अशोक भाटिया
भारत के कई मंत्री विदेशों की यात्रा पर जाते रहते है और वहां से कुछ अच्छी बातें देश की तरक्की के लिए सीख कर आते है जो हमारे देश के लिए अनुकरणीय होती है । अच्छा है , पर विदेशों में जो बुजर्गो को सुविधाए दी जाति है उसका अनुकरण हमारा देश नहीं कर पता है । आज देश में बढ़ते वृद्धाश्रम इस बात का संकेत हैं कि बुजुर्गों की देखभाल में समाज या सोशल सिक्योरिटी सिस्टम कहीं न कहीं पर्याप्त नहीं हैं। बुढ़ापे में आय की कमी, पेंशन की दिक्कत और परिवारों में देखभाल की कमी के बीच आज देश भर में 1000 से अधिक ओल्ड एज होम हैं जो कि सरकारी और गैरसरकारी मदद से चल रहे हैं लेकिन इनमें से भी अधिकांश में बहुत बेहतर सुविधाएं नहीं होने की बात हमेशा सामने आती है।
एक सर्वे के अनुसार हमारे देश में वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या का पहला और सबसे बड़ा कारण लोगों की बदलती जीवनशैली है। पहले, परिवार संयुक्त परिवारों में रहते थे, जहाँ बुजुर्गों का सम्मान किया जाता था और उनके बच्चों और पोते-पोतियों द्वारा उनकी देखभाल की जाती थी। हालांकि, एकल परिवारों की शुरुआत के साथ, बुज़ुर्गों को अक्सर खुद की सुरक्षा के लिए अकेला छोड़ दिया जाता है। बच्चे बेहतर नौकरी के अवसरों की तलाश में दूर चले जाते हैं, और बुज़ुर्ग पीछे छूट जाते हैं, अकेलापन और उपेक्षा महसूस करते हैं।इसके अलावा, कई युवा नौकरी की वजह से विदेश चले जाते हैं और उनके माता-पिता अकेले रह जाते हैं।
एक विकसित होते देश को अपनी बुजुर्ग होती आबादी के लिए और किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है इसके लिए दुनिया में कई देशों में उठाए गए कदमों से सीख ली जा सकती है। खासकर फिनलैंड जैसे स्कैडिनेवियन देशों से जो बेहतर लाइफस्टाइल और हैपीनेस इंडेक्स में दुनिया में सबसे आगे मानी जाती है।
देखा जाय तो फिनलैंड देश भले ही एक छोटा देश है लेकिन अपने यहां बुजुर्गों के लिए जैसी सुविधाएं वहां विकसित की जा चुकी है उससे हमारे शहरों और स्थानीय प्रशासन के लिए काफी कुछ सीखने लायक है। जापान के अलावा फिनलैंड सबसे ज्यादा बुजुर्ग आबादी वाले देशों में से है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और सोशल सिक्योरिटी सिस्टम के कारण यहां लोगों की लाइफ एक्सपेटेंसी 84 साल है।फिनलैंड में 60 साल से अधिक उम्र का हर शख्स ओल्ड एज पेंशन का हकदार होता है। फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में वहां के स्थानीय प्रशासन की ओर से बुजुर्ग लोगों के लिए ओल्ड एज पेंशन की 1888 यूरो की हर महीने व्यवस्था है जो कि भारतीय रुपये में एक लाख 65 हजार रुपये बनता है वो भी हर महीने। इसके अलावा सिटी प्रशासन की ओर से बुजुर्गों को फिजिकली और सोशली एक्टिव रखने के लिए भी कई तरह के कदम उठाए जाते हैं।
फिनलैंड की आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी 27 फीसदी से अधिक है। झीलों के देश फिनलैंड में आपको रोज सुबह बड़ी तादाद में बुजुर्ग लोग साइक्लिंग और स्विमिंग करते मिल जाएंगे। ओल्ड एज होम को बढ़ावा देने की जगह वहां का प्रशासन जहां तक संभव हो पाता है बुजुर्गों को उनके घर पर ही हेल्थ केयर, मेडिकल चेकअप और बाकी सुविधाएं मुहैया कराता है। ताकि यहां के बुजुर्ग लोग अपने घरों में ही आराम से रह सकें। इसके लिए स्थानीय एजेंसियां उनके घर की, सीढ़ियों की, इंटीरियर को भी आकर डिजायन करती हैं ताकि बुजुर्गों को घर में रहते हुए, चलते हुए और जरूरी सामानों को उठाते हुए कम से कम दिक्कत आए।
फिनलैंड में चल रही नेशनल पेंशन स्कीम और सोशल सिक्योरिटी स्कीम को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि ये सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बुजुर्ग आर्थिक दिक्कत का सामना न कर सके। उनके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में डिस्काउंट, स्विमिंग क्लबों, जिम, पार्क, म्यूजियम, लाइब्रेरी, थिएटर आदि जगहों पर छूट के प्रावधान किए गए हैं। यहां तक कि रेसिडेंशियल सोसाइटीज के जरिए उनके लिए सोशल इवेंट और ट्रिप आदी की भी व्यवस्था की जाती है ताकि वे अपने बुढ़ापे को पूरा एंजॉय कर सकें और इसके लिए आर्थिक दिक्कतें उनके रास्ते की बाधा न बनें या परिवार के लोगों पर उनकी निर्भरता न के बराबर हो।
फिनलैंड के शहरों और कस्बों-गावों में ऐसे कार्यक्रमों में भी उनको शामिल करने पर जोर दिया जाता है जहां वे बाकी पेंशनर्स या स्कूली बच्चों के साथ मिल-जुल सकें। ये सब स्थानीय प्रशासन की ओर से उनके जीवन को एक्टिव बनाए रखने के लिए किया जाता है। बुजुर्गों को जरूरी सलाह एक जगह मिल जाए इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी डेवलप किया गया है।
फिनलैंड में हाउसिंग सेक्टर्स को भी इस तरह की व्यवस्था करने को कहा गया है कि वे ऐसी हाउसिंग सोसाइटीज डेवलप करें जहां बुजुर्ग अपने जैसे लोगों के साथ एक जगह रह सकें। या युवा आबादी-छात्रों के साथ कंबाइंड रिहायश उन्हें मिल सके और अकेलेपन का शिकार होने से वे बच सकें। इतना ही नहीं हेलसिंकी शहर में 63 कोहाउसिंग फैसिलिटी ऐसी डेवलप की गई हैं जहां व्हीलचेयर से हर जगह आसानी से जाया जा सकता है। यानी जो बुजुर्ग चल फिर नहीं सकते उन्हें भी रोजमर्रा के काम में कोई दिक्कत न आए।
65 साल से अधिक उम्र के उन लोगों के लिए जिन्हें मेडिकल निगरानी की जरूरत है हेलसिंकी की एजेंसियां ऑन डोर सर्विस मुहैया कराती हैं। बुजुर्ग लोग अपने घर पर ही सेफ्टी और केयरिंग के साथ रह सकें इसके लिए 24-Hour केयरिंग सुविधा दी गई है। बुजुर्गों के लिए कोहाउसिंग, कम्युनिटी फूड, लॉन्ड्री, होम क्लीनिंग और क्लोथिंग सर्विस मुहैया कराई जाती है। इसके अलावा रोजाना घर पर मेडिकल चेकअप के लिए नर्सिंग सुविधा और सोशल सिक्योरिटी सर्विस मुहैया कराई जाती है। इसके अलावा प्राइवेट रिटायरमेंट होम का ऑप्शन भी कई लोगों के लिए मुहैया कराया जाता है।
बुजुर्गों के लिए रोजमर्रा के कामों में मदद के लिए फिनलैंड के शहरों में होम सर्विसेज की भी व्यवस्था है। जैसे वॉशिंग, ड्रेसिंग और खाने से जुड़ी मदद भी घर पर मुहैया कराई जाती है। इसके अलावा सपोर्ट सर्विस जैसे क्लीनिंग, शॉपिंग, सिक्योरिटी और ट्रांसपोर्ट सेवाएं भी कम्युनिटी सर्विस के आधार पर घरों पर उपलब्ध कराना सुनिश्चित कराया जाता है। टेंपररी होम केयर सर्विस की फीस सबके लिए समान होती है लेकिन रेगुलर होम केयर सर्विस के लिए म्यूनिसपलिटीज को लोगों को अधिक फीस देनी होती है। म्यूनिसिपलिटीज की ओर से बुजुर्गों को मिले सर्विस वाउचर का इस्तेमाल अलग-अलग सुविधाएं लेने में किया जा सकता है।
बीमार लोगों के लिए फिनलैंड की म्यूनिसिपलिटीज की सेवाएं भी उपलब्ध रहती है। अगर आप अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो हेल्थ सेंटर से संपर्क कर सकते हैं। वहां से जरूरी सूचना, चेकअप, इलाज और दवाएं मुहैया कराई जाती हैं। ये सभी के लिए एक जैसी होती है। खासकर बुजुर्गों की स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए अलग से मॉनिटरिंग सिस्टम बनाई गई है। म्यूनिसिपलिटीज की ओर से बुजुर्गों को हेल्थ अलाउंस की भी व्यवस्था है यानी ऐसी राशि जो आप आवेदन देकर मांग कर सकते हैं अपने हेल्थ केयर के लिए। इन सबके अलावा बुजुर्गों के लिए डे टाइम एक्टिविटी की व्यवस्था भी कई शहरों की म्यूनिसिपलिटीज की ओर से की गई हैं। डे टाइम एक्टिविटी के लिए रजिस्टर होने वाले बुजुर्गों के लिए ट्रांसपोर्ट, खाना, व्यायाम, आदि की व्यवस्था की जाती है।
अगर भारत में भी बुजुर्गों की जिंदगी बेहतर बनानी है उन्हें बुढापे को एंजॉय करने का मौका देने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकारों और स्थानीय म्यूनिसिपलिटीज की ओर से क्या सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए इसके लिए फिनलैंड की सोशल सिक्योरिटी सिस्टम एक बड़ा उदाहरण साबित हो सकता है। हालांकि, यहां की बड़ी आबादी को देखते हुए ये आसान काम तो नहीं है लेकिन अगर इस दिशा में पहल हो तो ये उतना मुश्किल भी नहीं है। ये पहल इसलिए भी जरूरी है कि एक समाज-एक देश के रूप में हम अपनी बुजुर्ग आबादी को उनकी जिंदगी की सेकंड इनिंग को शानदार बनाने में मददगार हो सकें। हाल ही में मोदी सरकार ने 70 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को मुफ्त 5 लाख का बीमा देने का ऐलान किया है जो अपर्याप्त है यह सभी 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों के लिए होना चाहिए ।