पूर्व जनरल और रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबियांतो ने रविवार को इंडोनेशिया के आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की यह दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश के लिए एक ऐतिहासिक पल है, जहां सुबियांतो का सफर एक विवादित सैन्य जनरल से लेकर राष्ट्रपति पद तक पहुंचने का रहा है. क्योंकि इन्हें इंडोनेशिया के सैन्य तानाशाही के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों का सामना करना पड़ा था, हालांकि समय के साथ उन्होंने राजनीति में अपनी स्थिति मजबूत की.
73 साल के सुबियांतो ने अपने पवित्र ग्रंथ कुरान पर हाथ रखकर शपथ ली. शपथ ग्रहण के बाद हजारों समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर उनका स्वागत किया और झंडे लहराते हुए उनको सम्मानित किया
कई देशों के नेता हुए शरिक
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में यह समारोह आयोजित किया गया, जिसमें 40 से अधिक देशों के नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया. इसमें ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, सऊदी अरब, रूस, दक्षिण कोरिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के प्रतिनिधि शामिल थे. बता दें प्रबोवो का नाम पहले भी राष्ट्रपति पद की दौड़ में रहा है, और वे दो बार राष्ट्रपति जोको विडोडो के खिलाफ चुनाव लड़े थे. 2014 और 2019 में हारने के बावजूद, विडोडो ने उन्हें अपने रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया, जिसके बाद उनके बीच राजनीतिक गठजोड़ की शुरुआत हुई.
जोको विडोडो के समर्थन से बने राष्ट्रपति
इस साल फरवरी में हुए राष्ट्रपति चुनाव में सुबियांतो ने विडोडो के समर्थन से भारी जीत हासिल की. उन्होंने चुनावी अभियान में इंडोनेशिया के नए बहु-अरब डॉलर की राजधानी परियोजना और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध और विडोडो की प्रमुख नीतियों को आगे बढ़ाने का वादा किया. शपथ ग्रहण समारोह के बाद सुबियांतो ने इंडोनेशिया की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि वे देश को विकास के नए पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.