नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच को क्लीन चिट मिलने की खबर को केंद्र सरकार ने पूरी तरह से गलत बताया है। वित्त मंत्रालय की ओर से स्पष्ट किया गया है कि माधवी पुरी को क्लीन चिट मिलने की बात तथ्यात्मक रूप से गलत है, क्योंकि इस तरह की कोई जांच की ही नहीं गई थी।
दरअसल, मंगलवार को कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सेबी चेयरपर्सन के खिलाफ लगाए गए तमाम आरोपों की जांच में सरकार को उनके या उनके परिजनों के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला है। इसलिए उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है। इस खबर के प्रसारित होने के बाद वित्त मंत्रालय की ओर से आज बताया गया कि सेबी चेयरपर्सन के खिलाफ लगाए गए कथित आरोपों को लेकर कोई जांच नहीं की गई थी। इसलिए उन्हें जांच के बाद क्लीन सीट दिए जाने की बात पूरी तरह से बेबुनियाद है।
माधवी पुरी और उनके पति पर पिछले कुछ महीनों के दौरान आरोप लगाने की शुरुआत अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने की। इस अमेरिकी फर्म के आरोप अडाणी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर फंडों में उनके निवेश और कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन से जुड़े हुए थे। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में हितों के टकराव और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों पर सेबी चेयर पर्सन की चुप्पी पर सवाल उठाया था। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि माधवी पुरी बुच और उनके परिवार के अडाणी ग्रुप के साथ अघोषित वित्तीय संबंध हो सकते हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप लगाने के बाद कांग्रेस ने भी सेबी चेयरपर्सन पर अलग-अलग आरोप लगाए। जवाब में माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने इन तमाम आरोपों को निराधार बताया था और इसे चरित्र हनन की कोशिश कहा था। माधवी पुरी बुच और धवल बुच ने संयुक्त बयान जारी करके अपने ऊपर लगाए गए तमाम आरोपों को खारिज करके कहा था कि उनके वित्तीय रिकॉर्ड पूरी तरह से पारदर्शी हैं।