेदारियों को मजबूत करती है, बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास भी है.
जयशंकर का यह दौरा और उनकी पहल यह स्पष्ट करती है कि भारत एक मजबूत वैश्विक भूमिका निभाने के लिए तैयार है. क्वाड और क्वाड प्लस जैसी साझेदारियों के जरिए भारत न केवल अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत कर रहा है, बल्कि इंडो-पैसिफिक में स्थिरता और सहयोग के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका भी निभा रहा है.