भारतीय नौसेना के अग्रिम मोर्चे का युद्धपोत आईएनएस ब्रह्मपुत्र आग लग जाने के बाद यह बंदरगाह की ओर झुक गया था गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस ब्रह्मपुत्र को लेकर नेवी को करोड़ों का नुकसान भी झेलना पड़ा नेवी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इसे सीधा करना अपने आप में बड़ी चुनौती है मरम्मत के लिए इसे मुंबई में रखा गया है और उसे ठीक करने सिंगापुर से एक विदेशी कंपनी के प्रोफेशनल्स आए हैं वे आईएनएस ब्रह्मपुत्र को नेवी के लिए कॉम्बैट रेडी करने में मदद कर रहे हैं
INS ब्रह्मपुत्र को सही दिशा में ले जाने में और इसकी पूरी मरम्मत करने में तीन महीने तक का समय लग सकता है. लगभग 3,900 टन के आईएनएस ब्रह्मपुत्र में 21 जुलाई को आग लग गई थी जिससे गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को भारी नुकसान पहुंचा आग को बुझाने के ऑपरेशन के दौरान बड़े पैमाने पर गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट और ज्यादा क्षतिग्रस्त हो गया था और समंदर में एक ओर झुक गया. जब यह घटना हुई, तब यह मुंबई नौसेना डॉकयार्ड में प्लेस था और इसकी मरम्मत का काम हो रहा था
अभी फिलहाल गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट अपने बर्थ के साथ-साथ आगे भी झुका हुआ है. या यूं कहे कि वर्तमान में एक तरफ आराम कर रहा है. तमाम प्रयासों के बावजूद जहाज को सीधा नहीं किया जा सका. लेकिन इसे सीधा करना और नेवी की जरूरतों के मुताबिक ऑपरेशंस में वापस लाना उससे भी बड़ी चुनौती है इसी वजह से इसे ठीक करने के लिए सिंगापुर की एक विदेशी कंपनी का सहयोग लिया जा रहा है
INS ब्रह्मपुत्र का इतिहास
INS ब्रह्मपुत्र को रेजिंग राइनो भी कहा जाता है 6000 करोड़ की लागत (या उससे अधिक) से बने इस युद्धपोत को 2000 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था यह स्वदेशी रूप से निर्मित पहला ब्रह्मपुत्र श्रेणी-निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट है इसेकोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने बनाया था कि जो रक्षा मंत्रालय का ही एक उपक्रम है. INS ब्रह्मपुत्र सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की बंदूकें, पनडुब्बी रोधी रॉकेट, रडार, सोनार और अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस है इसकी क्षमता400 चालक दल के सदस्य यानी 40 अधिकारी और 360 नाविक है इसकी लंबाई125 मीटर है और ये 30 नॉट लगभग 55 किमी/घंटा की रफ्तार से चलता है
आईएनएस ब्रह्मपुत्र कई बड़े सैन्य अभियानों का हिस्सा रहा है जुलाई 2006 में आईएनएस ब्रह्मपुत्र, भूमध्य सागर से भारत लौटते समय टास्क फोर्स 54 का हिस्सा था, जब इसे ऑपरेशन सुकून में सहायता के लिए वापस भेजा गया था लेबनान युद्ध के दौरान संघर्ष क्षेत्र से भारतीय, श्रीलंकाई, लेबनानी और नेपाली नागरिकों को निकालने के लिए शुरू किए गए अभियान का हिस्सा था
इसके अलावा जुलाई 2009 के दौरान, ब्रह्मपुत्र यूरोप में तैनाती पर भारतीय नौसेना टास्क फोर्स का हिस्सा था इस टास्क फोर्स ने रॉयल नेवी और फ्रांसीसी नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास में भाग लिया INS ब्रह्मपुत्र ने कई मौकों पर मानवीय सहायता और राहत कार्यों में भी भाग लिया है, जैसे कि 2004 में हिंद महासागर में आए सुनामी में मानवीय सहायता और राहत ऑपरेशन का हिस्सा रहा