लखीमपुर कॉपरेटिव चुनाव का विवाद अब यूपी की सियासत सुलगाने में लगी है. लखीमपुर के बीजेपी विधायक योगेश वर्मा पर मारपीट का मामला ठाकुर वर्सेज कुर्मी की राजनीतिक अदावत में बदलता जा रहा है. कहा जा रहा है कि विवाद की आग और ज्यादा सुलगती है, तो इसका सीधा असर आने वाले उपचुनाव पर पड़ सकता है. यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिस पर 4 सीटों पर कुर्मियों का दबदबा है.
विधायक योगेश वर्मा पर मारपीट का क्या मामला है?
लखीमपुर बैंक कॉपरेटिव चुनाव में दो दिन पहले स्थानीय वकील अवधेश सिंह और विधायक योगेश वर्मा में कहासुनी हो गई, जिसके बाद पुलिस के सामने अवधेश सिंह और उनके समर्थकों ने विधायक की पिटाई कर दी. मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
योगेश वर्मा के समर्थकों का कहना है कि पुलिस इस मामले में अवधेश सिंह के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रही है. शुक्रवार को योगेश वर्मा के समर्थकों ने डीएम कार्यालय का घेराव किया. वर्मा ने इस पूरे मामले को कुर्मी समुदाय का अपमान बताया है.
सियासी आग में सपा भी डाल रही घी, वजह- उपचुनाव
लखीमपुर में ठाकुर वर्सेज कुर्मी की सियासी आग में सपा भी घी डालने में जुटी है. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि योगेश वर्मा पिछड़े समुदाय के हैं, इसलिए मारपीट करने वालों पर पुलिस कोई एक्शन नहीं ले रही है.
कहा जा रहा है कि सपा इस मुद्दे के जरिए उपचुनाव को साधने में जुटी है. जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें कटेहरी, मझवां, फूलपुर और सीसामऊ सीट पर कुर्मी समुदाय का दबदबा है. 4 में से 2 पर ही 2022 में सपा को जीत मिल पाई थी.
अब चारों सीट का सियासी समीकरण समझिए
मझवां- मिर्जापुर की मझवां विधानसभा पर कुर्मी एक्स फैक्टर है. यहां पर ब्राह्मण, बिंद और दलित के बाद कुर्मी की आबादी सबसे ज्यादा है. अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से ही लोकसभा की सांसद हैं.
मिर्जापुर में सपा ने ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है. ज्योति पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी है. बीजेपी ने अभी इस सीट पर पत्ता नहीं खोला है. निषाद पार्टी और अपना दल (सोनेलाल) यहां से दावेदारी कर रही है.
सवर्ण वोटरों को साधने के लिए मझवां में इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के अजय राय मैदान में हैं. अजय राय कांग्रेस की तरफ से मझवां से प्रभारी हैं. कहा जा रहा है कि दोनों गठबंधन की आधिकारिक घोषणा के बाद राय मझवां में ही डेरा डालेंगे.
फूलपुर- प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट भी कुर्मी बहुल है. यहां से कुर्मी समुदाय के प्रवीण पटेल 2022 में जीतकर सदन पहुंचे थे. बीजेपी कुर्मी के सहारे ही यह सीट जीतती रही है. सपा ने यहां से दूसरे मजबूत मुस्लिम समुदाय को टिकट दिया है.
फूलपुर से सपा के सिंबल पर मुस्तफा सिद्दीकी मैदान में हैं कहा जा रहा है कि अगर यहां कुर्मी नाराज होते हैं तो इसका सीधा असर फूलपुर पर पड़ेगा. 2022 में सपा को इस सीट पर सिर्फ 3 हजार वोटों से ही हार मिली थी
फूलपुर विधानसभा सीट 2009 में आस्तित्व में आया था, तब से यहां 2 बार कुर्मी और एक बार मुस्लिम विधायक चुने गए हैं
कटेहरी- अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट भी कुर्मी समुदाय का दबदबा है इस सीट पर ब्राह्मण और कुर्मी की आबादी लगभग एक जैसी है यहां से लालजी वर्मा विधायक थे, जो अब अंबेडकरनगर के सांसद बन गए हैं
एनडीए गठबंधन में पिछली बार यह सीट निषाद पार्टी को मिली थी निषाद पार्टी के अवधेश कुमार यहां से 8 हजार वोटों से हार गए थे इस बार बीजेपी यहां कुर्मी और ब्राह्मण गठबंधन के जरिए जीतने की रणनीति पर काम कर रही थी
हालांकि, लखीमपुर का मामला जिस तरह तूल पकड़ रहा है, उससे अब यहां कुर्मी समुदाय के ध्रुवीकरण होने की संभावनाएं और ज्यादा बढ़ गई है
सीसामऊ- कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हो रहे हैं यहां से सपा ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है. सीसामऊ सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है इसके बाद कायस्थ, ब्राह्मण, दलित और बनिया हैं
सीसामऊ में कुर्मी की आबादी भी 20 हजार के आसपास है, जो जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं बीजेपी ने पिछले चुनाव में यहां से वैश्य समुदाय के उम्मीदवार उतारे थे हालांकि, इरफान जीतने में कामयाब रहे थे