हमास चीफ याहया सिनवार के शव की इस अहम ‘सबूत’ से हुई पहचान, जानिए क्या है ‘ऑपरेशन द फर्स्ट कॉफी’?

हमास के नए चीफ याहया सिनवार को मारने और पहचानने में कई चीजें ने बहुत अहम भूमिका निभाई. पहला वो टैंक जिसने उस इमारत को नेस्तनाबूत कर दिया, जिसमें सिनवार छिपा बैठा था और जिन हथियारों से उसे मारा गया था. दूसरा वो सबूत जिसकी वजह से उसके शव की पहचान हो सकी थी. सिनवार को मारने के लिए इजरायल ने तीन बड़े हथियारों का इस्तेमाल किया. इसमें सबसे प्रमुख उसका सबसे शक्तिशाली मर्कवा मार्क 4 टैंक है. उससे निकलने गोले ने पूरी इमारत को ध्वस्त कर दिया. इसके बाद मिनी ड्रोन और असॉल्ट राइफल से इजरायल ने सिनवार को मार गिराया.

इजरायली सेना जब याहया सिनवार के शव के पास पहुंची तो उसे यकीन नहीं हुआ कि हमास चीफ मारा जा चुका है. क्योंकि लगातार उसके बंकर या सुरंगों में छिपने की खबरें आ रही थीं. बताया जा रहा था कि वो इजरायली बंधकों के साथ मौजूद है, जिनका इस्तेमाल ह्यूमन शिल्ड के रूप में किया जा सकता है. लेकिन खंडहर हो चुकी इमारत में सोफे पर चेहरा छिपाए बैठा आतंकी सिनवार निकलेगा इसका यकीन इजरायल को भी नहीं था. यही वजह है कि जब इस आतंकी को उसने ढेर किया तो इसकी शक्ल ने उसे चौंका दिया, जो हू-ब-हू सिनवार से मिल रही थी.

क्या ये वाकई याहया सिनवार ही है या उसका कोई हमशक्ल? इस गुत्थी को सुलझाने के लिए इजरायल ने जो तरीका अपनाया वो हैरान करने वाला है. न्यूज वेबसाइट सीएनएन ने दावा किया कि इस बात को कंफर्म करने के लिए सिनवार की उंगली के एक हिस्से को काटा गया. वो हिस्सा इजरायल भेजा गया. वहां के लैब में सिनवार का डीएनए सैंपल पहले से मौजूद था. ये सैंपल सुरंग में उसके ठिकाने से लिया गया था, जहां से वो इजरायली फौज के चंगुल में आने से पहले भाग निकला था. उंगली के डीएनए टेस्ट से कंफर्म हो गया कि मारा गया आतंकी याहया सिनवार ही है.

इसके बाद इजरायल ने एक ऑपरेशन और चलाया, जिसका नाम ‘ऑपरेशन द फर्स्ट कॉफी’ था. ये चौंकाने वाला नाम उसने उस ऑपरेशन को दिया जिसके तहत याह्या सिनवार का शव गाजा से इजरायल लाया गया. वहां सिनवार की बॉडी को फॉरेंसिक मेडिसिन इंस्टीच्यूट को सौंप दिया गया. इस वक्त उसकी बॉडी इजरायल के एक अज्ञात ठिकाने पर रखी गई है. सूत्रों का दावा है कि उसके शव का इस्तेमाल गाजा में मौजूद 101 बंधकों को छुड़ाने के लिए किया जाएगा. हालांकि, इजरायल किसी भी कीमत पर सिनवार का शव हमास को सौंपेगा इस पर शक है.

सिनवार का बॉडीगार्ड महमूद हमदान अबू यूसुफ भी मारा गया

इजरायल को लगता है कि यदि उसने ऐसा किया तो हमास गाजा में उसे दफनाएगा और वो जगह इजरायल विरोधी आतंकी गुटों को एकजुट करने का ठिकाना बन जाएगा. इस बीच, इजरायल ने सिनवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल उसके बॉडीगार्ड महमूद हमदान अबू यूसुफ को भी मार गिराया है. हमदान अबू यूसुफ उस तेल-अल सुल्तान ब्रिगेड का कमांडर था, जो रफाह के दक्षिणी इलाके में इजरायली सेना से जंग लड़ रही है. इजरायली सेना के मुताबिक हमदान उस जगह से 200 मीटर की दूरी पर मारा गया, जहां सिनवार का खात्मा किया गया था.

इस वक्त शहरी क्षेत्र में जंग के दौरान इजरायली सेना का सबसे नया और सबसे घातक हथियार मिनी ड्रोन बन चुका है. ये ड्रोन सबसे पहले अकेले जाकर दुश्मन की तैयारी इजरायली सेना को दिखा देता है. दुश्मन कहां छिपे हैं, कहां पर खतरा है? इस ड्रोन की मदद से मिली जानकारी का विश्लेषण करने के बाद इजरायली सेना उस जगह पर दाखिल हो जाती है. इजरायली सैनिक अपने बैग से ये छोटा सा ड्रोन उड़ाते हैं और ये उनके आगे-आगे उनकी आंखें बनकर चलता है. ये इजरायली सेना को इमारत में छिपे आतंकवादी की सटीक लोकेशन बता देता है.

इस तरह इजरायली सेना का काम आसान हो जाता है. इसलिए इसे बनाने वाली इजरायल कंपनी एक्सटेंड इसे रणभूमि का पहला सैनिक कहती है. ये देखने में भले ही छोटा हो लेकिन ये न सिर्फ इजरायली सेना को जंग के मैदान में केवल जीत ही नहीं दिलाता है, बल्कि उन्हें सुरक्षित भी रखता है. याहया सिनवार को मारने में इजरायली सेना ने IWI TAVOR X95 असॉल्ट राइफल का भी इस्तेमाल किया, जो दुनिया का एकमात्र तीन कैलिबर वाला हथियार है. मतलब एक ही राइफल में असॉल्ट राइफल, कार्बाइन और सब-मशीनगन सबकी खूबियां एक साथ हैं.

इजरायाल का तीसरा घातक हथियार IAI ROTEM L KILLER DRONE है. इसको एक ही सैनिक आसानी से इस्तेमाल कर सकता है. ये इजरायली सेना का टेक्टिकल ड्रोन है. इसे इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री ने बनाया है. ये ड्रोन एक क्वाडकॉप्टर है, जो 10 किमी की अधिकतम सीमा के साथ 30-45 मिनट तक घूम सकता है. ये 1 किलो हथियार ले जा सकता है. ये हैंडग्रेनेड भी ले जा सकता है. किसी भी युद्धभूमि में ये दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है. इजरायली सेना भागते दुश्मन को दूर रहकर भी इसके जरिए खत्म कर देती है. इसका रोल अहम है.

हमास चीफ याहया सिनवार के खात्मे की इनसाइड स्टोरी

16 अक्टूबर 2024 का दिन था. गाजा में इजरायल के हमले जारी थे. रफाह इलाके में तालल सुल्तान नाम की जगह है. और वहां तीन मंजिला एक बिल्डिंग है. उस बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर फिलहाल सब कुछ बिखरा पड़ा है. कुछ सोफे नजर आ रहे हैं. लेकिन अंदर धूल ही धूल है. इन्हीं धूल के बीच एक सोफे पर नकाब से चेहरा ढके एक शख्स बैठा है. उसका दाहिना हाथ शायद जख्मी है. बाएं हाथ से वो एक छड़ी या डंडा उठाता दिखता है. और फिर उसे अपनी दाहिनी तरफ फेंक देता है. तस्वीर यहीं पर खत्म हो जाती है. यहीं से शुरू होती है असली कहानी.

दरअसल, उसी शाम इजरायली डिफेंस फोर्स यूनिट 828 बिस्लामैक ब्रिगेड की टुकड़ी तालल सुल्तान इलाके में रुटीन पेट्रोलिंग पर थी. तभी उन्हें एक बिल्डिंग में तीन संदिग्ध लोगों के मौजूद होने की खबर मिलती है. इसी के बाद ब्रिगेड की टुकड़ी के जवान इस बिल्डिंग पर गोलीबारी शुरु कर देते हैं. इस शूटआउट के दौरान ही ड्रोन को भी एक्टिव कर दिया जाता है. जमीन से गोलीबारी हो रही थी और अचनाक ड्रोन से बिल्डिंग पर बम गिराया जाता है. इजरायली डिफेंस फोर्स यानि आईडीएफ के जवान अब तक बिल्डिंग को चारों तरफ से घेर चुके होते हैं.

सिनवार बाहर रहकर ही बिल्डिंग से होने वाली किसी गोलीबारी और साथ ही साथ अंदर से धूल छटने का इंतजार करते हैं. थोड़ी देर बाद जब दूसरी तरफ से कोई हरकत नहीं होती और धूल छट चुकी होती है तब आईडीएफ बिल्डिंग के अंदर दाखिल होने का फैसला करती है. थोड़ी बहुत धूल अब भी बिल्डिंग में मौजूद थी. अंदर तलाशी लेने पर कुल तीन लाशें मिलती हैं. आईडीएफ को कोई अंदाजा नहीं था कि यहां मौजूद तीनों कौन हैं. वो यही मान कर चल रहे थे कि ये हमास के लड़ाके हो सकते हैं. अब एक-एक कर तीनों लाशों के चेहरे से कपड़े हटाए जाते हैं.

सोफे पर मौजूद उस शख्स के चेहरे से जैसे ही कपड़ा हटा, आईडीएफ के जवानों को यकीन ही नहीं हुआ. वजह ये थी कि उसका चेहरा हू-ब-हू हमास लीडर याह्या सिनवार से मिल रहा था. उस याह्या सिनवार से जिसकी तलाश में पिछले एक साल से आईडीएफ, मोसाद और इजरयाल की बाकी तमाम एजेंसियां पूरी शिद्दत से लगी हुई थी. उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि इजरयाल के इतिहास के दूसरे सबसे बड़े घातक हमले जिसे पिछले साल 7 अक्टूबर को अंजाम दिया गया था. उसका मास्टमाइंड याह्या सिनवार उनके सामने मुर्दा पड़ा है.

हमास लीडर याह्या सिनवार इतनी आसानी से मारा जाएगा या उनके हाथ आएगा. खुद इजरायली सेना के जवानों को अब भी यकीन नही हो रहा था. लिहाजा, उन्होंने उसकी उंगलियों के निशान लिए, ब्लड सैंपल लिया और उसे फौरन हेडक्वाटर भेजा. अब तक ये ख़बर इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू तक भी पहुंच चुकी थी. लेकिन किसी को भी यकीन नही हो रहा था. वजह ये थी कि 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद से याहया सिनवार के बारे में यही खबर आ रही थी कि वो किसी बंकर या तहखाने में छुपा है, जहां उसके साथ बंधक भी हैं.

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