उत्तराखंड काे कश्मीर नहीं बनने देंगे हिंदू

हरिद्वार। काली सेना प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने शनिवार काे उत्तरकाशी की घटना पर रोष व्यक्त करते हुए सरकार पर निशाना साधा। स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मस्जिद विवाद मामले में मुसलमानों ने हिंदुओं की रैली पर पत्थराें से हमला किया, उसके बाद पुलिस ने भी हिंदुओं को ही दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। यह देवभूमि का हाल है। यह उस सरकार के आदेश पर हो रहा है जिसको हिंदुओं ने बनाया है, जिसको एक भी गैर हिंदू ने वोट नहीं दिया। उन्हाेंने आराेप लगाया कि आने वाले समय में उत्तराखंड कश्मीर बनने के लिए तैयार है और सरकार भी उसमें अपना रोल अदा कर रही है।

सरकार से पूछा सवाल- लाखों रोहिंग्या उत्तराखंड में कैसे बस गए

उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि क्या जब मस्जिद बन रही थी तब यह नहीं पूछना चाहिए था कि आप इस जमीन में जहां पर नीचे काशी विश्वनाथ का पौराणिक मंदिर है उसके ऊपर वजू खाना कैसे बना सकते हैं? क्या यह नहीं पूछना चाहिए कि जमीन खरीदना ही सही, लेकिन जान-बूझकर विवाद उत्पन्न करना क्या जरूरी था? क्या यह नहीं पूछना चाहिए कि अचानक उत्तरकाशी में इतने सारे मुसलमान क्यों आ रहे हैं? आखिर कौन सा बिजनेस केंद्र है, क्या यह नहीं पूछना चाहिए कि लाखों रोहिंग्या उत्तराखंड में कैसे बस गए।

रोहिंग्याओं को बाहर करे सरकार, देश भर के हिंदुओं को उत्तराखंड में इकट्ठा करने की दी चेतावनी

स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि यह सब ही पूछने के लिए हिंदूवादी लोग स्वामी दर्शन भारती के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय जा रहे थे कि अचानक गैर हिंदू ऊपर से पत्थर बरसाने लगे और उल्टा पुलिस ने हिंदुओं को बुजुर्गों को महिलाओं को दौड़ा-दौड़ा कर लहूलुहान कर दिया। इस रैली में गैर हिंदुओं ने अपनी ताकत दिखाई। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने रोहिंग्याओं को बाहर करने का काम नहीं किया तो इसके लिए पूरे देश के हिंदुओं को उत्तराखंड में इकट्ठा किया जाएगा। यदि संभव हुआ तो अखाड़े के नागा साधुओं को भी सड़क पर उतरने के लिए आग्रह किया जाएगा। उत्तराखंड देवभूमि है। उसकी गरिमा है, उसका गौरव है, उसको बचाना हम सबका कर्तव्य है। उन्होंने सभी अखाड़ों और धर्माचार्यों से आग्रह करते हुए कहा कि अभी समय है, यदि आप सोते रहे तो यह भूमि जल्दी ही कश्मीर की तरह हो जाएगी। आपको और आपके तीर्थ को कहीं और स्थानांतरित कर दिया जाएगा, इसलिए मिलकर देवभूमि उत्तराखंड को बचाना आवश्यक हो गया है।

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