उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस प्रीलिम्स 2024 और आरओ/एआरओ प्रीलिम्स 2023 परीक्षाओं को दो दिन और दो शिफ्ट में आयोजित करने के फैसले का विरोध जोर पकड़ रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग का यह निर्णय प्रतियोगी छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है। इस व्यवस्था में नॉर्मलाइजेशन पद्धति को लागू किया जा रहा है, जिसके कारण छात्र दिल्ली, लखनऊ, और प्रयागराज जैसे स्थानों पर बड़े स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
आज 11 नवंबर को अभ्यर्थियों ने दिल्ली से लेकर प्रयागराज तक सड़कों पर उतरकर विरोध जताया। प्रयागराज में UPSC के गेट नंबर 2 और 3 पर अभ्यर्थियों का विशाल विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। सूत्रों के अनुसार, इस महा आंदोलन में 20,000 से अधिक अभ्यर्थियों के शामिल होने की संभावना है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि नॉर्मलाइजेशन पद्धति के कारण कई बार मेहनत करने के बावजूद अच्छे स्कोर हासिल नहीं होते और यह व्यवस्था निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करती है।
अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि दो दिन और दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने से परीक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता का सवाल उठता है। उनका मानना है कि अलग-अलग शिफ्ट में परीक्षा देने से कठिनाई के स्तर में अंतर आ सकता है, जिससे नॉर्मलाइजेशन का आधार भेदभावपूर्ण हो सकता है।
प्रयागराज में हुए प्रदर्शन में अभ्यर्थियों ने UPPSC पर परीक्षा में असमानता लाने का आरोप लगाया और मांग की कि पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाओं का एक ही दिन में आयोजन किया जाए ताकि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर मिल सके। कई प्रदर्शनकारियों ने बोर्ड पर निष्पक्षता बनाए रखने का दबाव बनाने के लिए केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की।
UPPSC की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह आंदोलन और भी तेज होगा।