हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों में निराशाजनक परिणाम के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा फैसला

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों में निराशाजनक परिणाम के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा फैसला लिया है. मायावती ने शुक्रवार को ऐलान किया है कि बसपा आगे के चुनावों में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. इसके अलावा बीजेपी, एनडीए, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी. मायावती ने कहा कि अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना पार्टी के लिए अति-हानिकारक साबित हो सकते हैं.

मायावती ने एक्स पर एक के बाद एक कई पोस्ट करते हुए कहा कि यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बीएसपी का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने, लेकिन उनका वोट बीएसपी को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण अपेक्षित नतीजे नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा व उससे होने वाले मूवमेंट की हानि को बचाना जरूरी है.

हरियाणा में खाता तक नहीं खोल पाई बीएसपी
इस बार के हरियाणा विधानसभा चुनाव में मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी का अभय चौटाला की आईएनएलडी के साथ गठबंधन था. हरियाणा की 90 सीटों में से 37 सीटों पर बीएसपी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि बाकी पर आईएनएलडी के कैंडिडेट थे. बड़े स्तर पर चुनाव लड़ने के बाद भी केवल आईएनएलडी का ही खाता खुला और उसके हिस्से 2 सीटें आईं. 37 सीटों पर मैदान में होने के बाद भी बसपा के हाथ एक भी सीट नहीं लगी. इससे पहले पंजाब के चुनाव में भी बीएसपी को नुकसान उठाना पड़ा था.

चुनावों को लेकर समीक्षा बैठक के बाद ऐलान
चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर बीएसपी की आज समीक्षा बैठक हुई. इस बैठक के बाद मायावती ने आगे चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन नहीं करने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि बीएसपी अलग-अलग पार्टियों और संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं बल्कि बहुजन समाज के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा व सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने व उनको शासक वर्ग बनाने का आंदोलन है. इसलिए अब इधर-उधर ध्यान भटकाना बहुत ज्यादा हानिकारक है.

‘कमजोर करने की चौतरफा कोशिश’
इसके साथ-साथ यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इशारों ही इशारों में कुछ क्षेत्रीय पार्टियों पर निशाना भी साधा. उन्होंने बसपा को देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अम्बेडकरवादी पार्टी करार देते हुए कहा बीएसपी व उसके आत्मसम्मान व स्वाभिमान मूवमेंट के कारवां को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा कोशिश की जा रही है. ऐसी स्थिति में अपना उद्धार स्वयं करने योग्य व शासक वर्ग बनाने की प्रक्रिया पहले की ही तरह जारी रखनी जरूरी है.

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