-भगवान राम के राज्याभिषेक की आरती के साथ विश्व प्रसिद्ध रामलीला का समापन
-रामलीला स्थल पर मंगलवार देर शाम से ही पहुंचने लगे थे श्रद्धालु
वाराणसी। विश्व प्रसिद्ध ‘रामनगर की रामलीला’ की भोर की आरती के दर्शन के लिए बुधवार को रामलीला स्थल पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाप्रतापी रावण का बध कर चौदह वर्ष बाद अयोध्या लौटे भगवान राम के राज्याभिषेक की आरती देख श्रद्धालु आह्लादित हो गए। रामनगर दुर्ग से लेकर रामलीला स्थल तक राजाराम की जय, हर-हर महादेव का गगनभेदी जयकारा फिजाओं में गूंजता रहा।
प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक की लीला की आरती में अविस्मरणीय पल का साक्षी बनने के लिए न केवल काशी वरन पूर्वांचल और समीपवर्ती बिहार से श्रद्धालु मंगलवार शाम से ही रामलीला स्थल पर पहुंच गए। आसपास की दीवारों, छतों से लेकर बुर्जियों और चबूतरों, मंदिरों में श्रद्धालु रामलीला देखने के लिए डटे रहे। पूरी रात खुले आसमान में लाखों श्रद्धालु जय श्री राम और हर-हर महादेव के जयकारे के बीच प्रभु राम के भक्ति के भक्ति में डूबे रहे। जैसे-जैसे रात गुजरती गई भीड़ बढ़ती गई। भोर तीन बजते-बजते रामनगर किला मार्ग से लगायत रामलीला स्थल अयोध्या मैदान में कहीं पैर रखने की भी जगह नही बची थी। धक्का-मुक्की से कई बार असहज स्थिति बनी लेकिन भगवान राम के प्रति प्रेम और सर्मपण का भाव इस पर भारी पड़ा गया।
तड़के रामनगर किला से पूर्व काशी नरेश के वंशज महाराज डॉ अनंत नारायण सिंह राजपरिवार के सदस्यों व दरबारियों के साथ पैदल चल कर लीला स्थल अयोध्या मैदान पहुंचे। सुबह लगभग 5.45 बजे भगवान भाष्कर की किरणें आसमान में पूरब तरफ दिखी माता कौशल्या ने अयोध्या के राज सिंहासन पर विराजमान श्रीराम व सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न तथा श्रीराम के चरणों में नतमस्तक भक्त शिरोमणि हनुमान की आरती उतारी। घंटा घड़ियाल की आवाज के बीच लाल, सफेद महताबी रोशनी में आरती के समय किले से नंगे पांव डॉ अनंत नारायण सिंह अयोध्या मैदान में पहुंचे। आम श्रद्धालु की तरह वह भूमि पर बैठ गए। परंपरा का निर्वहन करते हुए उन्होंने भगवान श्रीराम का तिलक किया और उनसे आशीर्वाद लिया, जिसके बाद लीला शुरू हुई। मशाल और महताबी रोशनी में भगवान राम की आरती होने के साथ ही रामनगर का कोना-कोना राजाराम चंद्र की जय, हर-हर महादेव के गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा। भगवान स्वरूपों की भव्य आरती के बाद राज्याभिषेक (राजगद्दी) की लीला हुई। इस दौरान लाखों श्रद्धालु गदगद भाव से हाथ जोड़े भगवान राम की अनुपम छवि निरखते रहे। वहीं, इस समारोह में गुरु वशिष्ठ, लंकापति महाराज विभीषण, राजा सुग्रीव, युवराज अंगद, महाबली हनुमान समेत अनेक वीर संग बंदर भालू उपस्थित होकर श्रीराम के राजा रूप का दर्शन करने को आतुर रहे। रामलीला में गुरु वशिष्ठ की आज्ञा पाकर भगवान श्री राम सिर झुका कर सभी का अभिवादन करते हैं।
अंगद को समझाया, गले से लगाया और भेजा किष्किंधा
रामलीला में भगवान राम ने अपनी वानरी सेना को बुलाया और एक-एक को गले लगाते हुए वस्त्र और आभूषण देकर विदा किया। सुग्रीव, जामवंत, नल-नील प्रभु भगवान की आज्ञानुसार अपने-अपने राज्यों को लौट जाते हैं। पर युवराज अंगद ने जाने से इंकार कर दिया और वहीं प्रभु श्रीराम के चरणों में रहने की बात कही। जिस पर भगवान राम ने अंगद को उठाया और कहा कि जाकर किष्किंधा का राजपाट सम्भालों। वहां की जनता को एक योग्य और बलशाली राजा की जरूरत है। इसके बाद अंगद अपने देश के लिए रवाना हुए। इसके बाद लीला संपन्न हुई तो सबसे पहले परम्परानुसार महाराज अनंत नारायण सिंह रामलीला स्थल से रवाना हुए।