महाराष्ट्र में किसकी सरकार बनेगी, इसकी तस्वीर अब साफ हो गई है, लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इसको लेकर अभी भी पेच है

महाराष्ट्र में किसकी सरकार बनेगी, इसकी तस्वीर अब साफ हो गई है, लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इसको लेकर अभी भी पेच है महायुति को रूझानों में पूर्ण बहुमत मिलते ही एकनाथ शिंदे ने मजबूती से मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी ठोक दी है शिंदे ने कहा है कि अभी मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह एनडीए की बैठक में तय किया जाएगा

कहा जा रहा है कि शिंदे मुख्यमंत्री को लेकर होने वाली एनडीए की बैठक में अपने 5 दांव से बार्गेनिंग की कोशिश करेंगे इनमें से कोई भी एक दांव अगर लगता है तो बीजेपी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है

  1. सरकार और सीएम को जनादेश
    महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए गठबंधन की करारी हार हुई थी हालांकि, शिंदे सेना बीजेपी के बराबर की सीटें जीतने में कामयाब रही थी विधानसभा के चुनाव में एनडीए बड़ी बढ़त की तरफ बढ़ रही है वोटों की गिनती के बीच एकनाथ शिंदे ने बयान भी दिया है

शिंदे ने कहा है कि यह सरकार के काम को जनादेश है. ऐसे में कहा जा रहा है कि जब शिंदे मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा करेंगे तो इस बात को मजबूती से रख सकते हैं शिंदे यह तर्क दे सकते हैं कि अगर मुख्यमंत्री बदला गया तो शिवसेना के कार्यकर्ता भी आहत होंगे और भविष्य में इसका असर बुरा हो सकता है

इस चुनाव में मुख्यमंत्री रहते ही शिंदे सभी को साध रहे थे. उनके समर्थक लगातार उनके कामों को बेहतर बता रहे थे और उसी के नाम पर जनादेश मांग रहे थे.

  1. बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं
    मुख्यमंत्री पद को लेकर जो शिंदे बड़ी बार्गेनिंग कर सकते हैं वो बीजेपी का स्पष्ट बहुमत न मिलना है अब तक बीजेपी को 120-125 सीटों पर ही बढ़त मिलती दिख रही है फाइनल नतीजों में भी 5 सीट से ज्यादा का बदलाव अब मुश्किल है

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है 2019 में बहुमत न मिलने की वजह से ही बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई थी

  1. अजित भरोसेमंद नेता नहीं
    अजित पवार भले अभी एनडीए में हैं, लेकिन उनका भरोसा करना मुश्किल है 2019 से लेकर अब तक अजित 3 बार यूटर्न ले चुके हैं अजित पवार की विचारधारा भी बीजेपी से नहीं मिलती है विधानसभा चुनाव के दौरान ही अजित और देवेंद्र फडणवीस के बीच तनातनी देखने को मिली थी

अजित पर फडणवीस ने हिंदुत्व विरोधियों के साथ रहने का आरोप लगा दिया था. चुनाव के दौरान खुलकर यह कह रहे थे कि मुझे आप वोट दीजिए मुझे जो वोट मिलेंगे, वो बीजेपी के नहीं होंगे.

एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद को लेकर इसे भी बड़ा मुद्दा बनाएंगे शिंदे यह कहकर बार्गेनिंग करेंगे कि शिवसेना की विचारधारा पहले से ही बीजेपी से मिलती जुलती रही है

  1. ढाई साल के काम पर मुहर
    एकनाथ शिंदे ने ढाई साल के राग को भी छेड़ा है. उन्होंने कहा है कि हमारे काम को जनता ने मुहर लगाया है. एकनाथ शिंदे टोल फ्री, लाड़की बहिन जैसी योजना के जरिए इस चुनाव में उतरे थे मुख्यमंत्री रहते उन्होंने इन स्कीम्स को मजबूती से लागू किया था ऐसे में शिंदे इस आधार पर भी बार्गेनिंग कर सकते हैं

शिंदे यह कह सकते हैं कि अभी सरकार ठीक ढंग से चल रही है इसके स्ट्रक्चर में अगर बदलाव किया गया तो आगे मुश्किलें बढ़ सकती है

  1. बीजेपी के लिए पार्टी तोड़ी
    एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी के लिए ही शिवसेना में बगावत की. 2022 में बगावत के वक्त बीजेपी उनके साथ मजबूती से खड़ी थी बगावत की वजह से अभी भी उन्हें उद्धव गुट गद्दार ही कह रहे हैं चुनाव के दौरान गद्दार कहने वाले एक कार्यकर्ता पर शिंदे बुरी तरह भड़क भी गए थे

शिंदे सीएम पद को लेकर बार्गेनिंग में इसे मुद्दा बना सकते हैं. 2022 में एकनाथ शिंदे ने 45 साल पुरानी शिवसेना में बगावत कर दी थी इस बगावत की वजह से उद्धव के हाथों से शिवसेना की कमान भी चली गई

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