भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर से लोग सड़क पर उतर आए हैं। इस बार प्रदर्शनकारियों के निशाने पर देश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन है।
छात्र इस बार राष्ट्रपति के इस्तीफे और नए संविधान की मांग कर रहे हैं। बांग्लादेश में हिंसा की शुरूआत जुलाई महीने से हुई थी। नौकरी कोटा को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई। इसके कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की स्थापना हुई। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग करते हुए राष्ट्रपति भवन का घेराव किया है। प्रदर्शनकारियों ने ‘राष्ट्रपति हसीना की तानाशाही सरकार के करीबी हैं। उन्हें तुरंत इस्तीफ़ा दे देना चाहिए’ के नारे लगाएं।
क्या है प्रर्दशनकारियों की मांगे
प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने के अभियान का नेतृत्व करने वाले भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन ने मंगलवार को ढाका में केंद्रीय शहीद मीनार पर एक रैली की, जहां उन्होंने राष्ट्रपति के इस्तीफे सहित अपनी 5 सूत्री मांगों की घोषणा की है। इसके अलावा छात्रों ने अवामी लीग के छात्र संगठन, बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है। वहीं शेख हसीना के नेतृत्व में हुए 2014, 2018 और 2024 में चुनावों को अवैध घोषित करने और इन चुनावों में जीतने वाले संसद सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने जुलाई-अगस्त के विद्रोह की भावना के अनुरूप गणतंत्र की घोषणा की मांग की है।
विरोध प्रदर्शन, हिंसा में बदला
सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के साथ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गया। धीरे-धीरे विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल गए। हालत यहां तक पहुंच गई कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और भारत पहुंच गईं। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार की स्थापना की गई और 8 अगस्त को यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली।
वहीं अगर हम बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की बात करें तो उन्हें 2023 में अवामी लीग द्वारा नामित निर्विरोध चुना गया था। मोहम्मद शहाबुद्दीन बांग्लादेश के 16वें राष्ट्रपति हैं।