जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं है कि हम संसद में विपक्ष की भूमिका निभाते हैं- CJI चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर बड़ी बातें कहीं है. उन्होंने शीर्ष अदालत को जनता की अदालत बताया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट लोगों का कोर्ट है, इसका मतलब ये कतई नहीं कि यह संसद में विपक्ष की भूमिका निभाता है. पिछले 75 साल में सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से न्याय तक पहुंचने की कोशिश की है, उसे हमें बरकरार रखना चाहिए. हमारी अदालत ऐसी वैसी नहीं है. हमारी अदालत जनता की अदालत है और मुझे लगता है कि इसे उसी रूप में देखा जाना चाहिए.

दक्षिण गोवा में इंटरनेशनल लीगल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं है कि हम संसद में विपक्ष की भूमिका निभाते हैं. मुझे लगता है कि आज भी सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को लेकर लोगों की सोच में बड़ा फर्क है. जब शीर्ष अदालत लोगों के पक्ष में फैसला सुनाती है तो लोग इसे अद्भुत संस्था बताते हैं वहीं जब फैसला उनके खिलाफ होता लोग इसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं. ये गलत प्रैक्टिस है और ऐसा नहीं होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के काम को नतीजों के नजरिए से नहीं देखें
उन्होंने आगे कहा कि आप सुप्रीम कोर्ट की भूमिका, सुप्रीम कोर्ट के काम को नतीजों के नजरिए से नहीं देख सकते. व्यक्तिगत मामलों के नतीजे आपके पक्ष में हो सकते हैं, व्यक्तिगत मामलों के नतीजे आपके खिलाफ हो सकते हैं. जजों को मामलों के आधार पर फैसला लेने का स्वतंत्र अधिकार है कि वो किसके पक्ष में फैसला सुनाए और किसके पक्ष में नहीं. नतीजों के हिसाब से लोगों को शीर्ष अदालत की आलोचना नहीं करनी चाहिए. हां लोग कानूनी सिद्धांत की गड़बड़ी या किसी गलती के लिए अदालतों की आलोचना कर सकते हैं और करनी चाहिए.

गेम चेंजर साबित हुई सुप्रीम कोर्ट की लाइव-स्ट्रीमिंग
सीजेआई ने आगे कहा कि अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग एक गेम चेंजर साबित हुई. लाइव-स्ट्रीमिंग ने सुप्रीम कोर्ट के काम को लोगों के घरों और दिलों तक ले गई है. हम जिस भाषा का इस्तेमाल करते हैं, वह हमारे लोकाचार को प्रतिबिंबित करना चाहिए. हमें शब्दों के चयन में सतर्क रहना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी भाषा न केवल सटीक हो बल्कि सम्मानजनक और समावेशी भी हो.

वहीं, ‘न्याय की देवी’ की मूर्ति में बदलाव का उल्लेख करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि कानून अंधा नहीं है और यह सभी को समान रूप से देखता है. न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटा दी गई है, जिसका अर्थ निष्पक्षता है.

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