प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल श्री स्वामीनारायण मंदिर पर एक कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लेंगे हिस्सा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल गुजरात के वडताल स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर के 200 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हिस्सा लेंगे. इस दौरान पीएम स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयायियों को भी संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने रविवार को इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम सुबह 11:15 बजे से शुरू होगा

गुजरात के वडताल के इस श्री स्वामीनारायण मंदिर का समाज और धर्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्थाओं का केंद्र है, बल्कि समाज सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है पीएमओ के बयान के अनुसार, यह श्री स्वामीनारायण मंदिर कई दशकों से लोगों के सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन में सुधार के लिए काम करता रहा है

पीएम मोदी करेंगे संबोधित
स्वामीनारायण संप्रदाय का यह मंदिर सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफल रहा है इसके अलावा, स्वामीनारायण मंदिर द्वारा चलाई जाने वाली शैक्षिक और स्वास्थ्य सेवाएं इस क्षेत्र के विकास में अहम योगदान दे रही हैं इस समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन मंदिर के अनुयायियों के लिए एक विशेष प्रेरणा होगा और समाज के कल्याण में मंदिर की भूमिका को और भी मजबूती प्रदान करेगा

सद्भाव-समर्पण प्रतीक है ये मंदिर
इस मंदिर का निर्माण सद्गुरु ब्रह्मानंद स्वामी और सद्गुरु अक्षरानंद स्वामी ने करवाया गया था, ये मंदिर स्वामीनारायण संप्रदाय के लिए विशेष ऐतिहासिक महत्व रखता है मंदिर की वास्तुकला भी अद्वितीय है यह मंदिर कमल के आकार में बना है, जो सभी धर्मों और विचारों के बीच सद्भाव और समर्पण की भावना का प्रतीक है मंदिर की इस अनूठी संरचना भारतीय संस्कृति और धार्मिकता की गहरी झलक देती है

वडताल में श्री स्वामीनारायण मंदिर का समाज और आध्यात्मिक जीवन पर गहरा प्रभाव रहा है इस मंदिर ने पिछले कई दशकों से न केवल धार्मिक गतिविधियों का संचालन किया है, बल्कि यह लोगों के सामाजिक और मानसिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयायी इस मंदिर को अपने आध्यात्मिक जीवन का एक केंद्र मानते हैं और मंदिर की गतिविधियों से जुड़कर अपना जीवन सुधारने का प्रयास करते हैं

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