झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्हा ने पार्टी से इस्तीफा देकर सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। मानस पिछले 27 सालों से कांग्रेस में थे। दरअसल, कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के चलते मानस सिन्हा नाराज चल रहे थे।
उन्हें झारखंड भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र रे ने पार्टी के राज्य मुख्यालय में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की उपस्थिति में भगवा दल में शामिल किया।
पीएम मोदी को बताया प्रेरणा
भाजपा में शामिल होने के बाद मानस सिन्हा ने कहा कि ‘मैंने कांग्रेस पार्टी के लिए पिछले 27 सालों से अपना खून-पसीना बहाया है। लेकिन अब मुझे विश्वास हो गया है कि कार्यकर्ताओं का वहां कोई सम्मान नहीं है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर आज भाजपा में शामिल हो रहा हूं। मैं बिना किसी शर्त के भाजपा में आया हूं।’
सीएम हिमंता बोले- मैं भी कांग्रेस में 22 साल था
इस मौके पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि वह भी 22 सालों तक कांग्रेस के साथ थे, उन्हें पता है कि पार्टी में कैसी स्थिति है। सीएम हिमंता ने मानस सिन्हा के भाजपा में शामिल होने के बाद कहा कि ‘अब हम राज्य में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।’
लेटर में बताया दर्द
मानस सिन्हा ने लेटर में लिखा कि मैंने अपने जीवन के 27 साल कांग्रेस को दिए। पार्टी ने जो भी काम दिया उसे मैंने पूरी ईमानदारी के साथ किया। मैंने पार्टी को वह काम करके भी दिखाया। लेकिन मेरे द्वारा किए गए कार्यों का पार्टी में कोई महत्व नहीं नजर आया। चौथी बार पार्टी ने मेरा अपमान किया है। मेरी सहनशक्ति इसे लेकर अब खत्म हो चुकी है। अब तक मैं कांग्रेस पार्टी के बारे में सोचता था लेकिन इस बार मैंने अपने बारे में सोचा। इसलिए मैं पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं।
भवनाथपुर सीट को लेकर नाराजगी
दरअसल, मानस सिन्हा गढ़वा जिले के भवनाथपुर से टिकट चाहते थे। हालांकि ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत यह सीट झामुमो के हिस्से आई है। इस सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ मानी जाती है। यहां से कांग्रेस सात बार चुनाव जीत चुकी है। हालांकि इस सीट का प्रतिनिधित्व तीन बार के विधायक भानु प्रताप शाही कर रहे हैं जो 2019 से भाजपा के साथ हैं। शाही का भवनाथपुर में पूर्व कांग्रेस विधायक अनंत प्रताप देव से सीधा मुकाबला है, जो अब झामुमो के साथ हैं।