हुड्डा ने आम आदमी पार्टी से नहीं किया तालमेल कांग्रेस तमाम कोशिशों के बावजूद हरियाणा की सत्ता में नहीं आ सकी

कांग्रेस तमाम कोशिशों के बावजूद हरियाणा की सत्ता में नहीं आ सकी कांग्रेस ने चुनाव में हुड्डा को फ्री हैंड दिया था हालांकि, उन्होंने कई मामलों में राहुल गांधी की भी नहीं सुनी नतीजा ये हुआ कि जाट वोट बिखर गया हुड्डा के फैसलों से दलित वोट भी नाराज हो गया नुकसान यहीं नहीं थमा कांग्रेस को नॉन जाट वोट से भी हाथ धोना पड़ा इस तरह हुड्डा के साथ ही कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फिर गया हरियाणा के चुनाव को जीता हुआ मान रही कांग्रेस और हुड्डा बीजेपी के माइक्रो मैनेजमेंट के आगे धड़ाम हो गए लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने और बीजेपी को बहुमत से दूर रखने पर बना नैरेटिव चोटिल हो गया भविष्य में बीजेपी से टकराने और इंडिया गठबंधन के सहयोगियों पर अपर हैंड रखने की कांग्रेस की चाहत भी धरी रह गई उल्टे केजरीवाल, सपा और उद्धव ने कांग्रेस पर सियासी चढ़ाई कर दी है

हरियाणा में मिली हार के पीछे कांग्रेस का बड़ा तबका हुड्डा खेमे को जिम्मेदार मानता है उसका कहना है कि कई मामलों में राहुल की भी सलाह नहीं मानी गई लोकसभा में कांग्रेस को दलित, जाट और मुस्लिम का बेस वोट मिला मगर, हुड्डा ने एकतरफा चलते हुए कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को दरकिनार कर दिया. राहुल के कहने पर हुड्डा खेमे ने इन नेताओं को बिना जनाधार वाला बताया और टिकटों से लेकर हर जगह अपनी चलाई

हुड्डा ने आम आदमी पार्टी से तालमेल नहीं किया
कांग्रेस के दलित-जाट वोट में सेंधमारी के लिए इनेलो-बीएसपी और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी के गठबंधन बने तो राहुल ने वोटों का बिखराव रोकने के लिए गठबंधन की सलाह दी मगर, भूपिंदर हुड्डा ने आम आदमी पार्टी से तालमेल नहीं किया इसके बाद दीपेंद्र हुड्डा ने सपा को मध्य प्रदेश के कमलनाथ की तर्ज पर हरियाणा में खारिज कर दिया

विरोधी खेमे ने आरोप लगाया है कि हुड्डा ने विरोधियों को बैठाने की बजाय उनकी मदद की ताकि इससे सीटें 40 के करीब आएं और निर्दलीय उम्मीदवारों के सहारे वो सीएम बन सकें सूत्रों के मुताबिक, एक वक्त बीजेपी में नाराज चल रहे अहीरवाल इलाके के बड़े क्षत्रप राव इंद्रजीत को कांग्रेस में लाने के लिए एक खेमे ने हरी झंडी दे दी थी तब भी हुड्डा ने उनकी जरूरत को खारिज कर दिया लिहाजा न सपा साथ थी, न राव साथ आए और पूरी बेल्ट में सूपड़ा साफ हो गया

जाट राज आने के खिलाफ बिखरा दलित वोट
कुल मिलाकर हुड्डा के करीबी दलित प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी चुनाव हार गए. 14 दिन सैलजा की नाराजगी को बीजेपी में हवा दी तो दलित वोट जाट राज आने के खिलाफ बिखर गया इसके बाद राहुल के मंचों पर सैलजा को मिली तरजीह ने एकमुश्त जाट वोटों में दलित महिला सीएम की आशंका से टूट हो गई

ऐसे में हरियाणा के चुनावों ने कांग्रेस को फिर वहीं लाकर खड़ा कर दिया क्योंकि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस सिर्फ 6 सीटें ही जीत पाई जबकि इंडिया गठबंधन की सहयोगी एनसी ने 51 में से 42 सीटें जीतकर कांग्रेस की मुश्किल और बढ़ा दी. आखिर ये नैरेटिव यहां भी मजबूत हो गया कि बीजेपी से इंडिया गठबंधन टकरा पाता है. आमने-सामने की लड़ाई में कांग्रेस टिक नहीं पाती

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