इटावा – रेलवे स्टेशन पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) 8वीं बटालियन एवं रेलवे की फुल स्केल संयुक्त मॉक ड्रिल आयोजित की गयी । इस संयुक्त मॉक ड्रिल में रेलवे की विभिन्न विभागों की टीमें, सिविल डिफेंस, स्काउट एवं गाइड, एआरटी/टूण्डला, एआरएमवी/टूण्डला, मेडिकल के साथ इटावा जनपद के पुलिस प्रशासन, मुख्य अग्निशमन एवं चिकित्सा विभाग ने मिलकर कार्य किया।
संयुक्त मॉक ड्रिल का उद्देश्य आपात स्थति में रेलवे आपदा प्रबंधन टीम, एनडीआरएफ और जिला प्रशासन मिलकर त्वरित रूप से कार्य करके अधिक से अधिक जीवन को बचाकर जनमाल की क्षति को कम करना होता है। इस फुल स्केल संयुक्त मॉक ड्रिल में उप मुख्य संरक्षा अधिकारी/उत्तर मध्य रेलवे, ओ. पी. सिंह; वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी, यू. सी. शुक्ला; सहायक कमान्डेंट/ एनडीआरएफ, अनिल कुमार; मुख्य अग्निशमन अधिकारी, सुभाष चौधरी उपस्थित थे ।
संयुक्त मॉक ड्रिल में गाडी संख्या 0305B कानपुर टूंडला एक्सप्रेस के अवपथन एवं कोच संख्या एस-1 में आग लगने पर ट्रेन मैनेजर तथा लोको पायलट द्वारा स्टेशन अधीक्षक/इटावा एवं अधिकारियों एवं कंट्रोल को सूचित किया गया। आग लगने की सूचना मिलते ही रेलवे, अग्निशमन, पुलिस प्रशासन और चिकत्सा विभाग की टीमें सक्रिय हो गयीं। रेलवे और अग्निशमन के कर्मचारियों ने मिलकर तत्काल आग पर काबू पा लिया। एनडीआरएफ की टीम ने त्वरित कार्यवाही करते हुए कोच की खिडकी और छत को काटकर घायल/बेहोश यात्रियों को रोपवे की सहायता से बाहर निकालकर उन्हें एआरएमवी/टूण्डला मेडिकल टीम को दिया। घायल एवं बेहोश यात्रियों को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा दी गयी और गंभीर रूप से घायल यात्रियों को एम्बुलेंस में भेजा गया।
संयुक्त मॉक ड्रिल में दुर्घटना के समय टिकट निरीक्षक, ट्रेन मैनेजर, लोको पायलट/सहायाक लोको पायलट, कोच अटेंडेंट, ए.सी. मैकेनिक, स्टेशन स्टाफ एवं रेल कर्मचारियों द्वारा त्वरित रूप से की जाने वाली कार्यवाही इत्यादि शामिल थीं I
इस संयुक्त मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ/गाज़ियाबाद की टीम का नेतृत्व सहायक कमान्डेंट/ एनडीआरएफ, अनिल कुमार ने किया. एनडीआरएफ की टीम में 31 कर्मियों ने हिस्सा लिया. यह सभी कर्मचारी उच्च स्तर के दक्ष थे और रेल दुर्घटना की हर स्थिति का सामना करने में सक्षम थे. रेलवे और जिला प्रशासन की टीमों का समन्वय सराहनीय था.
संयुक्त मॉक ड्रिल के बाद वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी, यू. सी. शुक्ला ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यहाँ से प्राप्त अनुभव के आधार पर हम अपनी तयारियों को और अधिक बेहतर बनायेगे. सहायक कमान्डेंट/ एनडीआरएफ, अनिल कुमार ने कहा कि इस तरह मॉक ड्रिल में टीमों का समन्वय, दक्षता और इक्विपमेंट को चेक किया जाता है. कोच में आपात स्थति में चिन्हित जगह को काटकर प्रवेश करते है. यहाँ अभ्यास में जो कमियां नज़र आती उनको सुधर लिया जाता है. इस तरह की आपातकालीन स्थतियों में स्थानीय संसाधन और त्वरित कार्यवाई की अहम् भूमिका होती है. अग्निशमन अधिकारी सुभाष चौधरी ने कहा कि सूचना मिलते ही हमेशा की तरह टीम सक्रिय हो गयी. इस तरह की तैयारिया हमें दक्ष बनाती है . इस तरह के अभ्यास हर जनपद में किये जाने चाहिए. इस संयुक्त मॉक ड्रिल में रेलवे, एनडीआरएफ एवं सिविल प्रशासन के लगभग 200 अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया